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Vrishali G
RAVINANDAN Tiwari
अभिभव अंकुरित उपधा, बही विवरण वाणिज। विभव बटोरती बहुधा,नैन-तरन नाचीज़ ।। भाव संभव निरति विधा,कुचैन हरण खनिज। भवसंभव पूर्ति पौधा,वरण सुगंधा बीज।। ©RAVINANDAN Tiwari #हल्के_कलम पराजय भाव से कपट आरंभ होता है, लेखा-जोखा व्यवसायिक है ! अक्सर आँखों में तैरने वाली दौलत बटोर लेती है ! भाव से संभव है भक्ति , जो
Sunita D Prasad
फफोले आज भी वो छुअन, वो तिरस्कार फफोलों की तरह एक टीस दिल तक ले जाता है...। (Read in caption) रंग-बिरंगी तितलियों के बीच,नीले गहरे घाघरे और नारंगी चुनर में, दुल्हन के लिबाज में सुगंधा का रूप आज चाँद को मुँह चिढ़ाता हुआ सा प्रतीत हो र
Ruhani Ishq Hai
एक नाम नहीं पहचान है मेरी "तुलसी" मेरे जीवन का निहित सार है "तुलसी" मेरे माता पिता द्वारा दिया वो असीम आशीर्वाद है "तुलसी" अमृता पत्रपुष्पा सुगंधा जिसके पर्याय है उस पवित्र पौध का मान है "तुलसी" और मेरा अभिमान है "तुलसी" इस शब्द विहीन मै असंभव हूं मेरे सरल जीवन की पहचान है "तुलसी" "तुलसी" मेरा परिचय है "तुलसी" मेरा आधार इस शब्द बिन मेरी क्या औकात ✍️एक अल्फ़ाज़ - "तुलसी" (Tulsi sahani) देवभूमि उत्तराखंड ©Tulsi Sahani एक नाम नहीं पहचान है मेरी "तुलसी" मेरे जीवन का निहित सार है "तुलसी" मेरे माता पिता द्वारा दिया वो असीम आशीर्वाद है "तुलसी" अमृता पत्रपुष्पा
Pankaj Singh Chawla
मेरे दातेया तेरी रहमत दी कि करा वड़ियाई, तू आज फिर मेरी जान बचाई, इसे विच मेरी सी भलाई, समझ न पाया उस वेले जदो विपदा सी बन आई, कित्ता ना काम मत्त मेरी ने, मैं तेनु वी सुनाई, रब्बा की गलती सी मेरी, जो इह विपदा मेरे नाल बन आई, तू ता रख हाथ अपने दास दे सर ते रहमत सी वरसाई, पर उस वेले तेरे दास दे समझ न आई, बैठ आराम कित्ता जदो उसने, दिमाग दी नस फड़फड़ाई, हो सकदी सी वड़ी घटना मेरे दाते मेहेर वरसाई, मेरे दातेया तेरी रहमत दी कि करा वड़ियाई, तू आज फिर मेरी जान बचाई।। आज फिर मेरे सतगुरु ने मेरी लाज रख ली, सुबह से रात तक का दिन बहुत कठिन रहा, सुबह सुबह चोट लगने से बचा, काम पर जाने के बाद एक वर्दी वाले ग्राह
अज्ञात
पेज-62 इससे तरावट रहेगी तो शादी में खूब मस्ती भी करेंगे और आप अपना लाइव परफॉर्मेंस भी शानदार करेंगे..! ठीक है मैं लाती हूं... 🙄इन श्रीमान जी का क्या है कोर्ट कचहरी में मुफ्त की चाय डकारते होंगे तो आदत बन गई होगी,और मेरी माने तो कथाकार महोदय आप भी चाय पीना बंद कर दीजिये बल्कि आज से ही कसम खाइये हम चाय नहीं पियेंगे..बोलो बोलो.. खाओ खाओ.. ! आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-62 राकेश-क्या खाओ.. ! पुष्पा जी-अर्रे कसम खाओ..! राकेश-पहले चाय पिलाओ फिर कसम भी खा लेंगे..! क्यूँ जी आप सब क्या कहते ह