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पायल कश्यप
"कैसे बैसाखी की शुभकामनाएं ले लूँ मैं, इस दिन तो, लाँखो बेकसूर, भारतवासियो को, गोली से छलनी किया था, गद्दार अंग्रेजों ने, जरा भी ख़ौफ़ नही था, भारत के वीरो में, पर कुत्तों ने दिखाई अपनी ओकाद, निहत्ते लोगो पर चलाई गोलियाँ हज़ार, अहिंसा के पुजारी, अहिंसा के चक्कर मे रह गए, बेकसूर लोग, जलियांवाला बाग में, शहीद हो गए। मिट्टी लाल रंग की, याद दिलाती हैं, घटना 13 अप्रैल जलियांवाला बाग की।।" पायल कश्यप। जलियांवाला बाग
Mani
जलियांवाला बाग जलियांवाला बाग में लगा इंकलाब का नारा था जो शहीद हुआ वो हिंदुस्तानी खून हमारा था वो खुशियों का मेला ही सबका काल हो गया बच्चे बूढ़े औरत के खून से मिट्टी लाल हो गया मुश्किल की ये घडी थी आयी देश में साहब लोगों का तो बद् से बद्तर हाल हो गया गांधी नेहरू और सब के सब सन्न हो गए जलियांवाला बाग से भगत सिंह उत्पन्न हो गए निहत्थे पर वार किया ब्रिटिश कुते कायर ने 1650 गोलियां चलाई जनरल डायर ने 6 हफ्ते के बच्चे को भी उसने मारा था ऐसा करके उसने वीरों को ललकारा था खून सनी मिट्टी पर गिरने वाला आंसूं खारा था जो शहीद हुआ वो हिंदस्तानी खून हमारा था मणि कान्त कौशल #NojotoQuote जलियांवाला बाग कविता
लेखक रुपेश कुमार सिंह
रो उठीं बाग की दीवारें हर दिशा ख़ौफ़ से डोली थी। ज़ालिम डायर ने जब खेली खूँख़ार खून की होली थी। गुमनाम शहीदों की गणना ख़ुद मौत न कर पाई होगी। निष्ठुरता भी चीखी होगी, निर्ममता चिल्लाई होगी। ©R. k. singh # जलियांवाला बाग हत्याकांड
Waqar Yunus Ashrafi
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पे मरने वालों का यही बाक़ी निशां होगा ©Waqar Yunus Ashrafi जलियांवाला बाग #JallianwalaBagh
Sohan Yadaw
देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले जलियांवाला बाग के अमर शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि। ©Sohan Yadaw #JallianwalaBagh जलियांवाला बाग
ABHISHEK TIWARI
जलियांवाला बाग हत्याकांड:- यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से, वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। परिमल-हीन पराग दाग़ सा बना पड़ा है, हा! यह प्यारा बाग़ खून से सना पड़ा है। ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना, यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना। कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावें, भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें। कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर, कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर। तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर, शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर। यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना, यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना। ~सुभद्रा कुमारी चौहान जलियांवाला बाग हत्याकांड
Urmila Katariya
जनरल डायर निगल गया हजारों निर्दोष भारतीयों को बनकर के विषैला नाग याद करके जलिया वाले बाग की घटना जल उठती है ह्रदय में आक्रोश कीआग 13 अप्रैल जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस है आज ©Urmila Katariya जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस