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Pushpvritiya
क्या कहोगे तुम उसे............. जो बंधिनी... जो बेधीनी, उज्जवला जो श्यामला भी, कोमला वो कज्जली....... जो स्वयं में उपासना, जो स्वयं ही है भस्मिनी, जो योग है.... जो साधना... जो यज्ञ...जो फलदायिनी...... जो राधिका...जो साधिका,साक्षात प्रेम स्वयं भू, तथापि प्रेमाश्रयी...तथापि अनुगामिनी....... अपराजिता...पराधिनी, तटस्थ वो प्रवाहिनी, जननी...जीवन... जानकी, जो मात मोक्षदायिनी...... @पुष्पवृतियां . . ©Pushpvritiya क्या कहोगे तुम उसे............. जो बंधिनी... जो बेधीनी,
Pushpvritiya
प्रश्न.......... तू क्या हैं? उत्तर............... मैं वही जो तुमने गढ़ा हैं......... ©Pushpvritiya किसी व्यक्ति के निर्माण में समाज और परिस्थितियाँ एक मुख्य कारक के रूप में अपना योगदान देती हैं.... तथापि वह किसी के लिए निष्कर्ष पर पहुँच ज
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
गण अर्थात् राष्ट्र पति अर्थात् संचालक गण पति अर्थात् किसी ""राष्ट्र के संचालक"" वैसे भारतीय संविधान धर्म निरपेक्ष है,,, तथापि """""किसी रा
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
Pushpvritiya
सुनो....वो बाध्य नही.... कि तुम्हारे लिए कुछ करे....... कि सुनो...... स्वतंत्रता उसके विकल्पों में भी है....... तथापि चयन में उसके मातृत्व है.... स्नेह है..... कि सुनो....यहां समर्पण है...बाध्यता नही...... तो यदि वह तुम्हारे लिए सहर्ष बाध्य हो कुछ कर रही है......"कुछ भी" तो केवल मान धरो उसका "केवल मान" क्यूंकि शायद ही तुम उसके लिए कुछ कर सको "उसके जैसा"....... क्यूंकि "तुम्हारे कुछ करने" और "उसके कुछ करने में" अंतर है..... बहुत बड़ा अंतर @पुष्पवृतियां . . ©Pushpvritiya सुनो....वो बाध्य नही.... कि तुम्हारे लिए कुछ करे....... कि सुनो...... स्वतंत्रता उसके विकल्पों में भी है....... तथापि
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
हम हसीनाओ को इसलिये ज्यादा तवज्जो नही देते,, क्योकि दोस्ती का मजा कुछ ओर है,,,,,,,,,हम कर्ण है,,,हमे सब मालुम है कि सामने स्वंय श्री कृष्ण ह
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
किसान बहे पसीना तेज धुप में, या बादल की छाँव तले,घुँघरुँ वाले बेलो के,मिट्टी तले पाँव तले,,,, ,,,,मेरे रग से रंग तेरा रंग रहा हुँ, मै गीत खुशहाली के लिख रहा हुँ,,,, "मैं"किसान,,,,,, , मार्तण्ड की तपन मे जलकर, मुस्कान लिये पसीने क
Abhimanyu Dwivedi
**ब्रह्माण्ड** 🌱🌱 ब्रम्ह का आयाम 🌱🌱 🌱ॐ🌱 **शून्य से महाशून्य की ओर** 🌱ॐ🌱 ब = बोधिसत्व , बोधि से संबोधि , विद(ज्ञान) से वेद र = रहस्य , रास , रमण अ = आदि , अंत , से पार अनंतव्योम म = मर्म ( मैं से मैं तक का पथ ) ह = है से हो में जाते हुए, हूँ हो जाना आ =आरम्भ का प्रारम्भ ( आयाम ) ँ = ाण्ड पूर्ण ॐकार नाँद रहस्य धारक ड = ड (न) परम निराधार शून्य **अर्थात परमबोधि मे प्रवेश पाकर पूर्ण ब्रम्ह के आयाम में स्वयं को अवस्थित कर लेना , तथापि परम रहस्य के मर्मज्ञ हो शून्य में तिरोहित हो परम शून्य हो जाना** 🌱🙏🌱अभिमन्यु ( मोक्षारिहन्त )🌱🙏🌱 ©Abhimanyu Dwivedi **ब्रह्माण्ड** 🌱🌱 ब्रम्ह का आयाम 🌱🌱 🌱ॐ🌱 **शून्य से महाशून्य की ओर** 🌱ॐ🌱 ब = बोधिसत्व , बोधि से संबोधि , विद(ज्ञान) से वेद
Abhimanyu Dwivedi
**ब्रह्माण्ड** 🌱🌱 ब्रम्ह का आयाम 🌱🌱 🌱ॐ🌱 **शून्य से महाशून्य की ओर** 🌱ॐ🌱 ब = बोधिसत्व , बोधि से संबोधि , विद(ज्ञान) से वेद र = रहस्य , रास , रमण अ = आदि , अंत , से पार अनंतव्योम म = मर्म ( मैं से मैं तक का पथ ) ह = है से हो में जाते हुए, हूँ हो जाना आ =आरम्भ का प्रारम्भ ( आयाम ) ँ = ाण्ड पूर्ण ॐकार नाँद रहस्य धारक ड = ड (न) परम निराधार शून्य **अर्थात परमबोधि मे प्रवेश पाकर पूर्ण ब्रम्ह के आयाम में स्वयं को अवस्थित कर लेना , तथापि परम रहस्य के मर्मज्ञ हो शून्य में तिरोहित हो परम शून्य हो जाना** 🌱🙏🌱अभिमन्यु ( मोक्षारिहन्त )🌱🙏🌱 ©Abhimanyu Dwivedi **ब्रह्माण्ड** 🌱🌱 ब्रम्ह का आयाम 🌱🌱 🌱ॐ🌱 **शून्य से महाशून्य की ओर** 🌱ॐ🌱 ब = बोधिसत्व , बोधि से संबोधि , विद(ज्ञान) से वेद
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
लडकियों का साथ भी जीवन में सफलता के चरमपर पहुँचा देता है,,,,,,,बशर्त आप लडकियों का सम्मान करें,,,, लडकियाँ हमेशा हमारी सहायक होती है लेकिन आ