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Subhi Singh
White """तुम्हारे चेहरे पर इतनी चिंता क्यों है, विनोद? कोई समस्या है क्या?"" अमन ने पूछा, जब उसने अपने सहकर्मी को लगातार परेशान देखा। विनोद ने घबराई आवाज में कहा, ""मुझे नहीं पता, तुम मेरी बात पर यकीन करोगे या नहीं, पर मेरे घर में कुछ गड़बड़ है। कल रात, बर्तन खुद-ब-खुद गिरने लगे, खिड़कियाँ तेज आवाज करने लगीं, और किसी ने मेरी रजाई खींच ली।"" अमन, जो पुरातत्व विभाग में कंस्ट्रक्शन अधिकारी है, रहस्यमयी घटनाओं और भूत-प्रेत से जुड़े मामलों में गहरी रुचि रखता था। उसे अक्सर ऐसी जगहों पर काम दिया जाता था, जहां लोग अजीब घटनाओं के कारण रुक नहीं पाते थे। विनोद उसका ऑफिस कलीग था और एक नए शहर में खुद को अकेला महसूस कर रहा था। ""अगर तुझे कोई दिक्कत न हो, तो आज रात मैं तेरे घर पर रहकर सब देखूंगा। मुझे अपनी आँखों से देखना होगा, तभी मैं मदद कर पाऊंगा,"" अमन ने गंभीरता से कहा। विनोद की आँखों में आँसू आ गए। ""तुम मेरे लिए इतना करोगे? इस नए शहर में, तुम ही एक हो जिसने मेरी बात सुनी।"" अमन ने विनोद को अपने घर भेज दिया और गंगाजल, स्वास्तिक, देवी माँ की मूर्ति और माला लेकर विनोद के घर पहुँचा। अमन ने अपने गुरु से आत्माओं और तंत्र विद्या का गहन अध्ययन किया था, जो उसे ऐसी स्थितियों को संभालने में मदद करता था। जैसे ही वह कमरे के बीचों-बीच लाल कपड़ा बिछाकर पूजा शुरू करता है, खिड़कियाँ ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगती हैं। एक अजीब सन्नाटा पूरे कमरे में फैल जाता है। अमन मंत्रोच्चार करता है और आत्मा से बात करने की कोशिश करता है। ""तुम कौन हो? मुझे पता है तुम पवित्र आत्मा हो। तुम्हें जो चाहिए, मैं मदद करूँगा।"" धीरे-धीरे, कमरे में एक धुंधली परछाई प्रकट होती है। एक सुंदर, दुबली-पतली युवती सिंदूर के गोले के अंदर बैठी हुई है। उसकी आँखों में दर्द और गुस्सा झलक रहा है। ""मैं रजनी हूँ। मेरे पति और सास ने मुझे मार दिया। मेरी लाश यहीं दफनाई गई है। जब तक उन्हें सजा नहीं मिलती, मैं किसी को यहाँ चैन से नहीं रहने दूँगी।"" रजनी की बात सुनकर अमन चौंक जाता है। क्या अमन सच में रजनी को मुक्ति दिला पाएगा? या उसकी आत्मा किसी और बड़ी मुसीबत का संकेत दे रही है? " ©Sumit Prajapati #story #kahani #Bhut भूत वाली फिल्म
Rohan Roy
White ना नास्तिक का कोई अपना धर्म है, ना आस्तिक का कोई अपना धर्म है। फिर भी ये एक दूसरे के धर्मों के खिलाफ लड़ रहे हैं। जबकि यह दोनों ही सामान्य इंसान है। और इंसानियत ही, इनका सबसे पहला धर्म है। नास्तिक ना देव की पूजा करता है, ना पत्थरों को देव मानता है, फिर भी चारों तरफ ईश्वर को पाता है। और आस्तिक देव की पूजा करता है, पत्थरों को अपना देव मानता है, किंतु गंगा जैसी पवित्र नदियों में पाप धुलने की भूल क्यो करता है। ©Rohan Roy ना नास्तिक का कोई अपना धर्म है, ना आस्तिक का कोई अपना धर्म है। | #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #rohanroymotivation
ना नास्तिक का कोई अपना धर्म है, ना आस्तिक का कोई अपना धर्म है। | #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #rohanroymotivation
read moreS
White happy prapose day ❤️❤️ ©S #love_shayari फिल्म भोजपुरी भूत वाली फिल्म
#love_shayari फिल्म भोजपुरी भूत वाली फिल्म
read moreJhhhh
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset hii kya hua kuch nahi h ©Jhhhh #SunSet भूत वाली फिल्म
#SunSet भूत वाली फिल्म
read morePranjal Srivastava
Unsplash big boss in hindi at the bride of water and your family 3 days ke liye sorry Bua ke liye sorry Bua ke liye sorry Bua ke liye sorry Bua ke liye sorry ©Pranjal Srivastava #leafbook भूत वाली फिल्म बॉलीवुड फिल्म
#leafbook भूत वाली फिल्म बॉलीवुड फिल्म
read moreVs Nagerkoti
Red sands and spectacular sandstone rock formations किस तरह आपको मिला हुआ वरदान भी आपके लिए श्राप साबित हो जाता है । जब आपका लोगों को आसानी से पढ़ लेना ही आपको बेहद तकलीफ देता है । जब आपको महशुश होता है की जिन्हे आप सबसे ज्यादा पसंद करते है वही आपसे सबसे ज्यादा नफरत करते है ।सोचो कैसा लगता होगा उस वक्त । मन की क्या दशा होती होगी । वो इंसान रोज आपके सामने एक ही नाटक करता है।और आपको पता भी होता है। फिर भी आप कुछ नहीं कहते । ©Vs Nagerkoti #Sands यहां लोगों को समझना आपका एक वरदान है । जिससे आपको महसूस होता है कि यहां कोई अपना नहीं है । बल्कि अपने होने का जर्बदस्त नाटक कर रहे
#Sands यहां लोगों को समझना आपका एक वरदान है । जिससे आपको महसूस होता है कि यहां कोई अपना नहीं है । बल्कि अपने होने का जर्बदस्त नाटक कर रहे
read moreMayuri Bhosale
नाटक.... जीवन आहे एक न संपणार नाटक, सगळे लोक असतात याचे पात्र आणि घटक. नाटक असते एक रंगभूमी, पण कलाकारांची असते ती कर्मभूमी. इथे सादर करतात अनेक कला, प्रश्न व उत्तर यांची मोजली जाते मग तुला. कलाकार मंडळी करतात अनेक वेशभूषा, सादरीकरण असे जणू की न संपणाऱ्या वेड्या आशा. पडद्यामागच्या लोकांची इथे गोष्ट असते वेगळी, पडदा उघडताच समोर येतात रोज नव्या खेळी. नाटक आहे सुंदर आयुष्याचे गीत, शेवटी लोक पाहतात यामध्ये सत्याचीच जीत. असे हे नाटक कधीही न उलगडणारी कथा, सगळ्यांच्याच आयुष्याची असते ही व्यथा. ©Mayuri Bhosale नाटक
नाटक
read moreMayuri Bhosale
नाटक.... जीवन आहे एक न संपणार नाटक, सगळे लोक असतात याचे पात्र आणि घटक. नाटक असते एक रंगभूमी, पण कलाकारांची असते ती कर्मभूमी. इथे सादर करतात अनेक कला, प्रश्न व उत्तर यांची मोजली जाते मग तुला. कलाकार मंडळी करतात अनेक वेशभूषा, सादरीकरण असे जणू की न संपणाऱ्या वेड्या आशा. पडद्यामागच्या लोकांची इथे गोष्ट असते वेगळी, पडदा उघडताच समोर येतात रोज नव्या खेळी. नाटक आहे सुंदर आयुष्याचे गीत, शेवटी लोक पाहतात यामध्ये सत्याचीच जीत. असे हे नाटक कधीही न उलगडणारी कथा, सगळ्यांच्याच आयुष्याची असते ही व्यथा. ©Mayuri Bhosale नाटक
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