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बागी विनय
आख़िर कौन हूँ मैं ? किसी प्रेम की जुबा या किसी साँसों का चलाना किसी कवयित्री की कविता या किसी शायरा की शायरी किसी हँसते हुए लबों की हँसी या किसी रोते हुए आंखों का अश्क़ किसी वक़्त का इंतज़ार या किसी इंतज़ार का मंज़िल दरअसल मैं कुछ भी नहीं सिवा इसके की मैं बेवजह हूँ !! सिवा इसके की मैं बेवजह हूँ !!
Vivek Arya
Vivek Arya
shayariwaladoctor
उलझनों शिकायतों कई सवालो से भरा हुआ हुं मै, क्यों हुआ कैसे हुआ इस सोच मे कब से डूबा हुआ मै हद से ज्यादा चाह कर , फिर नफरत किसी अपने की बन चुका हूँ मैं, एक बुलबुले सा नाजुक था मै, तुम आँखे क्या चढाती फुट जाता था मै, तुम्हें ये खुशी देगा, तुम्हें ये बुरा ना लग जाए हर चीज से घबराता था मै, अब भी कहा कुछ बदला है सिवाय इसके, की पत्थर बन चुका हूँ मै, तेरा गम अब तक लिए फिर रहा हूँ मैं, देख खुद ही खुद का दुश्मन बना फिर रहा हूँ मैं, ©Rahul Gothwal उलझनों शिकायतों कई सवालो से भरा हुआ हुं मै, क्यों हुआ कैसे हुआ इस सोच मे कब से डूबा हुआ मै हद से ज्यादा चाह कर , फिर नफरत किसी अपने की बन
Ujjwal Sharma
सुनो एक छोटा सा ये ख़त तुम्हारे नाम जिसमे मैं तुम्हारा शुक्रिया करना चाहूँगी वो साथी बनने के लिए नहीं जो कि तुम हो और उसको बेहतरीन तरीके से निभा रहे हो बजाये इसके की तुम वो पुरूष हो जिसने मुझे कभी क़ैद नहीं किया न ही कभी मेरे पंख काटे तुमने बड़े ही कोमल ढंग से मुझें अपने साथ रखा ठीक वैसे रखा जैसे मैं रहना चाहती थी चाहे आज हमारे साथ बीते इतने सालों में तुमने मुझे कभी ख़र्च होने नही दिया उल्टा मैं तुम्हारे और नज़दीक आयी हूँ और विश्वास मानों ये क़रीबी बेहद खूबसूरत हैं क्योंकि जितनें पास से मैं तुमको देखती हूँ तुम मुझें और भी प्यारे लगते हो तुम्हारा यूँ निःस्वार्थ होना एक अलग ही कशिश पैदा करता है हमारे दरम्यान अब मैं उस कशिश को प्रेम समझ इबादत करूँ या इश्क़ के अगले मक़ाम पे ले चलूँ मुझे उस हर एक कदम पर तुम्हारा साथ चाहिए और ये सब सिर्फ इस जन्म तक महदूद नही रखना चाहती हूँ मैं तुम्हें अनन्त से अनन्त तक प्रेम करना चाहती हूँ इसलिए तुम्हारा शुक्रिया इस प्रेम में मुझ संग एक होने के लिए तुम्हारी प्रेयसी जोगन ©Ujjwal Sharma सुनो एक छोटा सा ये ख़त तुम्हारे नाम जिसमे मैं तुम्हारा शुक्रिया करना चाहूँगी वो साथी बनने के लिए नहीं जो कि तुम हो और उसको बेहतरीन तरीके से न
Vikas Sharma Shivaaya'
📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो इंसान अपने बीते हुए कल में ही उलझा रहता है वो अपना आज और अपना आने वाला कल खुशनुमा और सुरक्षित नहीं बना सकता ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कई बार सीधा स्पष्ट बोलना -आइना दिखाना इंसान को सामने वाले की बदजुबानी दिखता है बजाय इसके की वाकई वो आईने के सामने बैठ कर अपने अंदर झांकें ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की गलत बात को गलत नहीं बोल कर चुप हो जाना कायरता है इसलिए बेहतर है की सच बोल कर बदतमीजी कर दी जाये ...., आखिर में एक ही बात समझ आई की जो अपनी राह की मिटटी /धूल को अपने चेहरे का गुलाल /चन्दन मानते हैं वही जीवन के सुख दुःख -उतार चढ़ाव- धुप छाँव को समझ पाते हैं ...! Affirmations: 11.मैं अपने लिए अद्भुत नए विश्वासो की रचना करता हूं.. , 12.हमारा व्यापार और कार्य एक दिव्य विचार है..., 13.मैं अपने अंदर संभावनाओं के एक योग को अनुभव करता हूं.. , 14.हमारा व्यापार फल फूल रहा है..., 15.मुझे परिवर्तन करना आसान होता है..., बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो इंसान अपने बीते हुए कल में ही उलझा रहता है वो अपना आज और अपना आने वाला कल खुशनुमा और
Vipendra Singh
जिस समाज मे सिर्फ नारी को ही लाज बचाने के तरीके बताए जाते हैं, वजाय इसके की पुरूषों की ये मानसिकता बदली जाए कि स्त्री उनके लिए कोई खिलौना है
Kulbhushan Arora
Yq premium, अगला दिन.... 25 मार्च का दिन अजीबोगरीब दिन था, किसी को कुछ समझ नहीं आया सिवाय इसके की हमें घर से बाहर नहीं जाना है। उमा हमारे घर में काम करती है,ये सब ख़
अज्ञात
पेज-21 एक ओर जहाँ शुभ सगुन दिखाई देने लगे थे लड़की के पिता का मन पूरी तरह से संतुष्टि के अंतिम शिखर को पा चुका था, अब कोई जिज्ञासा नहीं केवल इसके की जल्द से जल्द अपनी बिटिया का ब्याह होते देखे... वहीं दूसरी ओर कथाकार की दृष्टि रत्नाकर कालोनी में दो नये सदस्यों के आगमन पर पड़ी.. कहते हैं निःस्वार्थ भाव से किये गये कर्मो का फल भी परमानंदित करने वाला होता है, कालोनी का संगठित सकारात्मक प्रभाव और सभी रचनाकारों का एक दूजे के प्रति समर्पित प्रेम सम्मान और विनम्र स्वभाव ने सबका मन मोह लिया कालोनी भी नित नव अपनों को पाकर धन्य धन्य हो रही थी...ईश्वरीय कृपा से इस कालोनी का भाग्योदय होने लगा.. जिन दो सदस्यों को कथाकार अपनी कालोनी का हिस्सा बनते देख रहा है वह नोजोटो ऐप में अपनी रचनाओं कलाओं के दम पर इतिहास रचते हैं... ऐसे ही रचनाकारों में जाना माना नाम "चंद्रमुखी मौर्य जी", और "प्राजू उर्फ़ प्राजक्ता जी " इनके बारे में कथाकार ने मन बनाया सभी नवागंतुक रचनाकारों को उनके रचनात्मक परिचय से नवीन रचनाओं के माध्यम से कालोनी को विस्तार से बताएगा फ़िलहाल दोनों सहज स्वभाव मिलनसार रचनाकारों का रत्नाकर कालोनी भव्य स्वागत कर कथाकार अपनी कथा आगे बढ़ाता है.. संध्या बेला में राकेश गेस्टहॉउस पहुंचा जहाँ एक पिता राकेश से कुछ चर्चा करने को बड़े ही बेसब्र दिखाई दे रहे थे, राकेश ने उन्हें प्रणाम किया और पूछा- राकेश-जी, आदेश करें आदरणीय.. क्या बात है जो इतने आतुर भाव से याद किया..!🙏🙏 जे एल जी- महानुभाव.., मेरे पास शब्द ही नहीं बचे कुछ कह पाऊं...! मानो मुझे वो जमाता मिल गया हो जिसकी केवल में कल्पना ही करता था..! अब आप उचित परामर्श दें कैसे हम अपनी बात उन तक पहुंचायें..! राकेश-जी ये बड़ी खुशी की बात है कि मानक आपको पसंद आ गया उसका घर परिवार आपको भा गया, आपकी तरफ से एक जिज्ञासा और थी..! जे एल जी- जी कहिये ना.. ! राकेश-अपनी बेटी से और पूछ लीजिये क्या उसे लड़का पसंद आया है...! जे.एल जी-अर्रे रे रे.. अभी लीजिये... बेटा मनीषा.. !जरा इधर आओ.. और आप भी आओ हमारी धर्मपत्नी जी.. ! [पिता के पुकारते ही दोनों आकर राकेश को अभिवादन करते हैं..और पिता के पास बैठ जाते हैं.. ] राकेश-जी, बेटी की माता जी को पसंद है मानक.. ! माता जी- जी जिस कालोनी में इतने प्यारे प्यारे सतकर्मी सज्जनों का डेरा है वहाँ के बारे में भला किसे संदेह होगा.. मेरा मन तो पहली बार में ही यहाँ बेटी ब्याहने का हो गया था पर, ये पिता हैं ना.. ! जब तक ये पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते तब तक हम आगे कैसे बढ़ सकते थे.. ! राकेश-जी बिलकुल सही कहा आपने, मनीषा जी क्या आपने मानक की तस्वीर देखी है... मेरा भाई लाखों में एक है... बड़ा भाई मानता है मुझे.. !कहता है आप जो निर्णय लोगे मुझे सिरोधार्य होगा.. आज के समय में जहाँ सगे भाइयों में जंग देखने को मिलती है वहाँ सोशल मीडिया में ऐसे भाई मिलना असम्भव नहीं तो दुष्कर जरूर है... अरेरे रे... आपकी आँखें नम क्यूँ हो गईं... क्या मैं कुछ गलत कह गया... प्लीज... आप ऐसे रोइये नहीं.. ! अब आगे पेज-22 ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी एक ओर जहाँ शुभ सगुन दिखाई देने लगे थे लड़की के पिता का मन पूरी तरह से संतुष्टि के अंतिम शिखर को पा चुका था, अब कोई जिज्ञास
Sunil itawadiya
चमकीले नीले पत्थर की कीमत कैप्शन जरूर पढ़ें, 👉😊 🙏👇👇🙏 👉👇एक शहर में बहुत ही ज्ञानी प्रतापी साधु महाराज आये हुए थे, बहुत से दीन दुखी, परेशान लोग उनके पास उनकी कृपा दृष्टि पाने हेतु आने लगे. ऐसा ही