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B.L Parihar
*ओ उपवन के माली...* जिस पौधे को स्नेह करों से...रोपा तूने अपने आँगन... मधुर भावों की तूने उसको जाने कितनी खाद खिलाई.. अभी खिले ही थे प्रसून कुछ..शाखें थोड़ी सी लहराई.. तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... तेरे उपवन का ये पौधा...घनी छाँव का आलय बनता.. नन्हें नन्हें दो फूलों का...शाखाओं पर बचपन पलता... जाने क्यों तेरी नज़रों को...ना भायी इसकी तरुणाई... तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... कोमल मन का ये कोटर..अब सूनेपन में मुरझा जाएगा... कैसे अब उम्मीद का पँछी साँझ को लौट के घर आएगा.. जिसके शिखर पर रोज निशा..आकर लेती थी अंगड़ाई.. तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... कब माँगा था इसने तुझसे..हर पल मुझे बहार ही देना... कभी गमों की झुलस ना देना..बरखा की बौछार ही देना.. पतझड़ भी सह लेता हँसकर..तूँ ना देता चाहे पुरवाई... तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... जग-उपवन के माली सुनले..अब कोई तूफ़ान न देना... ना पूरा करना हो जिसको..फिर कोई अरमान न देना... करुणानिधि उपमा है तेरी..करुणा तूने खूब दिखाई... तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... "ओ उपवन के माली"
"ओ उपवन के माली"
read moreGeeta Sharma pranay
"गुलशन का माली " ================ ये जो घर बना हैं,, मेरे पापा की बदौलत हैं, इसकी हर ईट में जान बसी हैं मेरे पापा की,,, एक-एक बूँद इकट्ठा कर अपनी मेहनत से इसे सिंचा है,, उन्हें हमारे गुलशन का माली भी कहूँ तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी,, जैसे माली अपनी लग्न-मेहनत सेज अपने गुलशन को आबाद रखता है वैसे ही मेरे पापा हमारे घर-अँगना को सदैव अपनी खुशबू से महकाते रहते हैं ,,, ये जो घर बना हैं... मेरे पापा की बदौलत ही हैं | विपीन शर्मा'आरव' माली
माली
read moreRupam Rajbhar
ना जाने क्यों फूल उस बाग का अच्छा लगता है, जहां का माली फूलों को दिलो से पानी देता है। 🤗🤗🤗 #माली
Shilpi Vikram
मैंने कभी कहा नहीं, लेकिन एक माला थी बनाई माली ने बड़े प्यार से पिरोए थे मोती चुन चुन के कतार से धागा बांधा था मजबूत प्यार और विश्वास से वर्ष लग गए थे उसको कई ये माला बनाने में बदलने वाली ही थी उसकी माला सुंदर हार में खुश होता था माली मन ही मन वो माला देख के मोती थे प्यारे प्यारे उसमें छोटे और बड़े माली इससे था अनजान हुई थी चूक कोई बड़ी उस प्यारी सी माला में थी कमजोर एक कड़ी टूटी माला, बिखरे मोती अाई मुसीबत थी बड़ी बरसों की मेहनत पल भर में थी मिट्टी में मिली माला के बहाने सुनाई हमने कहानी थी अपनी दर्द उस माली का कैसे बताएं जिसकी माला है बिखरी।। #माली