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Babli Gurjar

अमृत #शायरी

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Vivek

# अमृत #कविता

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मलंग

Kirtesh Menaria

#अमृत

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अमृत की हसरत मे भटके दर दर 
पर हर किनारे जहर का प्याला ही पाया 
©kirtesh #अमृत

Vikas Dhaundiyal

अमृत

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उसे मिलने था बुलाया 
क्या बोलूँगा सोच ना पाया 

वो आयी, मैं कुछ ना बोला 
उसने अपना हाल ए दिल बताया 

वो चाहती थी मुझे, मैंने तो जैसे 
बिन मांगे अमृत को पाया अमृत

मलंग

Parasram Arora

अमृत #कविता

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Zakir Qadri

अमृत

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दरवाज़ा कई चेहरे वीरान है इस धरती पर

अब हम सबके मन को भा जाए
कोई अमृत थोड़ी है

©Zakir Qadri अमृत

pramod malakar

#अमृत महोत्सव #समाज

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आजादी का 75 वर्ष
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अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा 
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प्रमोद मालाकार
प्रदेश कार्यसमिति सदस्य
झारखंड 
भाजपा , OBC.
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©pramod malakar #अमृत महोत्सव

Laxmi Yadav

# अमृत मंथन #ज़िन्दगी

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आज आराधना बहुत रोमांचित थी। उसकी वंदना दीदी बरसों बाद मुंबई आ रही है। उनका ऑपरेशन करवाना है पर इसी बहाने दोनों बहनें का मिलन तो होगा। मुंबई की होते हुए भी दीदी की शादी गाँव मे हुई थी। उस की दीदी रौब्दार, जिद्दी और सख़्त मिजाज की थी, पर दिल की भली थी। आराधना को थोडी फिक्र अपनी विजातीय बहु मानसी को लेकर थी। पर दीदी के लिए कमरा सजाने का आनंद उस पर हावी था। मानसी शहर की पढ़ी- लिखी समझदार नौकरी पेशा लड़की थी। इसीलिए रौनक ने उसे पसंद किया था। आखिर दीदी आई। उनका ऑपरेशन भी सफलता पूर्वक हुआ। बहु मानसी ने भी खूब सेवा की। रौनक को समय ना भी हो तो खुद वंदना दीदी का चेक उप करवाने ले जाती। सारी दवाएं समय समय पर देती, बिना भूले फल लेकर आती। आराधना भी खुश थी। वंदना दीदी के साथ बचपन व माइके की मधुर स्मृतियाँ परम आनंद देती थी। 
वंदना दीदी की दो बहूँए थी।बड़ी बहु सुमन ग्रैजुएट थी। उसे दो बेटी थी। पर दीदी उसे नीचा दिखाने का एक मौका नहीं छोड़ती ।छोटी बहू विमला की आगे पढ़ने की बहुत इच्छा थी, पर दीदी ने इजाजत नही दी। मजाल है दोनों के सर से पल्लू हट जाये,बहुत सख्ती रखती थी। 
पर ना जाने क्या मानसी की सेवा का मोह जादू चला । आराधना ने वंदना दीदी को मानसी से ये कहते सुना की तुम्हारे जैसा सूट मुझे अपनी बहुओं के लिए भी लेना है। फिर बोली छोटी बहु विमला को आगे पढ़ाई का फारम भरने को कह दिया है। 
वंदना दीदी रोज़ धार्मिक ग्रंथ पढ़ती थी। आज वो ' अमृत मंथन ' अध्याय पढ़ रही थी। आराधना ने हँस कर पूछा " इस अध्याय मे क्या पढ़ा? आपने "वंदना दीदी ने मुस्कुरा कर कहा " पुराने और नये विचारों का मंथन हुआ। उसमें से नये विचारों का अमृत प्राप्त हुआ। तुमने और तुम्हारे बहु मानसी ने मेरे पुरानी मानसिकता के विष को निकाल डाला। "आराधना  इसका गूढ़ रहस्य समझ कर बस मुस्कुरा दी।

©Laxmi Yadav # अमृत मंथन
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