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SmileyChait
White मेरी राहें बस तेरे तक आती हैं तुझपे ही तो सिर्फ मेरा हक जताती है कुछ अनकहा सा अहसास करा जाती हैं कितने ही लम्हे लोगों के साथ गुजारे हैं हमने पर ना जाने क्यों एक वो तेरी याद बस तुझ तक ले आती हैं ©SmileyChait #GoodMorning बस एक तेरी याद An_se_Anshuman nnupur Author Shivam kumar Mishra SHIVANSH UP WALA Satish agrahari
Gokuksingh Rathore
White वो दिन भी क्या जो आपको याद नहीं कीया भूल कर भी आपने हमें याद नहीं कीया ©Gokuksingh Rathore #GoodMorning भूल गये वो दिन जहां आपने हम को पाया था हमें सब याद है वो दिन जहां हम एक साथ खाना खाया था और उस होटल बिल मेने दिया था क्योंकि आप
Dalip Kumar Deep
Shayer tera ©Dalip Kumar Deep ✍🏿💕💕हम याद नहीं करते तुम आ जाते हो😔🌹🌹
Dalip Kumar Deep
Shayer tera ©Dalip Kumar Deep 🍂🍂🥀वो भी याद आ जाते हैं जो रुला के गये🥀🥀🍂✍🏿
यादववंशी.
ᴋɪsɪ ᴋᴏ ʙʟᴏᴄᴋ ᴋᴀʀ ᴋᴇ ʜᴜᴍ sᴜᴋᴏᴏɴ ᴋᴇ sᴀᴛʜ ɴʜɪ sᴏ sᴋᴛᴇ...🦋 ᴋᴀss sᴍᴊʜ ᴊᴀᴀᴛᴇ ᴀᴀᴘ...🥹 :-) ©ʀᴏʏᴀʟ.यादववंशी. #Block कास ये ब्लॉक का ऑप्शन ना होता 🥹 ब्लॉक करने के बाद उसकी बहुत याद आती है
Niraj Srivastava
White बहुत समय बाद फिर आज, याद जो तेरी आयी है। बीते लम्हों की सौगातें, कुछ संग सजाकर लायी है।। जी करता है वक्त रोककर, वक्त से पीछे खो जाऊँ। देखूँ एक मुस्कान तेरी, यह चाहत दिल में आयी है।। नीरज श्रीवास्तव मोतिहारी, बिहार ©Niraj Srivastava याद #Night #नीरज_श्रीवास्तव #NirajKiKalamSe #niraj_srivastava_motihari #niraj_kavi #niraj #niraj_srivastava #throught #poem Faraz Khan Muke
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।