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Alpesh sen
Pratik Singhal " Premi "
।। धूप ।। धूप ......... भिन्न भिन्न हैं रुप इसके सरदी गरमी बरसात हर मौसम में अलग ही तपन हैं इसके सरदी की धूप जैसे सभी लोग आराम चाहते हैं गरीबों की दुर्दशा को ये अनदेखा करना जानते हैं गरमी की धूप जैसे सभी को अंगारों सी चुभती हैं वो गरीब की बेटी सभी की आँखों को अखरती हैं बरसात की धूप जैसे दिखाई नहीं देती हैं गरीबों की टपकती छत किसी को दिखाई नहीं देती हैं धूप यही है इसके रुप दशा यही है गरीबों की दुर्दशा।। प्रतिक सिंघल " प्रेमी " #धुप
प्रेरक नीर जैन
सुकून ही सुकून हैं , इस रात के सन्नाटे में ।। सिर्फ जलती हुई बत्तियां हैं , दूर दूर कोई इन्हें देखने वाला नही है ।। #बत्ती #poet_neer
Anita Najrubhai
मीन बत्ती कोभी आखिर मे ही पता चलता है की उसे उस धागे ने खत्म किया जिस कोवो सीने मे छुपा ये रखती थी । ©Anita Najrubhai मीन बत्ती #meltingdown
Rumaisa
दिखा ऐसा कुछ भागता साया जो अँधेरे के तरफ लुप्त हो रही थी निशान और ढांचे का तो अता पता नहीं मेरे सांसें जरूर तेज हो रखी थी तब तलक कोई धीमी सी आवाज मेरी कानो की ओर पहुंची जो अस्पष्टता की लफ्जों मे कैद थी मैं आगे ही बढ़ा, उसे सुनने को ये क्या स्ट्रीट लाइट की बत्ती धम्म से जा डूबी वहाँ पर मेरे सिवा, कोई और भी था जो मेरे शरीर के एकदम साये मे था मेरी फोन की घंटी बजना, और बत्ती जलना इत्तफाक ही था__ ©Rumaisa #horror #बत्ती #eksham
Lk jha
ऐ धूप.... मेरे आंगन में तुम फिर से चले आना जब ठंड लगे तनमन में भोर ना हो प्रांगण में तुम करने को नवनुतन फिर स्वर्ण विखराना... ऐ धुप.... वन आनन खिलने को आतुर प्रकृति प्रेम विरह से व्याकुल जब रूठने लगे प्रियतम तुम फिर उसे मनाना ऐ धुप.... ©Lk jha धुप... #WinterSunset
Burhan kadiyani
ज़रा सी धुप क्या आयी छाव में चले गए थोड़ी लहरे उची उठी तो जहाज़ ही छोड गए #धुप #लहर
Ganesh Din Pal
कई बार गलतफहमी से रिश्ते बिखर जाते हैं। पल-पल जोड़कर बनाए रिश्ते टूट जाते हैं। कभी आवेश में तो कभी ईर्ष्या में रिश्ते बिगड़ जाते हैं। बात समझते नहीं बातों का बतंगड़ कर जाते हैं। तै बड़ी की मैं बड़ी में रिश्ते झुलस जाते हैं। आंख से देखें बिन और कान से सुने बिन विश्वास कर जाते हैं। पता नहीं क्यों लोग एक झटके में प्यार भरे दिल को तोड़ जाते हैं। दीवार अपनों में दीवार परिवारों में बिना सोचे समझे कर जाते हैं। परिवार को चूल्हा समझ लकड़ी लगा जाते हैं। मुद्दतों से सिल-सिल कर बनाए रिश्ते को उघाड़ जाते हैं। कान नहीं टोते कौवा खदेरे जाते हैं। कई बार गलतफहमी से रिश्ते बिखर जाते हैं। ©Ganesh Din Pal #दीमाग की बत्ती जलाओ