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Stories related to जुर्म की आवाज

Naushad bin Sharif

#Thinking झूठी शान के परिदे फड़फड़ाते है बाज़ की उड़ान में कभी आवाज नहीं होती

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White झूठी शान के परिदे फड़फड़ाते है बाज़ की उड़ान में कभी आवाज नहीं होती

©Naushad bin Sharif #Thinking झूठी शान के परिदे फड़फड़ाते है बाज़ की उड़ान में कभी आवाज नहीं होती

Bhupendra Uikey

बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में

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बारिश की एक
 बूंद सागर की तलाश में
🌺👰

©Bhupendra Uikey बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में

Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

White 
✍️["बरसों की तन्हाई"]✍️
"आज मैं उस शख़्स से मिला,
जिससे मिलने की बचपन से ख़्वाहिश थी।
बातें हुईं कुछ यूँ कि लगा,
जैसे बरसों की तन्हाई थी।"
💕💕 💕💕 💕💕
✍️["चाँदनी की आरज़ू"]✍️
"ऐ काश, चाँद की बाहों में
एक चाँदनी भी होती,
रात की ख़ामोशी में
बस उसी की रोशनी होती।"

©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."] #Moon ["#चाँदनी की #आरज़ू"]
["#बरसों की #तन्हाई_और_.....# #shayari love

काली स्याही डिटेक्टिव

रसोई की सफाई.. उम्र की बड़ाई..

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chadni dahiya

पापा की पारियों की शादी वीडियो कॉमेडी

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Sarvesh kumar kashyap

💗 दिल की धड़कनें और आवाज..🤷 Poetry #viral #status #Trending #Motivational

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RUPESH Kr SINHA

#बुलनदी की कहानी खुद की

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नवनीत ठाकुर

#आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस

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आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें,
इस अन्याय के जहान को खत्म करें।

ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा,
हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा।
इंसाफ का सूरज अब उगाना होगा,
नई क्रांति का परचम लहराना होगा।

हर साजिश का पर्दाफाश करना होगा,
हर अन्याय को जड़ से उखाड़ना होगा।
आओ उम्मीदों की मशाल जलाएं,
इस सियाह दौर को रौशन बनाएं।

©नवनीत ठाकुर #आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें,
इस अन्याय के जहान को खत्म करें।

ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा,
हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा।
इंस

नवनीत ठाकुर

#षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा

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White षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी,
भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी।
शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़,
जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगाज़।

अपहरण के धंधे अब आम हो गए,
अपराधी खुलेआम इनाम हो गए।
छेड़छाड़ के ज़ख्म लहू-लुहान हैं,
इंसाफ के मंदिर खुद बदगुमान हैं।

यह कैसी सभ्यता, यह कैसी रवायत?
जहां जुर्म को मिलती है हर इक सहायत।

©नवनीत ठाकुर #षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी,
भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी।
शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़,
जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा

Ravendra

पूर्व शिक्षा मंत्री ने बने मॉडल की की सराहना

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