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Sunita Sharma
"सुनीता के दिल" ब्लॉग को इतना स्नेह देने के लिए आभार ©Sunita Sharma #सुनीता के दिल #ब्लॉग
Sunita Bishnolia
#सुप्रभात 🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌻🌻🌻 सृष्टि की रचना से अब तक धरा पर विपदा के सागर कितने ही आए। विपदा के आगे मगर ना कभी भी कदम उठ गए जो पिछले हटाए। खड़े हो गए काल के जाके सम्मुख हमें काल से फिर, टकराना होगा।। #सुनीता बिश्नोलिया #सुनीति #जीवनजय ©Sunita Bishnolia #goodmorning #सुप्रभात #Rose
Sunita Bishnolia
जौ-चने हैं सरस रहे,गेंहूँ मस्त बहार। मावठ खेतों में हुई, रिमझिम गिरी फुहार।। #सुनीता बिश्नोलिया ©Sunita Bishnolia #good_morning #सुप्रभात #मावठ
Sunita Bishnolia
कहा गगन के चाँद ने, देख ठिठुरती रात। ओढ़ मखमली चाँदनी, मान रूपसी बात।। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर #चाँदनी #rat
Sunita Bishnolia
सुप्रभात दीप आशा का जलाए, होठों पर मुस्कान भोर की सी लालिमा मुख पर मधुरिम गान ओस की सी बूँद है क्षण भर जीवन अवधि छोटे से इस जीवन में है उसकी पहचान। #सुनीता बिश्नोलिया
Sunita Bishnolia
पंच-तत्व काया बनी,पानी है आधार। बिन पानी जीवन कहाँ,जल बिन हाहाकार। बिन पानी काया नहीं, पानी इसे बचाय। पानी से काया बनी,पानी बिन बह जाय।। उनका दुःख पहचानिए,तरस रहे इक बूँद। जल को सब रखिये बचा,रहें न आँखें मूँद।। #सुनीता बिश्नोलिया #पानी #पानी #nojoto #nojoto #hindi
Sunita Bishnolia
शुद्ध हवा में साँस लें,कोई न काटे पेड़। आस-पास भी साफ़ हो, सभी बचाएँ पेड़।। धरती माता ने दिए,हमें अतुल भण्डार, स्वच्छ पर्यावरण रखें, मानें हम उपकार।। सुनीता बिश्नोलिया ©® कानन-नग-नदियाँ सभी,धरती के श्रृंगार। दोहन इनका कम करें,मानें सब उपहार।। साफ-स्वच्छ गर नीर हो,नहीं करें गर व्यर्थ। कोख न सूखे मात की, जल से रहें समर्थ। धूल-धुआँ गुब्बार ही,दिखते चारों ओर। दूषित-पर्यावरण हुआ,चले न कोई जोर।। कान फाड़ते ढोल हैं,फूहड़ बजते गीत, हद से ज्यादा शोर है,खोये मधुरम गीत। हरी-भरी खुशहाली के,धरती भूली गीत। मैली सी वसुधा हुई,भूली सुर संगीत।। पर्यावरण स्वच्छ राखिये,ये जीवन आधार, खुद से करते प्यार हम,कीजे इससे प्यार। #सुनीता बिश्नोलिया
Sunita Bishnolia
वन के जीव बचाइये,रखते धरती शुद्ध। अपने ही अस्तित्व को, करते हमसे युद्ध।। शुद्ध हवा में साँस लें,कोई न काटे पेड़। आस-पास भी साफ़ हो, सभी बचाएँ पेड़।। सुनीता बिश्नोलिया ©® धरती माता ने दिए,हमें अतुल भण्डार, स्वच्छ पर्यावरण रखें, मानें हम उपकार।। कानन-नग-नदियाँ सभी,धरती के श्रृंगार। दोहन इनका कम करें,मानें सब उपहार।। साफ-स्वच्छ गर नीर हो,नहीं करें गर व्यर्थ। कोख न सूखे मात की, जल से रहें समर्थ। धूल-धुआँ गुब्बार ही,दिखते चारों ओर। दूषित-पर्यावरण हुआ,चले न कोई जोर।। कान फाड़ते ढोल हैं,फूहड़ बजते गीत, हद से ज्यादा शोर है,खोये मधुरम गीत। हरी-भरी खुशहाली के,धरती भूली गीत। मैली सी वसुधा हुई,भूली सुर संगीत।। पर्यावरण स्वच्छ राखिये,ये जीवन आधार, खुद से करते प्यार हम,कीजे इससे प्यार। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर
Sunita Bishnolia
पर्यावरण (दोहे) हरी-भरी धरती रहे,नीला हो आकाश, स्वच्छ बहे सरिता सभी,स्वच्छ सूर्य प्रकाश।। पेड़ों को मत काटिए,करें धरा श्रृंगार। माटी को ये बांधते,ये जीवन आधार।। सुनीता बिश्नोलिया©® शुद्ध हवा में साँस लें,कोई न काटे पेड़। आस-पास भी साफ़ हो, सभी बचाएँ पेड़।। धरती माता ने दिए,हमें अतुल भण्डार, स्वच्छ पर्यावरण रखें, मानें हम उपकार।। कानन-नग-नदियाँ सभी,धरती के श्रृंगार। दोहन इनका कम करें,मानें सब उपहार।। साफ-स्वच्छ गर नीर हो,नहीं करें गर व्यर्थ। कोख न सूखे मात की, जल से रहें समर्थ। धूल-धुआँ गुब्बार ही,दिखते चारों ओर। दूषित-पर्यावरण हुआ,चले न कोई जोर।। कान फाड़ते ढोल हैं,फूहड़ बजते गीत, हद से ज्यादा शोर है,खोये मधुरिम गीत। हरी-भरी खुशहाली के,धरती भूली गीत। मैली सी वसुधा हुई,भूली सुर संगीत।। पर्यावरण स्वच्छ राखिये,ये जीवन आधार, खुद से करते प्यार हम,कीजे इससे प्यार। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर #पर्यावरण #स्वच्छ #पर्यावरण
Sunita Bishnolia
उस बस्ती में घोर उदासी टूटा था कल काल जहाँ, सिसक रही साँसों की वीणा आधी रात में सुनो वहाँ। अग्नि के विकराल रूप में समा गई कई जानें थीं सपनों का संसार जहाँ था,आज बना शमशान वहाँ। #सुनीता बिश्नोलिया