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Author Rupesh Singh
रो उठीं बाग की दीवारें हर दिशा ख़ौफ़ से डोली थी। ज़ालिम डायर ने जब खेली खूँख़ार खून की होली थी। गुमनाम शहीदों की गणना ख़ुद मौत न कर पाई होगी। निष्ठुरता भी चीखी होगी, निर्ममता चिल्लाई होगी। ©R. k. singh # जलियांवाला बाग हत्याकांड
Metro Agency Online Holsel Shop
जलियांवाला बाग ©Metro Agency Online Holsel Shop जलियांवाला बाग हतया कांद
Miss Kamlani
हर छोटी चीज़ ना बड़ी क्यूट लगती है। फिर चाहे वो छोटे बच्चे हों या छोटे पलक के पत्ते।। ©Miss Kamlani चीज़ें छोटी खुशी बड़ी। #खुशी #जीवन #विचार #बाग #बगीचे #फूल #टहेनीयां #trees #branches
Internet Jockey
दिमाग में बर्फ़ और दिल में आग होनी चाहिए भले ही तुम एक तितली हो पर नज़र बाग पर होनी चाहिए ©Internet Jockey दिमाग में बर्फ़ और दिल में आग होनी चाहिए भले ही तुम एक तितली हो पर नज़र बाग पर होनी चाहिए
Sushma
अब कोई पूछे पसंद मेरी तो मूझे कुछ याद नहीं अब मेरी यादाश्त कुछ कम हो गई है अब सब कुछ धीरे धीरे भुलने लगी हूँ... ना फूल याग है ना फूलों का बाग ना तुम याद हो ना तुम्हारी कोई बात.... ©Sushma #Tulips अब कोई पूछे पसंद मेरी तो मूझे कुछ याद नहीं अब मेरी यादाश्त कुछ कम हो गई है अब सब कुछ धीरे धीरे भुलने लगी हूँ... ना फूल याग है ना फ
Shivkumar
White खट्टे मीठे पीले आम कितने हैं रसीले आम सभी फलों के राजा हैं सबसे ऊँची इनकी शान आई गर्मी लेकर आम सूझा ना कोई और काम आम तोड़ने की हुई तैयारी दौड़े बच्चे दिल को थाम बाग बगीचे भरे पड़े हैं लटके तरह-तरह के आम माली के नजरों से छुप कर निशाना लगाते गुलेल थाम जिसका निशाना पक्का होता मिलता उसको उसका ईनाम लगे पत्थर जो माली के सर पर सरपट भागे धड़ाम धड़ाम सबके दिलों की पसंद हैं यह सबके मन को ललचाते आम पल भर में चट कर जाते बच्चों को खूब लुभाते आम। ©Shivkumar #mango #आम #Nojoto खट्टे मीठे पीले आम कितने हैं रसीले आम सभी फलों के राजा हैं सबसे ऊँची इनकी #शान
Rohit Lala
एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया. वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी. निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी. इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है. रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया. लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए. वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था. ©Rohit Lala एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे
Ravendra