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neelu
White तू पानी है.. कि प्यास है तू धरती है ..की आकाश है तू छांव है.. की धूप है बता कौन सा सच्चा तेरा रूप है ©neelu #SAD तू पानी है.. कि प्यास है तू धरती है ..की आकाश है तू छांव है.. की धूप है बता कौन सा सच्चा तेरा रूप है #nojolove #nojoenglish #nojolife #
i_m_charlie...
White मैं नही जानता की मैं कौन हूं? . . मैं नही जानता की मैं कौन हूं? हवा का रुख हु या दर्दे दिल का सुकून हू, रातों में फैली चांदनी का नूर हू या धूप में छाव का सुकून हूं, कब में खुदसे खुश रहता हु, कब में खुद से खफा ये भी में नही जानता हु, में नही जानता की में कौन हूं? पर जो भी हूं एक अलग सा एहसास हूं जो समझ में नहीं आता पर मुझे समझना उतना भी मुश्किल नहीं है, में नही जानता की में कौन हूं? ©i_m_charlie... #SAD में नही जानता की में कौन हूं?
मिहिर
ये है कौन क्यों ऐसे अड़ा है पहाड़े पिघल रही है और ये सोच वो दुख में पड़ा है पर क्यों माना नदियां सूख रही है खेतों की मिट्टी रेत हो रही है जंगल कम हो गए हवाओं में थोड़ा जहर है तो क्या सरकारें हैं न माना अभी चुनाव है जब नही होगा तब वो दुनिया भर घूम कर पर्यावरण की ही तो बात करते है है तो लोकतंत्र जनता ने सरकार बना दी है वो क्यों पीछे पड़ा है वो है कोन क्यों भूखे अड़ा है !! ©मिहिर #वो है कौन !!
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-कण में बसे प्रभु राम जी । पूछता फिर क्यों कि अंदर कौन है ।।३ और कुछ पल धीर धर ले तू यहाँ । वक़्त बोलेगा धुरंधर कौन है ।।४ एक तेरे सिर्फ़ कहने से नहीं । है खबर सबको सिकंदर कौन है ।।५ दौड़ आयेगा हमारे पास तू । गर पता तुझको हो रहबर कौन है ।।६ तुम कहो तो मान भी लें बात हम । बस बता दो तुम विशंभर कौन है ।।७ बंद हो जायेगी तेरी बोलती जानेगा जब तू कलंदर कौन है ।।८ हम सभी इंसान हैं तेरी तरह । खोजता फिर क्यों तू बंदर कौन है ।।९ इस कदर मत कर गुमाँ खुद पर बशर जान ले लिखता मुकद्दर कौन है ।।१० आज दिल की बात मैं पूछूँ प्रखर । तू प्रखर है तो महेन्दर कौन है ।।११ १९/०३/२०२४ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-क
Shailendra Anand
Village Life रचना दिनांक 14,,,3,,,2024,, वार,,,, शुक्रवार समय काल,, पांच बजे ््््निज विचार ््् ्््््छाया चित्र में भावचित्र खिंचती मुखपृष्ठ स्क्रीन पर मालवी से लोकगीत लोककथा नूक्कड लघु कथा सत्संग प्रेयर निमाडी आदिवासियों की लोक परमपरम्पराऐ में जन मानस जनजीवन पर जिंदगी में पर्व त्यौहार एवं फाग महोत्सव भगोरिया पर्व आदिवासी बहुल इलाकों में इस अवसर पर नयीनवेली नवयुगल में ब्याह शादी विवाह हो जाते है ्््् ्््््् घर आंगन चौक चौराहे पर हुड़दंग मचाने वाले लव में एक स्वर में प्रेम से अन्तर्मन में नाचते गाते नाचने लगे ।। ढोल बाजे बजने लगे नगाड़े बजाकर खुशी में रंगबिरंगे फूल और कांटे पथ्थर से अपनी दिशा लेकर बाजार में ,, शहर में हाट बाजार में एक साथ हंसी ठिठौली करते ।। फाग गायक फागुन गवैया सांझ ढले में ,, एक बार फिर मांद में जाम लगा ताड़ी पीती रहीं है।। ग्राम में शहर से हर एक को राह दिखाने मेंक्या हो प्यारा सा,, जीवन में एक दुसरे को तैयार होकर श्रंगार किया।। छैल छबीला रंग रंगीला बसंत रीतु और फाग महोत्सव,, पर जिंदगी को मस्त कर देख रही है ।। ्््््् ्््भावचित्र ्् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् ््््््दिनाक ्14 ,,,मार्च,,,2024,,, ©Shailendra Anand #villagelife भगौरियां आदिवासियों में खैलती फागुनी बयार में ढोल बाजे बजने लगे फाग महोत्सव मालवों और निमाडियो में होली की हुड़दंग मची है ्््््