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Stories related to झुरिया

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Vikas Dhaundiyal

 #झुरियाँ #और #छुरियाँ

sîdňôôr.

बाबू- #उम्र चाहे कितनी भी हो सुना है #दिल पर #झुरियां नहीं पड़ती

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उम्र चाहे कितनी भी हो  
  दिल पर झुरियां नहीं पड़ती बाबू-
      #उम्र चाहे कितनी भी हो
                 सुना है
     #दिल पर #झुरियां नहीं पड़ती

UNPLUGGED KAUSICK

फासले भी बड़ गऐ दुरिया भी बड़ गई मौत भी ना आई और झुरिया भी पड़ गई!

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 फासले भी बड़ गऐ  दुरिया भी बड़ गई मौत भी ना आई और झुरिया भी पड़ गई!

Vimal Pathak

सारी ज़िन्दगी की भागदौड़ का मेहनताना भी क्या खूब है चेहरे पे झुरियाँ, और अपनों से दूरियां। #विचार

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 सारी ज़िन्दगी की भागदौड़ का
         मेहनताना भी क्या खूब है
         चेहरे पे झुरियाँ,
         और अपनों से दूरियां।

*Gopal Ojha*

*सारी ज़िन्दगी की भागदौड़ का मेहनताना भी क्या खूब है, चेहरे पे झुरियाँ, और अपनों से दूरियां,* *जिन्दगी समझ आ गयी तो अकेले में मेला, और ना समझ #OpenPoetry

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#OpenPoetry *सारी ज़िन्दगी की भागदौड़ का🏃‍♂️ 

मेहनताना भी क्या खूब है, चेहरे पे 

झुरियाँ, और अपनों से दूरियां,*

जिन्दगी समझ आ गयी तो अकेले में 

मेला, और ना समझ आयी तो, मेले में 

भी अकेला ।* *सारी ज़िन्दगी की भागदौड़ का मेहनताना भी क्या खूब है, चेहरे पे झुरियाँ, और अपनों से दूरियां,*

*जिन्दगी समझ आ गयी तो अकेले में मेला, और ना समझ

सुसि ग़ाफ़िल

मैं किसी खास समंदर में था वहां दिन रात का पता नहीं था मैं डूबते डूबते चला गया परंतु कहीं किनारा नहीं था भुजाओं ने ठाना था नदियों की कमर प

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मासूमियत की आंखों ने 
जब छू लिया मेरे मन को

मेरा तन भी पता लगा मेरा नहीं था मैं किसी खास समंदर में था
वहां दिन रात का पता नहीं था

मैं डूबते डूबते चला गया 
परंतु कहीं किनारा नहीं था

भुजाओं ने ठाना था नदियों की कमर प

Ali Shaikh (Poet)

मेरी दुनिआ के सारे रंग मेरी माँ से जिन्दा है मुझे सब याद है अब भी मै जब छोटा सा बच्चा था किसी जिद पर जो अड़ जाता तो रोने बैठ जाता था मै ज

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 मेरी दुनिआ के सारे रंग मेरी माँ से जिन्दा है
मुझे सब याद है अब भी 
मै जब छोटा सा बच्चा था 
किसी जिद पर जो अड़ जाता 
तो रोने बैठ जाता था 
मै ज

सुसि ग़ाफ़िल

मुझे नासूर मत बनाओ, करीब रहने दो बूंदों की टपाटप ठीक है मेरा खून ना होने दो नीले काले आसमां की तरफ देखते देखते मुझे गिल्ली मिट्टी के पल्लू

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मुझे नासूर मत बनाओ, करीब रहने दो
बूंदों की टपाटप ठीक है मेरा खून ना होने दो 

कितनी झुरियाँ आ गई है तुम देखो तो सही
पास आओ  तुम अब मुझे जवां भी होने दो मुझे नासूर मत बनाओ, करीब रहने दो
बूंदों की टपाटप ठीक है मेरा खून ना होने दो 

नीले काले आसमां की तरफ देखते देखते
मुझे गिल्ली मिट्टी के पल्लू
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