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P Rai Rathi
बीते हुए पल याद आने लगे हम जिन्हें यूँ ही भुलाने लगे एक खत महकता निकला हाथ मे जैसे खजाने लगे। खतों में अक्सर पन्ने नहीं होते रोकर खुद को समझाने लगे। काश ओर पढ़ा होता ऊनको हर हर्फ वफ़ा के तराने लगे। छोड़ आए मुहब्बते आज कहाँ #राय जिन्हें होने में जमाने लगे। P rai P rai #बीते हुए पल
Nikhil kumar Nitya
मेरा सडक से खड़े होकर ताकते रहना तेरा खिड़की से खड़े होकर झाकते रहना बडा याद आता है कॉलेज मे तेरा ठण्ड से कापते रहना मेरे पास खड़े होकर तेरा तापते रहना बडा याद आता है तेरी तीरछी आँखो से मुझे देखना मेरे देखने पर नजरे झुका लेना बडा याद आता है तेरा लंच बॉक्स मुझे पसन्द आ जाना तेरे मना करने पर छीन के खा जाना बडा याद आता है बीते हुए पल
MUNNA KUMAR GANDHI
बीते हुए पल और गुजरे हुए दिन की परवाह न करें आने वाला कल आपका स्वागत कर रहा है ©MUNNA KUMAR बीते हुए पल
अदृश्य रंग
क्षण - क्षण जोड़ कर बुना , पलों का एक आशियाना। अगर तुम ना होते तो, खो देते यादों का समन्दर सारा।। ©अदृश्य रंग # बीते हुए पल
Harikesh Singh
आज भी याद है वह हाई स्कूल के दिन जब वह बराबर में बैठा करती थी उसके चक्कर में चाहे कितनों से भी लड़ाई लड़नी पड़े पर बैठना उसी के पास था हाय रब्बा वह यादें कहां गई ©Harikesh Singh बीते हुए पल
kishor kumar deshmukh
"बीते हुए पल" कहां गए, वो बीते हुए पल गुजरे हुए कल ख्वाबों के वो दिन मुलाकातों का वह दौर कितना हसीन लगता था वह पल बीता हुआ कल बातों मुलाकातों का वह दौर गुजरा हुआ कल खुशी के वह हसीन पल साथ -मिलकर हंसना -मुस्कुराना रूठना फिर मान जाना चिट्ठियों का वह दौर प्रेम और स्नेह का शोर मुलाकातों का वह दौर हंसते -मुस्कुराते मिल बैठकर बातें करना, मानो ऐसा लगता है , जैसे बीते दिनों की बात हो गई अब सोशल मीडिया जो आ गई ऑनलाइन का जो जमाना है ना चैन है ना राहत है मोबाइल की जो चाहत है क्या दिन क्या रात है मोबाइल में नई नई चीजों की जो सौगात है सुबह उठते ही गुड मॉर्निंग से शुरुआत हो जाती है संदेशों से एक दूसरे की हालचाल की बात हो जाती है मुलाकातें तो अब जैसे बीते दिनों की बात हो गई है सुबह से लेकर रात तक अफवाहों का बाजार गर्म है सोशल मीडिया में जो लड़ाने वालों की भरमार है सोचना तो हमने कब का छोड़ दिया है आजकल पका -पकाया जो मिल जा रहा है सही गलत की पहचान के बिना फॉरवर्ड पे फॉरवर्ड किया जा रहा है अफवाहों के जायको का मजा जो लिया जा रहा है अफवाहों के इस बाजार में एक- दूसरे से दूरियां जरूर बढ़ा दी है मुलाकातो का वो दौर तो अब जैसे बीते दिनों की बात हो गई है | किशोर कुमार देशमुख दुर्ग छत्तीसगढ़ ©kishor kumar deshmukh बीते हुए पल #Waqt
Ashish Kumar Mishra
मैंने आजाद कर दिया हर रिश्ता और हर वो इंसान जो सिर्फ अपने मतलब के लिये मेरे साथ था ©Ashish Kumar Mishra जिंदगी के बीते हुए पल
Sunilkumar Sp
बीते हुए पल दर्द इतना है कि कहूं कैसे, आपकी याद मुझे आती है। जब से दूर हुए हो तुम मुझसे, रात भर नींद नहीं आती है। भूल जाऊं मैं अब तुम्हें कैसे, बीती हुई शाम याद आती है। कमी क्या है मेरी बता दो तुम, ऐसे क्यों छोड़ के तुम जाती हो। फोन पर बात मैं यू करूं कैसे, काल मेरा तुम काट देती हो । एक नजर आज मैं तुम्हें देखा, तुम नजर मुझसे ना मिलाती हो। प्यार मैंने ही तो किया तुमसे, फिर भी तुम क्यों मुझे रुलाती हो। ।।सुनील कुमार।। #NojotoQuote बीते हुए पल की यादें
sneha raj
बचपन का क्या जमाना था, सब अपना ना कोई पराया था। झूम झूम कर गाते थे, घूम घूम कर खाते थे। मस्ती में दिन-रात था, मां की गोद में सर और हाथ में किताब था। पापा की डांट में भी प्यार था, और रोने पर हाथों में चॉकलेट का अंबार था। मिल बांट कर हम खाते थे, दौड़ दौड़ कर ललचाते थे। ना किसी से ईर्ष्या थी ना किसी से दोएस था, परिवार का आना जाना था। हमें तो बस मिठाई का दोना खाना था। पास पड़ोस में भी प्यार था, ना किसी से झगड़ा न किसी का अलग विचार था। सब करते थे एक दूसरे की मदद हर दिन प्रेम का त्यौहार था। दादी नानी बच्चों को कहानियां सुनाती थी, दादा नाना के कंधों पर बचपन गुजरती जाती थी। वह दिन खेल खिलौने के थे, सबका सोच बड़ा ही प्यारा था। तेरा मेरा का किस्सा ना था, कोई किसी का हिस्सा ना था। रिश्तो में प्यार,इज्जत ,मान सम्मान था , वह पल भी क्या खूब निराले थे। जो लौट के कभी ना आने वाले थे। जो लौट के कभी ना आने वाले थे। ©sneha raj बीते हुए पल बचपन के #ChildrensDay