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divya Sharma

जितिया पर्व की हार्दिक शुभकामनाएंl संतान की लंबी आयु ,और उनके सुख समृद्धि के लिए किया जाने वाला व्रत🙏🙏 #ज़िन्दगी

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richirich

मिले लंबी आयु का वरदान ,
सफल हो तुम्हारा हर काम,
कर रही हूं व्रत तेरे नाम का 
खुश रहो  और रखो हमेशा
परिवार का मान सम्मान💞

जीवित्पुत्रिका व्रत की सबको सुभकामनाएं🙏

©richirich #जितिया #बेटीयाँ

Voice Of Heart Rohit

#motherlove जितिया #प्रेरक

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🙏🏻जीवित्पुत्रिका (जितिया)व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻

मां ने आज मेरे लिए व्रत रखा है निर्जला

ताकि सालों साल जीता रहे उसका लल्ला

दे कर खुद को तकलीफ वो अपने प्रभु से कर रही अरदास है

छुए मेरी आंखों का तारा कामयाबी के गगन को, ना कभी उसके रास्ते में तकलीफों की दीवार आए

आज कि दुआ भी उसकी सब दुआओं में ख़ास है 

मैं नमन करता हूं मां की उन चारों को, जहां खुद परवरदिगार भी सर झुकाया करते हैं

मां की तरह हमारी सलामती की फिक्र ,कोई और इस जहां करता है क्या भला ?

©Rohit ki kalam se #motherlove  जितिया

Vivek

# पर्व #कविता

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Dr. Rahul Karmakar

#पर्व

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Hamara Parv
Hamara Gourav #पर्व

?

365 दिन.. जिसकी आस्था एक सी हो
 वही भक्त,
और सब ढोंगी ( दिखावा ) हैं!!

©? ?
#पर्व

CK JOHNY

पर्व

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हर दिन उत्सव यहाँ हमारा हर दिन पर्व हैं। 
मुझे मेरी समृद्ध भारतीय संस्कृति पे गर्व है। 
हर प्रविष्टियों में कोई न कोई त्योहार मनाते हैं 
हंसते खेलते सच्चिदानंद में प्रविष्ट कर जाते हैं। 
संगरांद द्वितीया तृतीया चतुर्थी या पंचमी
अष्टमी नवमी एकादशी द्वादशी त्रयोदशी में 
प्यारे हमारे लिए संजोया बस हर्ष ही हर्ष है।
सरस्वती नटराज शिव मुरलीधारी कृष्ण को नमन
गड़वा भरतनाट्यम् संगीत से करते है हम स्पर्श हैं। 

 पर्व

Bachan Manikpuri

बैसाखी पर्व #प्रेरक

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Kusum Tripathi

प्रेम पर्व #कविता

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प्रेम

हमारी चाहत की वो पहली मुलाक़ात याद है, तुम्हें!
आषाढ माह की वो शरारती फुहार याद है, तुम्हें!
उन बूँदों की छुअन से थरथराते होंठों से कहे मेरे अल्फ़ाज़ों की गूँज याद है, तुम्हें! 
उस सूज्जमूँदे पहर की याद है तुम्हें, जब हमारी चाहत लफ़्ज़ों से होते हुई सीधे नज़रों से बयां हुई थी 

मोहब्बत के उस स्याहा सुर्ख़ लाल रंग की पहचान है, तुम्हें!
जिसका रंग चढ़ने के बाद उतरता नहीं, उतरने के बाद खिलता नहीं
जिसकी संदली-सी महक प्रेमपंछियों की परवानियों को,उनके शोख़ीपन को महकाती रहती है,
जिसका सुरूर मधुशाला-सा छलकता रहता है
वो प्रेम की शहद-सी मीठी-सी सौंधी-सी मिठास याद है, तुम्हें! 

वो महीन मलमल याद है, तुम्हें!
जिसपे बैठ हम घंटों एक-दूसरे के आलिंगनपाश में खोए रहे
वो कोमल-सा स्पर्श याद है तुम्हें, जिसकी कोरी छुअन विद्युत धारा-सी थी
वो प्रेम की अठखेलियाँ याद हैं तुम्हें, जो हमारी नज़दीकियों का एहसास थीं
प्रेम की वो आँखमिचौली याद है ना, तुम्हें!
वो मेरे इठलाते मृगनयनी-से चंचल नयनों की क्रीडाएँ तो याद हैं ना, तुम्ह

©Kusum Tripathi प्रेम पर्व

Madanjoshi

पर्युषण पर्व #विचार

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