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Yogi Sonu
ईश्वर बाहर भी है और भीतर भी बाहर खोजने वाला भटकता है भीतर खोजने वाला पाता है अतः है प्रिय अपने को सभी बंधनों से मुक्त जानो अष्टावक्र गीता। ©Yogi Sonu ईश्वर बाहर भी है और भीतर भी बाहर खोजने वाला भटकता है भीतर खोजने वाला पाता है अतः है प्रिय अपने को सभी बंधनों से मुक्त जानो अष्टावक्र गीता। #
Pawan Kumar
White श्री कृष्ण कहते है अंहकार उसी को होता है जिसे बिना मेहनत के सब कुछ मिल जाता है। मेहनत से सुख प्राप्त करने वाला व्यक्ति दूसरे की मेहनत का भी सम्मान करता है। ©Pawan Kumar भागवत गीता सार
Vk Virendra
गीता-सार ★ क्यों व्यर्थ की चिन्ता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है। ©Vk Virendra गीता सार #कान्हा
आगाज़
White एक नवल आचार उतारो जीवन में एक मात्र दातार उतारो जीवन में मानवता की ख़ातिर जीना मरना है तो गीता का सार उतारो जीवन में - गोविन्द द्विवेदी ✍🏿 ©आगाज़ #flowers गीता सार
Vk Virendra
गीता-सार ★ क्यों व्यर्थ की चिन्ता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है। ©Vk Virendra गीता सार #gita #गीतासार
Vk Virendra
खुशी में पढ़ोगे तो बुरा लगेगा... दुःख में पढ़ोगे तो अच्छा लगेगा ... ये लाईन ये वक्त है गुजर जायेगा ©Vk Virendra कान्हा जी #कान्हा #गीता #ज्ञान
Ram Yadav
इकलौता जीव मिला सांड के रूप में, ना खाना मांगते मिला... ना पानी ढूंढते दिखा.... दर्द से चीखते न सुना.... खुशी से मतवाला न हुआ.... मनुष्यता से भी बहुत ऊपर, अध्यात्म का वो सिरा,,,, जिसमें गीता का सार छिपा, हर परिस्थिति में जो सम रहा।।।।।। अलग ही रहस्य,,,, जो पीपल, बरगद, सांड, संत, कैलाश, गंगा........... जीवन को जीवन दे रहे हैं।।।।।।।।।।।। हरि ॐ 28.02.24 ©Ram Yadav #MountainPeak #अध्यात्म #भारत #संस्कृति #गीता
मोरध्वज सिंह
Follow up Friends ©मोरध्वज सिंह गीता का ज्ञान। #Love #Life #viral
Writer Geeta Sharma
कविता करूपता क्यो एक पहर रात देह चमकने लगी जब मेरी तो फ़िर चमकने लगा नूर सारा फ़िर क्यो किसी ने नही मुझे करूपता का थप्पड़ मारा क्यो दिल के उजालों में धुंधली सी दिखती हूँ फ़िर रात के अंधेरो में मैं सरेआम बिकती हूँ अस्तिवता के मेंरे पंख तोड़े जाते हैं विनम्रता के शंख फ़िर जोड़े जाते हैं लगा कर मुझ पर रीति रिवाजों का पहर मेंरे कदम फ़िर तो मोड़े जाते हैं मैं समझ ना पाई ख़ुद पर इस घृणा को जिसका चारों तरफ पहर हैं सांवली सी सूरत पर ना कोई शहर हैं क्यो हूँ मैं निराकार मेरा कोई आकार नही क्य़ा सुंदरता पर मेरा कोई अधिकार नही गीता शर्मा नई दिल्ली ©Writer Geeta Sharma #sunlight great poetry राष्टीय कवि गीता शर्मा