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DrLal Thadani
क्यों इतनी उत्सुकता यह उतावलापन और बेसब्री तेरा गुण है विनम्रता डॉ लाल थदानी #अल्फ़ाज़_दिलसे नमस्कार लेखकों🌸 आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियनम्रता । नम्रता की नरम मिट्टी में ही सम्मान का अंकुर फूटता है । Col
Abhishek 'रैबारि' Gairola
vishnu prabhakar singh
संगीत के स्वर अभ्यास के धर्म के स्वर विश्वास के देश का स्वर सहयोग के कवि का स्वर योग के! एक तल पे उंगलियां वीणा के साथ एकात्म हो चुकी होंगी । द्वितीय तल पर मृदंग पर लयबद्ध हो मूर्त हो रहा होगा निनाद ।
Anchal Pandey
तुम्हारे आगमन का आनंद ऐसा, जैसे वसुधा पर सूरज की बेटियां हैं पधारी.. और हर आंगन में है प्रकाशित आभामंडित उनकी हास्यज्योति। ठहरी हुई शांत चित्त में सुस्ता रही हो ओस जैसे, चुपचाप दूब पर पड़ी.. वैसा मेरा विश्राम हो तुम। स्वर तुम्हारा फूटता है.. जैसे रंग फूटे कोपलों में। पल्लव - पवन के संग से उभरा हुआ संगीत हो तुम। अनिश्चित कालखंड में जब, कुछ कहीं निश्चित नहीं है.. मेरे हाथों में शाश्वत सहर्ष अंकित तुम हो मेरी हस्तरेखा। स्मृति में बसी हो, बदली में मानो नीर हो। श्वासों की चेतना - सा पवित्र - निर्मल योग हो तुम। आभास जिसका पुलकित कर दे, वह प्रेममय स्पर्श हो तुम। बंद करके नैनपट प्रार्थना में... है जैसे जुड़ जाता हृदय, यूं ही मेरी तुमसे.. है भेंट जैसे आत्मपरिचय! ... तुम्हारे आगमन का आनंद ऐसा, जैसे वसुधा पर सूरज की बेटियां हैं पधारी.. और हर आंगन में है प्रकाशित आभामंडित उनकी हास्यज्योति।
Amar Anand
कविता शिल्प से मुक्त है शेष नीचे कैप्शन में... ऐसा नही कि जब मन किया कुछ लिख दिया जब मन किया कुछ रच दिया कविता शिल्प से मुक्त है अपने आप में उन्मुक्त है जहां बंधन हैं वहां कविता नही ह
Jaya Mishra JD
तीसरी आँख... read in caption #NojotoQuote रात गए मन की कलियों से गुस्सा फूटता है, आंखें तमाशबीन क्यों हैं बनी आखिर, लोग गम दिए जाते हैं तोहफ़े में, जिंदगी इतनी शांत क्यों हैं आखिर, क्
Technocrat Sanam
बड़प्पन.. बचपन की एक ऐसी ख़्वाहिश.., जो पूरी होने पर अब इक ग़लती लगती है, इक ऐसी गलती जिसे शायद, कभी सुधारा नहीं जा सकता.. -read full poetry in the caption 👉👇 # बड़प्पन और बचपन # .................................. बड़प्पन.. बचपन की एक ऐसी ख़्वाहिश जो अब पूरी हुयी तो इक ग़लती लगती है जब नींद से जा
Anil Siwach
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
Maa MY FIRST poetry on MOM HOPE YOU LIKE माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ दूर है,पास है,एहसास है। माँ अस्ल है,नस्ल है,वस्ल है। माँ प्यार है,व्यवहार है,संसार है। माँ सागर है,साहिल है,सैलाब है। माँ मंजिल है,रास्ता है,वास्ता है। माँ दौलत है,हसरत है,इनायत है। माँ चाहत है,आदत है,मोहब्बत है। माँ इबादत है,इज्ज़त है,इजाजत है। माँ सजदा है,मेहताब है,आफताब है। माँ अभेद्य है,अखंड है,प्रचंड है। माँ शब्द का अंत नही, माँ तो अनंत है। ~अंकुर (Dear Comrade) माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द