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कुलदीप पटेल
शुक्रगुजार हैं हम आज की सोशल मीडिया का, फेमस होने के बहाने ही सही लोगों ने मोरल वैल्यूज तो सीख लिए। कुलदीप moral values
moral values
read moreकुलदीप पटेल
शुक्रगुजार है हम सोशल मीडिया बनाने वालों का, फेमस होने के बहाने जो लोगों को मोरल वैल्यूज से रुबरू तो करा दिया । moral values
moral values
read moreMotivational wings
chandresh sharma
YAha Tehzeeb Bikti hai Yaha Farmaan Bikte hai Zara Tum Daam to Bolo Yaha Eman Bikte hai #no more #moral values #money matters
motivational story
सबसे बड़ा मूर्ख __ Best moral short story in hindi __ Short spiritual story #Motivational
read morePragati Dutt
जिस प्रकार , पत्तों के बिना वृक्ष शोभा नहीं देते । उसी प्रकार , संस्कारों के बिना मनुष्य शोभा नहीं देते ।। ©Pragati Dutt Without moral values human beings are useless.
Without moral values human beings are useless. #विचार
read morePooja
White **ईमानदारी की जीत** एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में राम नाम का एक ईमानदार किसान रहता था। राम का परिवार बहुत गरीब था, लेकिन राम ने कभी भी किसी की चीज़ चुराने या गलत तरीके से पैसे कमाने की कोशिश नहीं की। एक दिन, राम खेत में काम कर रहा था जब उसे एक चमचमाती सोने की अंगूठी मिली। राम ने सोचा कि यह अंगूठी किसी गाँववाले की हो सकती है। उसने गाँव में सभी से पूछा, लेकिन किसी ने दावा नहीं किया कि वह अंगूठी उनकी है। राम ने तय किया कि वह उस अंगूठी को गाँव के सरपंच के पास ले जाएगा। सरपंच ने भी गाँव में घोषणा कराई, लेकिन कोई भी अंगूठी का मालिक नहीं मिला। सरपंच ने राम से कहा, "राम, तुम इस अंगूठी को अपने पास रख लो। यह तुम्हारी ईमानदारी का इनाम है।" राम ने अंगूठी ले ली, लेकिन उसने सोचा कि उसे इस अंगूठी से किसी की मदद करनी चाहिए। उसने अंगूठी को बेच दिया और उससे मिले पैसे से गाँव के स्कूल की मरम्मत करवा दी और कुछ पैसे गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर दिए। कुछ महीनों बाद, गाँव में एक अमीर व्यापारी आया। उसने सरपंच से कहा, "मैंने यहाँ कुछ महीने पहले एक सोने की अंगूठी खो दी थी। क्या किसी को वह मिली है?" सरपंच ने राम को बुलाया और व्यापारी से मिलवाया। राम ने व्यापारी को पूरी कहानी सुनाई। व्यापारी ने राम की ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे इनाम के रूप में दस सोने की मुद्राएँ दीं। राम ने वह मुद्राएँ भी गाँव के विकास और गरीबों की मदद के लिए खर्च कर दीं। इस प्रकार, राम की ईमानदारी और निस्वार्थता ने उसे गाँव में एक आदर्श बना दिया और सभी ने उसकी प्रशंसा की। ईमानदारी की जीत ने गाँव में एक नई दिशा दिखाई और सबने राम के पदचिन्हों पर चलना शुरू किया। **शिक्षा:** इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी और निस्वार्थता हमेशा जीतती है और समाज में आदर व सम्मान दिलाती है। ©Pooja #Moral story
#moral story #मोटिवेशनल
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White ### गाँव की बचपन की यादें गाँव का नाम स्नेहपुर था। वहाँ एक छोटा सा बच्चा, रवि, अपने माता-पिता और दादी के साथ रहता था। स्नेहपुर एक शांत और सुंदर गाँव था, जहाँ हरियाली और प्यार की कोई कमी नहीं थी। रवि की उम्र केवल दस साल थी, पर उसकी चंचलता और मासूमियत सबका दिल जीत लेती थी। हर सुबह, रवि अपनी दादी के साथ गाँव के मंदिर जाता था। मंदिर के पास एक बड़ा पीपल का पेड़ था, जिसकी छाँव में बैठकर दादी उसे पुरानी कहानियाँ सुनाया करती थी। रवि को उन कहानियों में बहुत मज़ा आता था। उसकी दादी की कहानियाँ सुनते-सुनते वह सपनों की दुनिया में खो जाता था। एक दिन, रवि ने सुना कि गाँव में मेला लगने वाला है। वह बहुत खुश हुआ और तुरंत अपनी माँ के पास दौड़ता हुआ गया। माँ ने उसे बताया कि मेले में बहुत सारी मिठाइयाँ, खिलौने, और झूले होंगे। रवि की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मेले वाले दिन, रवि ने अपनी सबसे प्यारी शर्ट पहनी और पूरे परिवार के साथ मेले गया। वहाँ उसने गुब्बारे, चाट और अपनी पसंदीदा मिठाई, जलेबी खाई। मेले में उसने एक खिलौना भालू देखा, जो उसे बहुत पसंद आया। उसके पिता ने उसकी खुशी देखकर वह भालू उसे दिला दिया। शाम को, जब रवि अपने खिलौने के साथ घर लौटा, तो वह बहुत थक गया था। उसने भालू को अपने पास रखा और अपनी दादी की कहानियाँ सुनते-सुनते सो गया। उस रात, रवि ने सपने में देखा कि वह अपने नए भालू के साथ जादुई जंगल में घूम रहा है, जहाँ पेड़ों पर चॉकलेट और जमीन पर मिठाईयाँ बिखरी हुई हैं। इस तरह, स्नेहपुर में रवि का बचपन हँसी-खुशी और प्यारी यादों से भरा हुआ था। गाँव की सरलता और दादी की कहानियाँ उसके जीवन को खास बनाती थीं। और इस तरह, रवि के बचपन की मीठी यादें हमेशा उसके दिल में बसी रहीं। ©Pooja #Moral story
Moral story
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White ### एक छोटी सी कहानी: **दोस्ती का अनमोल तोहफा** एक छोटे से गाँव में, दो दोस्त रहते थे - राम और श्याम। दोनों की दोस्ती बचपन से ही थी और उनकी एक-दूसरे के प्रति निष्ठा और प्रेम अद्वितीय था। एक दिन, गाँव के पास के जंगल में आग लग गई। आग तेजी से फैल रही थी और गाँव के लोग भयभीत थे। राम और श्याम दोनों ने मिलकर गाँववालों की मदद करने का निश्चय किया। वे अपने घरों से बाल्टियाँ लेकर पानी भर-भर कर आग बुझाने के लिए दौड़ पड़े। श्याम की एक टांग थोड़ी कमजोर थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी और राम के साथ-साथ आग बुझाने में जुट गया। वे दोनों बिना रुके, बिना थके, गाँव के लोगों की मदद करते रहे। राम ने देखा कि श्याम थक गया है, लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। राम ने श्याम को अपने कंधे पर बैठा लिया और दोनों मिलकर आग बुझाने लगे। उनकी इस निष्ठा और साहस को देखकर गाँव के बाकी लोग भी प्रेरित हुए और सब मिलकर आग बुझाने लगे। थोड़ी देर में आग बुझ गई और गाँव के लोग सुरक्षित हो गए। सभी ने राम और श्याम की तारीफ की और उनकी दोस्ती का आदर किया। इस घटना के बाद, राम और श्याम की दोस्ती और भी गहरी हो गई। वे दोनों समझ गए कि सच्ची दोस्ती वह होती है, जो कठिन समय में एक-दूसरे के साथ खड़ी रहती है। गाँव के लोग उनकी इस दोस्ती की मिसाल देने लगे और दोनों को सच्चे मित्रों के रूप में सम्मानित किया। इस प्रकार, राम और श्याम की दोस्ती ने सबको यह सिखाया कि सच्चा मित्र वही होता है, जो मुश्किल समय में साथ खड़ा रहता है और बिना किसी स्वार्थ के मदद करता है। ©Pooja #Moral story
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