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ashutosh anjan
"लम्हों ने खता की थी सदियों ने सज़ा पाई...!!" ये पंक्तिया कुछ विकृत मानसिकता के लोगों के चलते ही लिखी गई और आगे भी साकार रहेंगी। किसी शर्मनाक हरक़त के लिए अक्सर कहा जाता है कि जानवर हो क्या?🙄 लेकिन केरल में जो हुआ उसके बाद अब शायद ये कहावत बदलनी पड़े जहां खाने की तलाश में शहर की ओर आई हथिनी को किसी ने अन्नास के अंदर विस्फोटक रख कर खिला दिया.. जैसे ही उसने उसे खाने की कोशिश की, उसके मुंह के भीतर धमाके होने लगे और दर्द से छटपटाती हुई वो जंगल की ओर भागी लेकिन यहां भी उसने इंसानियत नहीं छोड़ी इस दौरान वो जिस रास्ते और गांव से निकली लेकिन किसी घर को नहीं तोड़ा किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया और एक नदी में जाकर खड़ी हो गई और तीन दिन तक पानी में खड़ी रही और वहीं जान दे दी... और जब #पोस्टमार्टम हुआ तो डॉक्टर भी खुद को रोने से नहीं रोक सके जब उन्होंने देखा कि वो हथिनी अकेली नहीं मरी है उसके पेट में एक नन्ही जान पल रही थी... दरअसल किसी क्रूर इंसान ने तीन जानें ली हैं हथिनी की, उसके बच्चे की और #भरोसे की जो उसने हम #इंसानों पर किया... वो हथिनी तीन दिन तक पानी में खड़ी रही और किसी को अपने पास नहीं आने दिया शायद वो #जवाब चाह रही थी.. कि हमें #जानवर कहने वालों क्या तुम सच में #इंसान हो?🤐 #yqdidi #yqbaba #hkkhindipoetry #collabwithकोराकाग़ज़ #thewriterjunction #अमानवीय #आशु_की_कलम_से "लम्हों ने खता की थी सदियों ने सज़ा पाई..
Vikram Prashant "Tutipanktiyan "
मेहनत मजदूरी से कभी नहीं बदलेंगे तुम्हारे हाल वो अपने बच्चे को देते रहेंगे तुम्हारे खून से लथपथ जेबरात तुम्हारे हृदय पर होंगे सिर्फ घाव तुम्हारे बच्चे के हिस्से,फिर से रह जाएगा गाँव से शहर शहर से गाँव । क्यों नही जलाते हक की एक मशाल क्यों नही आजमाते मजदूर एकता को इस बार ललकार कर तो देखो दिल्ली को एक बार मत करो अब गाँव से शहर शहर से गाँव । #HamBolenge गांव से शहर, शहर से गांव
shiv tomer
रस्ता और गाँव आज भी एक रस्ता जाता है मेरे गांव जहां चबूतरे पर बैठे लोग देख रहे है राह अपनो की जो आ गए थे शहर कभी कमाने,मगर लौटे नहीं आज भी एक रस्ता जाता है मेरे गांव जहां थे कभी घर रोशन चहचहाती थी गालियां मकान आज भी है वहां मगर अब रौनक नहीं बसती #रास्ता और गांव
Devkaran Gandas
रस्ता और गाँव वो रस्ता जहां धूल उड़ा करती है पशुओं के आने जाने से । वो रस्ता जहां आज भी लोग रोक लेते हैं आते जाते को बातों के बहाने और मिल बैठकर पीते हैं चाय । वो रास्ता जहां आज भी पनिहारी जाती है पनघट का पानी लाने । वो रस्ता मेरे गांव जाता है । ................✍️देवकरण #रस्ता और गांव
om patil writer
रस्ता और गाँव मेरा गांव एक दिल को अलग ही सुकून आता था कच्ची हो रास्ते होने पर भी उसमें दौड़ के जाना दादी के बाहों से लिपट जाना सुबह-सुबह स्कूल जाना रास्तों पर खेलते जाना रास्ते में लड्डू चलाना दोस्तों को अलग अलग नामों से चिढ़ाना फिर कच्चे रास्ते में दौड़ते जाना फिर स्कूल में बैठ जाना और छुट्टी हो तो घर को आना रास्ते में कुछ खाना फिर दादी को किस्से सुनाना दादी के संग ओ घूमने जाना रास्ते में मम्मी और पापा का इंतजार करना और रास्ते से फिर घर को आना #रास्ते और गांव
Anit kumar kavi
रस्ता और गाँव इस शहर की भागती-दौड़ती जिंदगी में ना समय का पता चलता है और ना रिश्तों का मगर जब याद आता है अपने गांव का रास्ता तब अपनों के बीच रहने का सुखद अहसास होता है और ये मन अपने बचपन की खट्टी-मीठी यादों का सुखद अनुभव करता है । रास्ता और गांव
Roshni keshari
शहर का चकाचौंध ऐसा है कि गांव की मिट्टी को भी भुला देता है पेड़ की ठंडी छांव के नीचे बैठ मिट्टी की सोंधी खुशबू को अंतर्मन में बसाएं शहर की ओर हर लोग चला जाता है गांव की मिट्टी को बस यादों में बसाया रहता है ©Roshni keshari शहर और गांव