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Pratyush Mishra

जितने अपने थे सब पराए थे #Shayari

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Pratyush Mishra

जितने अपने थे सब पराए थे.... #कविता

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encourage.to_live

जितने अपने थे, सब पराये थे... #Poetry

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Bunty Yadav

#Buntyyadav 19 जितने अपने थे #Music

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Dr. kem Manutal

जितने अपने थे

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Pratyush Mishra

जितने अपने थे सब पराए थे.... #शायरी

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Sarfaraj idrishi

के जितने अपने थे सब पराए थे, 🔚 हम हवा को गले लगाए थे। 😊 #Savera Ankita Tantuway Chetan Patel POOJA UDESHI Rajan Singh lekhak sandesh #Life

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सवेरा के जितने अपने थे 
सब पराए थे,
 हम हवा को गले लगाए थे।

©Sarfaraj idrishi के जितने अपने थे सब पराए थे,

🔚
 हम हवा को गले लगाए थे।

😊
#Savera  Ankita Tantuway Chetan Patel POOJA UDESHI Rajan Singh lekhak sandesh

Subhay Kumar

#tereliye #rahatindori जितने अपने थे सब प्रए थे। Saddam Qureshi Sanawrites_______ Eisha mahimastan Ghazal Boy Rashmi Nayak #शायरी

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SHAYARI BOOKS

जितने अपने थे, सब पराये थे, हम हवा को गले लगाए थे. जितनी कसमे थी, सब थी शर्मिंदा, जितने वादे थे, सर झुकाये थे. जितने आंसू थे, सब थे बेगाने

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जितने अपने थे, सब पराये थे,
हम हवा को गले लगाए थे.

जितनी कसमे थी, सब थी शर्मिंदा,
जितने वादे थे, सर झुकाये थे.

जितने आंसू थे, सब थे बेगाने,
जितने मेहमां थे, बिन बुलाए थे.

सब किताबें पढ़ी-पढ़ाई थीं,
सारे किस्से सुने-सुनाए थे.

एक बंजर जमीं के सीने में,
मैने कुछ आसमां उगाए थे.

सिर्फ दो घूंट प्यास कि खातिर,
उम्र भर धूप मे नहाए थे.

हाशिए पर खड़े हूए है हम,
हमने खुद हाशिए बनाए थे.

मैं अकेला उदास बैठा था,
सामने कहकहे लगाए थे.

है गलत उसको बेवफा कहना,
हम कौन सा धुले-धुलाए थे.

आज कांटो भरा मुकद्दर है,
हमने गुल भी बहुत खिलाए थे. #NojotoQuote जितने अपने थे, सब पराये थे,
हम हवा को गले लगाए थे.

जितनी कसमे थी, सब थी शर्मिंदा,
जितने वादे थे, सर झुकाये थे.

जितने आंसू थे, सब थे बेगाने

SHIVANSH

जितने अपने थे सब पराए थे हम हवा को गले लगाए थे जितनी क़समें थी सब थीं शर्मिंदा जितने वादे थे सर झुकाए थे जितने आँसू थे सब थे बेगाने जितने मे

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जितने अपने थे सब पराए थे
हम हवा को गले लगाए थे
 जितनी क़समें थी सब थीं शर्मिंदा
जितने वादे थे सर झुकाए थे
जितने आँसू थे सब थे बेगाने
जितने मेहमां थे बिन बुलाए थे
सब क़िताबें पढी पढ़ाई थीं
सारे क़िस्से सुने सुनाए थे
 एक बंजर ज़मीं के सीने में
 मैंने कुछ आसमां उगाए थे
 वरना औक़ात क्या थी सायों की
 धूप ने हौसले बढ़ाए थे
सिर्फ़ दो घूंट प्यास की ख़ातिर
उम्र भर धूप में नहाए थे
 हाशिए पर खड़े हुए हैं हम
 हम ने ख़ुद हाशिए बनाए थे
 मैं अकेला उदास बैठा था
 शाम ने कहकहे लगाए थे
 है ग़लत उस को बेवफ़ा कहना
हम कहां के धुले धुलाए थे
आज कांटों भरा मुक़द्‌दर है
हम ने गुल भी बहुत खिलाए थे जितने अपने थे सब पराए थे
हम हवा को गले लगाए थे
 जितनी क़समें थी सब थीं शर्मिंदा
जितने वादे थे सर झुकाए थे
जितने आँसू थे सब थे बेगाने
जितने मे
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