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Dr Jayanti Pandey
बिके हुए सरदार हैं और बिके ही पहरेदार हैं किससे आस लगाओगे,सब नफ़रत के यार हैं हर तरफ बिखरी है इक स्याह चादर नफ़रत की और वो चाहते हैं हमसे कि हम बस प्रेम जताएं मुश्किल हुआ है जीना,इन जहरीली हवाओं में वो चाहते हैं हम मि
Anupam Sarkar
मैंने मेरे दिल के हर हाल को बयां किया है लिखकर उड़ कर कभी खुशियों में, कभी दुःखों में मिटकर मेरे दर्द कलम से हो कर कागज़ पर उतर जाते हैं मेरे आंसुओं के मोती मेरी ग़ज़लों को सजाते हैं मैं लिख कर दर्द फिर दर्द से मुक्ति पा लेता हूँ तेरे इश्क़ के नग़मे लिखकर भी तो, बड़ी ख़ुशी से गा लेता हूँ । मैंने मेरे दिल के हर हाल को बयां किया है लिखकर उड़ कर कभी खुशियों में, कभी दुःखों में मिटकर मेरे दर्द कलम से हो कर कागज़ पर उतर जाते हैं मेरे
Mohanbhai आनंद
मौज ए दिल , गुजरे लफ्ज जजबात है दिल की हमदर्द से , दिल्लगी भरी बात है दर्द का होना लाजिमी ,जख्म की भी यही कोइ पसंद, ना पसंदगी की खरी बात है मिले कोइ ,मिटकर रहे फितरत ए फ़न भी कोई हवा का झौका , सफर की बात है बेबयाँ हुं ,बेबस कतई नही अपने हुनर से उलफत की अदायगी ,इन्सानियत बात है खुश रहो , मिजाज ए महोबत दुनियादारी में हकीकत होनहार हुश्न ,ईबादत की बात है #Dullness मौज ए दिल , गुजरे लफ्ज जजबात है दिल की हमदर्द से , दिल्लगी भरी बात है दर्द का होना लाजिमी ,जख्म की भी यही कोइ पसंद, ना पसं
Vandana
कभी समय की ताकत देखी है तुमने जहां अर्थीया जलती थी वहां महल खड़े हो गए जहां महल खड़े थे वहां खंडहर बन गए समय को देखना हो तो कभी अपने शरीर को गौर से देखना जो बचपन की मासूमियत से प्रौढ़ावस्था तक और उस चेहरे में बदलते हाव-भाव भावनाएं समय के साथ कैस
Azad
कुछ चार पंक्तिया अनुशीर्षक में 🇮🇳😊🇮🇳 शीश झुका सम्मान करू भारत माँ को प्रणाम करू दिल में है जज्बा चेहरे पर मुस्कान सरहद पर खड़ा है अम्मा राम और रहमान यह मिट्टी है उन वीरो की जहाँ
Ravi Sharma
क्रोध जलाए आप को , जल जाए बस छाती आग पी जाए तेल को अंत जले बस बाती।। अपनी मैं में मर रहा हर मानुष नादान , आंनद में बस वो रहे जो सुमिरे भगवान।। नाथ सहारा हो तुम्ही , तुम्ही हो पालनहार तुम्ही आस विश्वास हो , तुम्ही हो तारनहार।। रीते नयन सागर बने , हृदय लगे जब शूल, माफ किया न जाय रवि बड़ी लगे जब भूल।। बोले से बोले बने न , सब हार जाए मनोहार बातों से बातें बढ़ें फिर बस बढ़ जाए तकरार।। जलती बाती देख के, रवि करता रहा विचार जल कर, मिटकर ही हुआ है रोशन ये संसार।। ।। रवि ।। ©Ravi Sharma क्रोध जलाए आप को , जल जाए बस छाती आग पी जाए तेल को अंत जले बस बाती।। अपनी मैं में मर रहा हर मानुष नादान , आंनद में बस वो रहे जो सुमिरे भग
साहस
वैसे तो हमसे नजरें मिलती नहीं किसी से, पर क्या करें अपनी बनती भी तो नहीं किसी से, शायद हमको भरोसा नहीं रहा अब किसी से, अब तो हाल ए दिल भी कहना नहीं किसी से, बारीकियां है राह ए उल्फत में किसी से, वफा का उंजाला अब लेना ही नहीं किसी से, वफाई से इश्क की कीमत जान ली किसी से, उजड़े किले बसते नहीं इश्क के किसी से, बेवफा थी वो अब कहना ही नहीं किसी से, हमारे ठौर में इश्क की रस्म निभती नहीं किसी से, हर एक हुस्न को यहां इश्क में खेलना है किसी से, मातम हमारे गमों का अब मनता भी नहीं हर किसी से। वैसे तो नज़रें हमसे चुराता नहीं कोई पर क्या करें कि अपना बनाता नहीं कोई शायद किसी को हम पर भरोसा नहीं रहा अब हाल ए दिल अपना सुनाता नहीं को