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Usha bhadula

#children'sDay बाल गीत #कविता

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Usha bhadula

#Connections बाल गीत #कविता

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suraj_raj_megh

हिन्दी बाल गीत #कविता

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Pushpendra Pankaj

#bekhudi बाल-गीत #कविता

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Diplal Kumar

सुनहरे बाल गीत #innocentchild #प्रेरक

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डॉ. शिवानी सिंह मुस्कान

सुप्रभात एक बाल गीत सादर समर्पित 🙏

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बादल की लेकर पिचकारी
दौड़ पड़ी है बरखा रानी।

धरती के ऊपर फिर बरसा 
जैसे रिमझिम रिमझिम धानी।।

काँप उठी फिर धरती थरथर,
लगी ठंड तो बोली हस कर,
बहुत हो गया खेल सखी अब 
डाल न मुझपर ठंडा पानी।

धरती के ऊपर फिर बरसा
जैसे रिमझिम रिमझिम धानी।।

सखी बचाओ कह वो भागी,
सुनकर धूप नींद से जागी,
क्यों री बरखा बार बार तू
 करती है अपनी मनमानी।

धरती के ऊपर फिर बरसा
जैसे रिमझिम रिमझिम धानी।।

बरखा बोली -लो जाती हूँ,
तुम दोनों को कब भाती हूँ,
सुन धरती ने गले लगाया
बोली सखी ना कर नादानी।

धरती के ऊपर फिर बरसा
जैसे रिमझिम रिमझिम धानी।।

सब सखियों मे प्यार बहुत है,
सुन्दर ये संसार बहुत है,
देख प्रकृति की हसी- ठिठोली
ये कविता लिख रही शिवानी।

धरती के ऊपर फिर बरसा
जैसे रिमझिम रिमझिम धानी।।

©डॉ.शिवानी सिंह सुप्रभात एक बाल गीत सादर समर्पित 🙏

moolraj godara

स्वरचित बाल गीत "नन्ही चिड़िया आती है !"

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

बाल बाल.....कीर्तिप्रद

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बाल बाल

ले आज डूबती कश्ती को दरीया से निकाल

आया    तूफाँ   ;   देखों    बनके   महाकाल

चल   चाल   की   दुश्मन   हो   जाये   पस्त

तभी   बचेगें   हम  सब  आज    बाल  बाल

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद बाल बाल.....कीर्तिप्रद

vimal Mehta

बाल बाल बचे #Comedy

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Kaushal Kumar

#सफेद बाल-काले बाल #कविता

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असली - नकली  का  भेद  प्रिये,  अब  मुझसे  ना  होने  वाला।
बोलो क्यों केश करूँ काला।।

असली  में  अब   मैं   तरुण  नही, और न तुम ही अब तरुणी हो।
फिर क्यों मिथ्या दिखलाने की, कोशिश में मुझ पर बिगड़ी हो।
पैंतिस    से    पंद्रह   दिखने   का,  श्रम   मुझसे   ना   होने   वाला।
बोलो क्यों केश करूँ काला।।

कोई   कह   दे   मैं  वृद्ध  हुआ, तो  कहने  से  कुछ  फर्क  नही।
जो   यही   देखते   फिरते   हैं,  उनसे    मैं    करता    तर्क   नही।
सौंदर्यबोध    कर    वृत्तिनाश,   अब    मुझसे   ना   होने वाला।
बोलो क्यों केश करूँ काला।।

हाँ   बात   तुम्हारी   दीगर   है,  सब   तुमको  क्रोध  दिलाते  हैं।
तुमको   कह   वृद्धे   की   गृहणी,  वृद्धा   का   बोध  कराते  हैं।
पर  फिर  भी   ऐसी  बातों  से,  सच   झूठ   नही   होने   वाला।
बोलो क्यों केश करूँ काला।।

जो  धवल  रंग  से  नही  मिले, यदि  वह  काले  से  मिल  जाए।
ऐसा   क्षणभंगुर   क्या  पाना,  जो  चंद  दिवस  में  हिल  जाए।
अंदर -  बाहर  से  अलग - अलग,  देखो  मैं  ना  दिखने  वाला।
बोलो क्यों केश करूँ काला।।

©Kaushal Kumar #सफेद बाल-काले बाल
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