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Rameshkumar Mehra Mehra
सदियो से.......... प्रेम का प्रस्ताव हमेशा....! पुरुष की तरफ से आता रहा है...!! पर.....अंत तक....!!! रिश्ता निभाने की ज़िम्मेदारी...!!!! हमेशा स्त्री की रही है..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # सदियों से,प्रेम का प्रस्ताव हमेशा,पुरुष की तरफ से आता रहा है,पर....अंत तक,रिश्ता निभाने की जिम्मेदारी,हमेशा स्त्री की रही है......
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्यायवाची नाम है।। ©N S Yadav GoldMine #SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्य
विपिन सिंह फौजी
" मुझे किसी महिला के द्वारा की गई प्रशंसा का एक शब्द किसी पुरुष की पूरी कविता से अधिक प्रिय है। ©विपिन सिंह फौजी #Tulips " मुझे किसी महिला के द्वारा की गई प्रशंसा का एक शब्द किसी पुरुष की पूरी कविता से अधिक प्रिय है।
Yogi Sonu
Andy Mann
Village Life पुरुष जब किसी स्त्री को चाहता है तो उसका सर्वस्व चाहता है, उसके दुःख, सुख, प्रेम, ईर्ष्या सब कुछ पर अपना पूर्ण अधिकार चाहता है, पुरुष अपनी प्रिय स्त्री के आंसुओ के एक बूंद को भी किसी के साथ साझा नही करना चाहता है। ❤️ ©Andy Mann #पुरुष
Harish Labana
एक पुरुष समय के साथ , सबसे उम्मीदें रखना छोड़ देता है। क्योंकि इस समाज ने उसे , कभी उम्मीदें रखने ही नहीं दी ।। IG:- words_with_heart_ ©Harish Labana एक पुरुष । । #HappyRoseDay
'मनु' poetry -ek-khayaal
Rameshkumar Mehra Mehra
उसे दिल से निभाए..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # मायार्दा में रहना अगर स्ञी का सन्मान है, तो पुरुष का मतलब बनता है,उसका सन्मान करना.....
पूर्वार्थ
सुनो! तुम पुरुष हो तुम्हारी तारीफ़ के लिए मैं किसी भौतिक वस्तु का सहारा नहीं लूंगी मैं नहीं कहूंगी तुम खूबसूरत हो मैं नहीं कहूंगी तुम्हारे माथे पर ये चांद सी बिंदी तुम्हारे कानों में वो गुंबदनुमा झुमके तुम्हारी घनी काली जुल्फों की छाया...!. तुम पुरुष हो तुम्हारे हाथों में चूड़ियां भी नहीं खनकतीं तुम्हारे पैरों ने पायल भी नहीं बजतीं न तुम्हारे पैरों की उंगलियों में सजती है कोई बिछिया मैं तुम्हारी तारीफ के लिए तुम्हारे बालों में किसी गजरे से लेकर पैरों के बिछिया तक का कोई सहारा नहीं ले पाऊंगी। मैं लिख भी नहीं सकूंगी कोई कविता गीत ग़ज़ल तुम्हारी तारीफ़ में। तुम पुरुष हो दुनियां की सारी भाषाओं के सारे अक्षर ढूंढ लिए तुम्हारी तारीफ़ के लिए कोई शब्द ही नहीं मिले लेकिन तुम जानते हो? तुम्हारी ’तारीफ़’ शब्दों से परे है कोई वर्णमाला तुम्हारी तारीफ़ नहीं कर पाएगी तुम समझ सको तो समझना सुन सको तो सुनना तुम्हारी तारीफ़ में कहे जाने वाले मेरे अनकहे शब्द जब भी मैं प्रेम से निहरूंगी तुम्हें क्यों कि तुम पुरुष हो और मैं 'नि:शब्द' हूं तुम्हारे लिए तुम्हारी तारीफ़ में हे मेरे प्रिय पुरुष! ©पूर्वार्थ #पुरुष