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Shreyansh Gaurav
White तुम्हारी यादें मेरी जां लें के जायेंगी थक गया हूँ, मुझे सुलाने यें आयेंगी.! नहीं इनसे नहीं होता है कुछ भी यहाँ बस मुझमें हलचल करके जायेंगी.!! ©Shreyansh Gaurav #यादें #दो शब्द
BANDHETIYA OFFICIAL
White जीवन -मरण ,माया-मोह ,सब अपरोक्ष, मोह का क्षय हो पाये, दो दिये मोक्ष। मृत्यु -मात्र से काम न चलना, वो तो जीवन में इक पलना, पलते झूलते रहे झल ना। देह छोड़ बस सुख क्या पाऊं, जीते जी तुमको समझाऊं, मरके जो तुम तक मैं आऊं। ©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodNight #मोक्ष दो।
#GoodNight #मोक्ष दो।
read moreAnuj Ray
White दो मुसाफ़िर " घर से चले थे साथ साथ दो मुसाफ़िर, राहों में मगर रास्ते दोनों के अलग हो गए, खाई थी साथ निभाने की कसम ज़िन्दगी भर के लिए, राहों में अचानक से जुदा हो गए। ©Anuj Ray # दो मुसाफ़िर
# दो मुसाफ़िर
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
green-leaves देखते देखते जनवरी दो हो गई, एक थी क्या बुरी थी? ©BANDHETIYA OFFICIAL #GreenLeaves दो जनवरी
#GreenLeaves दो जनवरी
read moreAnuradha T Gautam 6280
#बीन सांप और रस्सी को लेकर कभी भ्रम हो तो तुरंत मोबाइल पर बिन की धुन बजाना सांप होगा तो फन उठा कर नाचे बिना नहीं मानेगा..🖊️
read moresweety
Unsplash छुपा कर इश्क़ की ख़ुशबू को रखा नहीं जाता.. नज़र उसको भी पढ़ लेती है जो लिखा नहीं जाता.. !! ©sweety खूबसूरत दो लाइन शायरी
खूबसूरत दो लाइन शायरी
read moreParasram Arora
Unsplash बहूत रात जागने के बावजूद. एक गहरी नींद मुझे मिली नहीं कितना बड़ा ये जहांन है फिर भी रहने के लिए दो गज़ ज़मीन मुझे मिली नहीं खुलकर रोने क़ी ख़्वाहिश थीं मेरी. पर रोने के लिए घर मेi खाली कोना मुझे मिला नहीं ©Parasram Arora दो गज़ जमीन
दो गज़ जमीन
read moreAdv AK Valmiki
नाग अर्चना संस्कृति हमार। मैं हृदय से शीश नवाऊं।। दो मुंहा से दूरी भली। जाने कौन मुंह दंश मिले।।
read moreShashi Bhushan Mishra
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
#आस्तीन के सांप बहुत थे#
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