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Advocate Gautam kejriwal
My Heart बहुत दिन हुए गौतम ,कुछ लिखा नही तुमने, दिन बहुत गुजर गए,कुछ सीखा नही हमने। ऐ "कॅरोना" दो ही दिनों में, क्या-क्या बता दिया तूने, सोचा भी न था, कितना कुछ सीखा दिया तूने। अपनो से दूर रहना जरूरी है, एक-एक मीटर दूर , बैठना मजबूरी है। कितनी भी चाहत हो, पर न हाथ मिलाओ दोस्तो से, आराम कर-कर के थक जाओ, पर न टहलो रास्तो पे। कुछ भी छूना, हाथ धोना मत भूलना, बिना मास्क पहने, घर मत छोड़ना। बालकनी में बैठ गौतम, मस्ती से घंटी बजाना है, छतों पर दिए जलाकर , अपनी एकता को दिखाना है। ऊब जाएंगे हम घर पर रहकर,पर ऐ "कॅरोना" तुझको हराएंगे। भगाएंगे तुझको और फिर, खूब जश्न मनाएंगे। Composed by---- Gautam kejriwal(Advocate) ©Advocate Gautam कॅरोना डेज
R.J...Laik Ahmed
ये वक्त ये दौर ये शहर सबसे अलग है, हिंदी अपनी जगह और आज अंग्रेज़ी का दौर है, हिम्मत मिलती है सबसे, और लिखता हूं शब्द हिंदी में, बदलता है पल लिखने की कोसिस से, आज चल पड़ी है किस्मत इंग्लिश के दौर से ... ! ©R.J...Laik Ahmed #English हैप्पी इंग्लिश लैंग्वेज डेज .. R.J LAIK #Story #share #Videos #nojoto #Hindi
Dev Dahiya Dahiya
Writer1
आओ सब को 90's की बात सुनाऊं जब घर में, शर्ट वाला ब्लैक एंड वाइट टीवी हुआ करता था, ऊंचाई पर एंटीना होता था, ग्रीष्म काल का महीना था, उस वक्त पारिवारिक वातावरण की थी हवाएं, रंगोली और चित्रकार सबका मनोरंजन कराएं, हर रविवार और शुक्रवार को सुबो-शाम आते थे, रेडियो सबके पसंदीदा गाना सुना मन था बहलाते थे। अपराजिता जैसे धारावाहिक हमारे फर्ज से अवगत कराते थे, मालगुडी डेस, महाभारत हमें इतिहास से रुबरु कराते थे, रामायण जैसे धारावाहिक हमें अपने संस्कारों से मिलाते थे। पिताजी मेरे, का मनपसंद था व्योमकेश बख्शी,हमारी उत्सुकता बढ़ाते थे, अगले पल क्या होगा मैं और पिताजी अनुमान लगाकर शर्त लगाते थे। इसी बहाने से पिताजी हमें जिंदगी का असली सबक सिखाते थे। मेरे छोटे भाई का अति प्रिय शक्तिमान, काल्पनिक था यह सारा, परंतु आखिर में पसंदीदा पात्र, सभी दार्शनिक को एक अच्छी बात बताते थे। दूरदर्शन और मेरा बचपन मानो एक जैसा था, दूरदर्शन पर बुनियाद धारावाहिक मेरा अति प्रिय था, बुनियाद की कहानी मुझे घर जैसी लगती थी। उस वक्त लोगों का दूरदर्शन पर सबका, विश्वास था और यह सब के लिए खास था। "ध्यान रहे कि यह कोई प्रतियोगिता नहीं है" दिए गए शब्द (एंटीना, बूस्टर, रंगोली, चित्रहार, बुधवार, रविवार, शुक्रवार, मालगुडी डेज, व्योमकेश बक
sandy
❤️💛❤️💛 तिची पैंजण 💛❤️💛❤️ माझं फारसं येणं नसायचं. मी पुष्कळदा बाहेर असायचो. मी तिच्याशी कित्येक महिने बोललो नाही. ते सोडा, साधं भेटलो पण न