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Stories related to इक्ष्वाकु नाम क्यों पड़ा

Ramnik

White इच्छाएं और सपने तो बहुत है 
कुछ कर दिखाने के , 
इरादे क्यों कमजोर पड़ जाते है।
पता है ये डर बेमायने है 
फिर भी क्यों हिम्मत के गले घोटे है।
मन कर रहा उड़ने को,
पर पांव क्यों जकड़े है।
ए मन तू जानता है,
ये हालत तेरी कबर है
प्रयासों से क्यों नाते तोड़े है।
तुझे मालूम है आगे अंधेरे के कितने उजाले है।
क्यों करता तू बहाने है....

©Ramnik #क्यों

dilkibaatwithamit

लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे इक राज था जो सबसे छुपाना पड़ा मुझे मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई हर एक शेर यूँ ही घुमाना

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लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे
इक राज था  जो  सबसे छुपाना पड़ा मुझे

मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई 
हर एक शेर  यूँ  ही   घुमाना  पड़ा मुझे

ये बात आप उसके ख्यालो से पुछिए
कल रात क्यूँ ही खुद को जगाना पड़ा मूझे

लगने लगा था जब मुझे नाकामियों से डर 
इक शेर फिर खुद ही सुनाना पड़ा मुझे

अपनो ने मुझमे खूब निकाली थी खामियां
गैरों से  यूँ  ही  हाथ  मिलाना  पड़ा  मुझे

अनवर से जिसने अन्नु रखां था मेरा नाम 
अनवर  उसी का  नाम  बताना पड़ा मुझे
....अनवर क़ुरैशी

©dilkibaatwithamit लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे
इक राज था  जो  सबसे छुपाना पड़ा मुझे

मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई 
हर एक शेर  यूँ  ही   घुमाना

Lili Dey

White ख्वाबों में आता है आज कल क्यों तू इतना 
अब हम दोनों का रास्ता तो बदल चुका है,
इश्क को मेरे तू कभी समझा ही नहीं 
तुझे पाने की तलब थी कितना मुझमें,
तुझसे बहत ही दूर हूं अब मैं 
तो बता तू मेरे ख्वाबों में अब क्यों इतना आता है...

©Lili Dey #क्यों

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#अवधबिहारी तेरे नाम

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White मंगल भवन अमंगल हारी 
    आरति करुँ तोरी अवधबिहारी 

रत्नजड़ित सिंहासन साजे 
     बाम भाग जानकी विराजे 
चरण कमल सोहे गिरिधारी...
आरति करुँ तोरी अवध बिहारी..

भरत शत्रुघन चँवर डुलावें 
लक्षमन दास भाव अति भावें 
दशरथ के सुख सागर चारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

कर में धनुष बाण अति सोहे 
युगलछवि भगतन मन मोहे 
देहु भगति वर जनकदुलारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

भ्रात भरत सम जगत न होई 
राम रूप जानत कोइ कोई 
रिपुसूदन की महिमा न्यारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

आरति नाथ दीन की लीजै 
चरण कमल आश्रय कर दीजै 
तुम्हरी जय जय पालनहारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

जय सुखसागर जय सुखराशि 
जय सच्चिदानंद अविनाशी 
ध्यान धरें ब्रम्हा त्रिपुरारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी....

जो जन शरण तुम्हारी आवे 
मनवांछित फल चारहुँ पावे 
नाम की महिमा विदित तुम्हारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #अवधबिहारी तेरे नाम

ranjit Kumar rathour

मिले ही क्यों

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जब मिलना ही नहीं तो 
मिले ही क्यों 
साथ चार कदम चलना नहीं तो
सफर मे चले ही क्यों 
 आजमाना भर था अगर तो 
थोड़ा रुकते न 
अपने पसंद नापसंद बताते तो 
 मौका देख आजमाते न 
ऐसे कोई थोड़े छोड़ जता है राह मे
अपनी ख्वाइश बताते तो 
ये क्या तरीका है 
निकल लेने का दो चार तोहमते 
झूठा ही सही लगाते तो 
अब देखो न तेरी 
समझ नहीं पाता 
तुझसे गिला करू 
या ख़्वाबों मे मिला करू 
जाते जाते कोई नुस्खा बताते तो
चलो अच्छा है तू ख़ुश है 
मै भी खुश रह लूंगा 
तेरे बगैर था पहले भी 
दुबारा ये सोच कर जी लूंगा 
हां जी लूंगा

©ranjit Kumar rathour मिले ही क्यों

Parasram Arora

इतना उदास क्यों

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White चैत्र की चंचल पवन बह रहीं 
लेकिन फिर भी तुम
इतने मौन क्यों? 

एक नींली झील मे  चाँद खिला था 
कमल की तरह 
और रूप का  ऐसा जादू  दिख रहा.
इसके बावजूद तुम इतना उदास क्यों?

©Parasram Arora इतना उदास क्यों

Dinesh Sharma Jind Haryana

#नाम

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset हर धड़कन पर 
नाम तुम्हारा लिखा है

©Dinesh Sharma Jind Haryana #नाम

Parasram Arora

क्यों?

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New Year 2025 मेरे आंसू  मेरी.
खामोशी 
नजर नहीं आती 
किसी को 
क्यों?
क्या गुजर रहीं हैँ 
मुझ पर कोई 
समझ नहीं रहा हैँ क्यों?

©Parasram Arora  क्यों?

Ghumnam Gautam

"मैं फ़ानी हूँ, ये सच मैं जानता हूँ"
मगर क्यों दुनिया फ़ानी लग रही है?

सुना है पहले भी,पर तुमसे सुनकर
कहानी-सी कहानी लग रही है

©Ghumnam Gautam #सच #दुनिया 
#क्यों 
#ghumnamgautam

F M POETRY

#आपका नाम...

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Unsplash आपका नाम तो मेरी बातों में है..

और यादें पुरानी किताबों में हैं..



यूसुफ़ आर खान..

©F M POETRY #आपका नाम...
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