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Pratibha Jain
हां मैं कर चुकी कर चुकी हूं हां मैं, सजाने को मांग में सिंदूर। कैसा होगा साजन, छोड़ आई बात नसीबों पर। मान सम्मान की चाहत लेकर। थाम हाथ निकल पड़ी । सपनों की मंजिल पर चलने को हां मैं कर चुकी। लाल चुनर ओढ़ कर पीहर की दहलीज से मैं निकल पड़ी। साथ कैसा होगा साजन का, बात मैं नसीब पर छोड़ चली। प्रतिभा जैन उज्जैन मध्य प्रदेश ©Pratibha Jain कर चुकी हूं हां मैं
Hardik Mahajan
जल्दी एक नए अवतार में कवियो के मंच पर 😊bye bye 😁🙋🏾 ©@hardik Mahajan कवि के बारे में मध्यप्रदेश की धरती से पूजा-सामग्री बेचने के अपने पुश्तैनी व्यवसाय को सराफा बाज़ार, एमजी रोड, खरगोन में चलाते हैं। मन के सच्च
INDIA CORE NEWS
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
तब बहुत देर हो चुकी होगी जब हम तुम्हें समझ में आएंगे!! ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS तब बहुत देर हो चुकी होगी जब हम तुम्हें समझ में आएंगे!!
Rameshkumar Mehra Mehra
किसी की कमी.... जब महसूस होने लगें....! तो समझों जिंदगी में......!! उसकी मोजदूगी....!!! बहुत गहरी हो चुकी है..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # किसी की कमी,जब महसूस होने लगें,तो समझो जिंदगी में,उसकी मौजदूगी,बहुत गहरी हो चुकी है...
Bharat Bhushan pathak
सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सुन, रहो पापी,लगेगी मार अब धाँसू।। ©Bharat Bhushan pathak #oddone सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सु
Devesh Dixit
कविता को कविता रहने दो कविता को कविता रहने दो, विचारों को भी अब बहने दो। रोका जो उनको अब है तुमने, मुझे पीड़ा को उनकी सुनने दो। बिखर गये हैं न जाने कितने, शब्दों के वो अलंकार जितने। कागज़ भी देखो सूना पड़ा है, लगे हैं उसके अरमान रुकने। बेचैनी उसकी अब बढ़ चुकी है, देखो स्याही भी रुक चुकी है। शब्द नहीं उस पर अब बिखरे, किस्मत ही देखो थक चुकी है। कागज़ देख कब से राह निहारे, शब्दों की उस पर आए बहारें। मत उसके तुम अर्थों को बदलो, और उसमें अब बढ़ाओ दरारें। कविता को कविता रहने दो, उसको अपने में ही रहने दो। उन्मुक्त उड़ान है उसकी देखो, उसे भी तो अपनी कहने दो। ......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कविता_को_कविता_रहने_दो #nojotohindi #nojotohindipoetry कविता को कविता रहने दो कविता को कविता रहने दो, विचारों को भी अब बहने दो। रोका जो
Anup Shah
Y. B
नज़रों से गुफ़्तगू की हदें ख़त्म हो चुकी जो दिल में है, ज़बाँ से वही बात कीजिए * ©Y. B नज़रों से गुफ़्तगू की हदें ख़त्म हो चुकी, जो दिल में है, ज़बाँ से वही बात कीजिए
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