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Sunita Bishnolia
मैंने मेहनत करना सीखा, लड़ना सीख न पाई जो मुझको मिलता मेहनत से पाकर खुशी मनाई जीवन के संघर्षों में ठोकर पग-पग पर मिलती है सुख-सुविधाएँ होतीं क्या हैं मैं अब तक जान न पाई। #दर्शन--धरती धोरां री हर वर्ष की भाँति इस बार भी 'शिक्षक दिवस' से पूर्व शैक्षणिक भ्रमण हेतु छात्रों को ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन श्रृंखला में
ashish gupta
दिल से लड़ना ठीक नहीं किस्मत से झगड़ना ठीक नहीं रेतीले ख्वाब के महल गिरे नही ये उम्मीद पकड़ना ठीक नहीं ©ashish gupta #sadquote दिल से लड़ना ठीक नहीं किस्मत से झगड़ना ठीक नहीं रेतीले ख्वाब के महल गिरे नही ये उम्मीद पकड़ना ठीक नहीं
Agrawal Vinay Vinayak
उम्मीद बोता हूँ असमंजस के रेतीले सागर में इसी उम्मीद से के उम्मीदों की फसल काटूँगा एक दिन इन एकाकी के जंगलों से #उम्मीद बोता हूँ... #असमंजस के रेतीले सागर में...इसी उम्मीद से...के उम्मीदों की फसल काटूँगा एक दिन...इन एकाकी के जंगलों से.... #dreams #dr
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat पथिक मैं रचित मै घनिष्ट स्वकृति सांसारिक मै रेतीले टीलों सी छपी रेत की पहचान में घुलता एहसास अंतर्मन के ध्यान, दुआएं में पहचान सुप्रभात। पथिक मैं लेकिन चलूँ किस ओर कहाँ मेरी ठौर। #पथिक #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita ✍
Sunita D Prasad
प्रेम ठहरने से अधिक सँवरने-सँवारने से बचा। . . दिवस की विश्रांति में मरु से फिसलती हवाएँ उसकी दिनभर की विश्रृंखलता को क्रम से सँवारकर, अपनी छुअन से लिख देती हैं, उसकी देह पर अनेक अपढ़ पातियाँ! यों ठहरने से अधिक सँवारने से सहेज लिया हवाओं ने धोरों के प्रति अपना प्रेम। . . कहो! पहाड़ों के प्रेम में यदि ठहर गई होती नदी उसके ही उर पर कहीं तो कैसे बसते असंख्य जंगल कहाँ गाती फिर कोयल कहाँ सजते प्रणय गीत और कैसे रचे गए होते संख्यातीत प्रेम-सर्ग ? . . प्रेम की सार्थकता ठहरने से अधिक उन्नत होने/करने से स्थापित है।। --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #ठहरने से अधिक.. प्रेम ठहरने से अधिक सँवरने-सँवारने से बचा। . .
ख़ाकसार
ज़र्रा-ज़र्रा, तारा-तारा एक कहानी कहता है, धरती-अम्बर जितनी अपनी प्रीत पुरानी कहता है॥ दिल से दिल के तार जुड़े हैं, जाने कितने जनमों से, तेरी पीड़ा को मेरी, आँखों का पानी कहता है॥ लोग सयाने हँस देते हैं, सुनकर मेरी बातों को, मेरा दिल पागल है लेकिन बात सयानी कहता है॥ दिन-भर तेरी बातें-तेरा चर्चा करने वाला दिल, तेरी यादों की छाया को शाम सुहानी कहता है॥ बंज़र दुनिया उसके दिल का दर्द भला क्या समझेगी, रेतीले इन टीलों से जो बातें धानी कहता है॥ मेरे दिल की भोली बातें यार न समझी तूने तो, हैरत है मुझको तू ख़ुद को कितना ज्ञानी कहता है॥ इक तूने ही हाल न पूछा मेरे इस घायल मन का, आते-जाते जो मिलता है बात लुभानी कहता है॥ ज़र्रा-ज़र्रा, तारा-तारा एक कहानी कहता है, धरती-अम्बर जितनी अपनी प्रीत पुरानी कहता है॥ दिल से दिल के तार जुड़े हैं, जाने कितने जनमों से, तेरी
अशेष_शून्य
~© Anjali Rai ये जो तुमने इस संसार की तलहटी में जमें नमकीन रेतीले टीलों को अपनी आंखों में जमा लिया है न शायद तुममें कठोरता भी इसी कारण ही है ।
अशेष_शून्य
"इश्क़ स्वाद अनुसार" (शेष अनुशीर्षक में) समुद्री जल में नमक सा घुला है तुम्हारा "प्रेम" मेरी आत्मा में। ना नमक मेरी जिह्वा को स्वादहीन होने देगा ! और ना "प्रेम"
Chandrakant Saini
अब धीरे धीरे मुझे उदासियाँ घेर लेगी.... कभी तारागढ़ तो...कभी नेशनल हाईवे... कितने लोग गुजर जाते है... मेरी आंखों के सामने से... कल वो मेरे सा
talvindra_writes
राजस्थान का इतिहास इतना विशाल हैं कि अग़र लिखने बैठे तो कई महीने गुज़र जाए लेकिन फ़िर भी मैंने इसे अपने शब्दों में इसे सवारने की नाक़ाम कोशिश की हैं एक बार इसे जरूर पढ़िएगा.... 💫 मेरा प्यारा राजस्थान 💫 आना क़भी राजस्थान, तुम्हें ज़न्नत दिखाता हूँ । सोने की धरती, चाँदी का आसमान दिखाता हूँ । धोरों की धरती पर जीता हुआ ब