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Parasram Arora
आज मैं खुश हूं ये देख कर कि मेरे हाथों से रोपे गए वो पौधे आज विकसित होकर वयस्क हो गए हैँ. और अब वे अपने पाँव पर खड़े होने लगे है और अपनी डालियों और पत्तों को हिला हिला कर अपना उत्साह प्रकट कर रहे हैँ कि अब वे अपनी घनी छाया से उन लोगो को राहत देंने मे सक्षम हो चुके है ज़ो कल तक धूप की तपन मे झूलसने को विवश थे ©Parasram Arora तपन.....
Tapan tanha
मेरी तन्हाईयों में तेरी यादें पल रहीं हैं.. तुझे पाने का मेरे पास कोई हल नहीं हैं.. न होने से तुम्हारे मेरी सांसें थम गयी थीं, तुम्हारे होने से ही मेरी सांसें चल रही हैं.. तपन तन्हा.. तपन तन्हा..
Tapan tanha
तेरी आँख का पानी अगर सूखा नहीं होता... दौलत के नशे का तू अगर भूखा नहीं होता... सदा आबाद रहता बन के धड़कन तू मेरे दिल में... तेरे से किसी का दिल अगर दुखा नहीं होता... तपन तन्हा... तपन तन्हा..
Tapan tanha
हालात मेरे कुछ ठीक हों तो फिर चले जाना... सभंल जाऊं,मेरा दिल तोड़कर फिर चले जाना... जाना तो ऐसे, टूट कर मैं बिखर जाऊं, कांच हूँ थोड़ा सभंल कर फिर चले जाना... तपन तन्हा... तपन तन्हा...
Ajay Shastri
💞...उसने मेरी हथेली पे अपनी नाजुक उंगली से लिखा #सुनो_ना #मुझे_प्यार_है_तुमसे..... ना जाने कैसी स्याही थी की वो आज भी वैसी ही है...💞 ✍️💞💞 Frie 💞💞 ©Ajay Shastri शास्त्री₹
Poetess sakshi Yadav
#FourLinePoetry ओस छुपी हैं मुझमें भी कोई आ के गोर करो, रोया मैं भी हूँ , कोई मेरी तपन को भी लोह करो...... ©Sakshi yadav #तपन #fourlinepoetry
Yogenddra Nath Yogi
#FourlinePoetry जलकर बस राख बन जाऊंगा। इतनी तपन कैसे सह पाऊंगा।। लगन ऐसी है फिर भी हार नहीं मानूंगा। तपकर एक दिन कुन्दन बन जाऊंगा।। ©Yogendra Nath #fourlinepoetry#तपन
Tapan tanha
बहारें कह रही हैं तुम कभी,मुझको भी सुन लेना... हजारों फूल में से तुम,सिर्फ मुझको ही चुन लेना... पसन्द आया तो महका दूगां, अपने गीतों से तुम को... कभी अपने इन होठों पर, मेरी गज़लों को बुन लेना... Tapan Tanha..... #तपन तन्हा
Tapan tanha
मेरे दोस्त मुझको आज मनाने आये मैं सोया हुआ था नींद से जगाने आये न जाने क्यों अश्क उनकी आँखों से बह रहे थे हां, याद आया....वो मेरा ज़नाजा उठाने आये मय्यीयत में हमारी वो भी शरीक हुये जो कहते थे तेरे घर में आग लगाने आये जीतेजी दुश्मनों ने भी दुश्मनी निकाली आज वही मेरे ज़नाजे को कांधा लगाने आये न जाने क्यों अश्क उनकी आँखों से बह रहे थे..... हां, याद आया.... वो मेरा ज़नाजा उठाने आये..... मेरी निगाहें किसी को ढूंढ रही थीं ज़नाजा उठने लगा था तभी वो नज़र आये भरी भीड़ मैं सज संवर कर मुस्कुरा रहे थे एेसा लग रहा था जैसे मेरी शादी में हैं आये न जाने क्यों अश्क उनकी आँखों से बह रहे थे.... हां, याद आया.... वो मेरा ज़नाजा उठाने आये.... धीरे धीरे उनके कदम मेरी तरफ बढ़ रहे थे ऐसा लग रहा था कि मेरे ऊपर हाथ फिराने आये नजदीक आकर मेरे ,वो कानों में धीरे से बोले अब जाओ भी 'तन्हा',हम तो ज़नाजे पर सिर्फ फूल चढ़ाने आये न जाने क्यों अश्क उनकी आँखों से बह रहे थे.... हां, याद आया.... वो मेरा ज़नाजा उठाने आये.... तपन तन्हा.... तपन तन्हा..