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New ये मेरे वतन लोगों Quotes, Status, Photo, Video

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Ruhi

मेरे बहते आंखों के अश्क कह रहे हैं तुमने मजबूरियां देखी है और लोगों ने तुम्हें मजबूर किया है।

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Unsplash   एक दिन मैं सब कुछ छोड़ जाऊंगी 
तुमसे दूर और अपनों से मु मोड़ जाऊंगी 
ज़माने भर से क्या मतलब....
मैं जहां से आई थी फ़िर उन्हीं राहों से लौट जाऊंगी ।
एक दिन मैं यूं ही किसी मिट्टी में हवा बन उड़ जाऊंगी,,
एक दिन तुम सब देखोगे और मैं सबके आंखों 
से धार बन कर बह जाऊंगी,,
एक दिन मैं इस दुनियां को अपनी से पराई कर जाऊंगी।
एक दिन तुम देखोगे लाश मेरी 
और मैं कब्र में आंखे मूंद सो जाऊंगी।

©Ruhi मेरे बहते आंखों के अश्क कह रहे हैं 
तुमने मजबूरियां देखी है 
और लोगों ने तुम्हें मजबूर किया है।

Tripurari Pandey

सभी लोगों को प्रणाम

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F M POETRY

#लोगों को लग रहा है....

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Unsplash लोगो को लग रहा है मैं ज्ञान पढ़ रहा हुँ..

गुज़रे हुए दिनों कि दास्तान पढ़ रहा हुँ..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #लोगों को लग रहा है....

priyanka pilibanga

मेरे अल्फ़ाज़

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usFAUJI

ना लड़ो भाई , लड़ना है लड़ो वतन के लिए #परिवार #वतन #usfauji

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White आज-कल समाज में भाई-भाई आपस में लड़ते रहते हैं 
जिससे उन्हें सिर्फ समाज शर्मिंदगी मिलती हैं 

लड़ना ही हैं तों वतन के लिए लड़ो 
मर भी गये तों तिरंगा 🇮🇳 मिलेगा कफ़न के लिए
🇮🇳 जय हिंद जय भारत 🇮🇳

©usFAUJI ना लड़ो भाई , लड़ना है लड़ो वतन के लिए #परिवार #वतन #usfauji #Nojoto

Kavi Himanshu Pandey

वतन.. #beingoriginal Hindi

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Vivek Gautam

मेरे एहसास...

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परिस्थितियां पक्ष में हों, या विपक्ष में।

योद्धा मैदान नहीं छोड़ते।।

©Vivek Gautam मेरे एहसास...

Raj Pokhriyal

"मेरी आँखें थोड़ी सी कमजोर हैं, ये बिसरे हुए लोगों के चेहरे नहीं पहचान पातीं।" poetry lovers poetry on love poetry in hindi

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White उससे एक रोज़ उसी रास्ते पर अचानक मुलाकात हुई, वो मिली और मुस्कुराते हुए पूछने लगी, 



"अरे वाह, आप तो बदल गए हो।"



मैंने भी बड़े अदब से जवाब दिया,

 "मेरी आँखें थोड़ी सी कमजोर हैं, ये बिसरे हुए लोगों के चेहरे नहीं पहचान पातीं।"

©Raj Pokhriyal "मेरी आँखें थोड़ी सी कमजोर हैं, ये बिसरे हुए लोगों के चेहरे नहीं पहचान पातीं।"

       poetry lovers poetry on love poetry in hindi

Rajeshwar Madhukar

मेरे कमल

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Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#किसके हिस्से वतन

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तेरा चिंतन मनन, अब पूछता कौन है 
अच्छे बुरे व्यसन,अब पूछता कौन है 

बेईमानी के धंधों में इजाफा बहुत है 
ईमानों का पतन अब पूछता कौन है..

दर्द देने की आदत शुमार है जमाना 
दर्द का कारण क्या अब पूछता कौन है 

जुल्मो सितम से आसमाँ फटा जाता है 
फूलों से कोमल मन अब पूछता कौन है 

दिलों में शहादत की लौ ही बुझ गई  
शहीदों को नमन अब कौन पूछता है..

ये जमीं बँट गई आसमां लुट गया फिर 
किसके हिस्से वतन, अब पूछता कौन है 

राहे वतन पे बिछना तेरी शान थी गुल 
बिखरा किस बदन अब पूछता कौन है...

जाने कहाँ मशगूल हो रहीं जिंदगियाँ 
अपना ही घर आँगन अब पूछता कौन है..

जब आँखों की शर्मो हया ही मर गई 
मुँह ताकता दर्पण अब पूछता कौन है...

©अज्ञात #किसके हिस्से वतन
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