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Anil Aaitel
गुजर रहा है उम्र पर जीना अभी बाकी है जिन हालातों ने पटका हैं जमीन पर उन्हें उठ कर जवाब देना अभी बाकी हैं चल रहा हूं मंजिल के सफर में मंजिल को पाना अभी बाकी हैं कर लेने दो लोगो को चर्चे मेरे हार के कमयाबी का शोर मचाना अभी बाकी हैं ©Anil Aaitel सस्पेंस थ्रिलर
नीता चौधरी
आए ही क्यो थे? सूरज आता है,धरती के लिए धरती नही पूछती... तुम आए क्यो थे?धरती भी जानती है सूरज उसी को ,सहारा देने आता है। जिम्मेदारी,अपने,सपने जब ये ही थे तुम्हारे लिए सब तो जिंदगी पूछती है मेरी तुमसे! तुमको इन लफडो में ही फसना था तो तुम मेरी जिंदगी में आए ही क्यो थे? गलत मत समझना मेरा सवाल अपने, जिम्मेदारी,सपने ये सबके होते हैं। पर कुछ तुम मेरे भी होते।----नीता चौधरी © #सस्पेस और थ्रिलर,लव और रोमांस #Love
꧁༒शिवम् सिंह भूमि༒꧂
कुछ बढ़िया ला रहा हूं आप सबके लिए । एक ऑडियो बुक जिसमे सस्पेंस थ्रिलर हॉरर कहानियां सुनाई जाएंगी । बने रहें हमारे साथ और सुनते रहिए मेरी लिखी हुई कहानियों को अपने अंदाज में । ©शिवम् सिंह भूमि #coldwinter जुड़े रहिए और मजा लीजिए हॉरर सस्पेंस थ्रिलर कहानियों का ।
꧁༒शिवम् सिंह भूमि༒꧂
रात के 2 बजे थे मुझे नींद नहीं आ रही थी , लगभग 2 घंटे से बिजली कटी हुई थी, तो सोचा की चलो छत पर टहलकर थोड़ी देर में सोने चला जाऊंगा । मुझे टहलते हुए करीब 15-20 मिनट हुए होंगे तभी पीछे से सुनाई दी 'हैलो मिस्टर' तुमसे ही कह रही हूं ....सुनाई दे रहा है तुम्हे...? मैंने कहा ' जी कहिए' अंधेरा था आवाज तो साफ सुनाई दे रही थी पर चेहरा साफ नहीं दिख रहा था । उसने कहा मेरे पापा से मेरी बात करवा दोगे ? एक्चुअली मेरे मोबाइल का रिचार्ज खत्म हो चुका है और जियो का सिम है पर पापा छोटा फोन यूज करते हैं ।मैंने कहा ठीक है आप अपना नंबर दे दो मैं आपको लाइन पर लेकर कांफ्रेंस कर देता हूं । उसने कहा ठीक है फिर जैसा उसने कहा मैंने कर दिया । हालांकि वो बिल्डिंग मेरे बिल्डिंग से सटा हुआ था पर शहर में यह आम बात है । मैं उस फ्लैट में किसी को नहीं जानता था । कांफ्रेंस कॉल पर दूसरे तरफ से आवाज आई 'हैलो कौन बोल रहा है..?' मैंने कहा अंकल मैं बात कर रहा हूं आपकी बेटी के फ्लैट से अगले फ्लैट में रहता हूं । आपकी बेटी आपसे बात करना चाहती है वो इस वक्त लाइन पर है । आप कहें तो लाइन कनेक्ट कर दूं । उधर से धीमी सी आवाज आई....नीचे चले जाओ बेटा रात बहुत हो गई है, आवाज में थोड़ी सी नरमी थी और लहजा थोड़ा सा अजीब । मैंने सोचा कि कोई अपनी बेटी से बात करके खुश होने की बजाय उसे सोने की सलाह क्यों दे रहा है । कहीं ये अंकल मुझे गलत तो नहीं समझ रहे । मैंने उन्हें बीच में टोका ' अरे अंकल जी आप मुझे गलत समझ रहे हो ?मैं वैसा लड़का नहीं हूं आपकी बेटी परेशान लगी इसलिए कॉल करके आपसे बात करवा दी खैर मुझे क्या ..? गुड नाईट । इतना बोलकर मैं सोने चला गया । अगले दिन उठकर सोचा की अंकल को कॉल करके सॉरी बोल देता हूं । क्या पता रात की बात से नाराज हो गए हों और मुझे गलत समझ लिया हो । मैंने अंकल को कॉल किया तो उन्होंने कहा कि बेटा मैं सामने वाले फ्लैट का वॉचमैन बोल रहा हूं । नीचे आकर मिलो । मैं नीचे गया तो वहां वो अंकल अकेले बैठे थे । उम्र करीब 50 - 55 के करीब होगी । चेहरे पर सफेद दाढ़ी और उजले बाल और चेहरे की झुर्रियां यह दर्शा रहे थे की वो काफी बुजुर्ग हैं । अंकल मुझे देखकर समझ गए की कल रात को उनके बेटी से मैने ही उनकी बात करवाई थी । मुझे देखकर बोले की आओ बेटा बैठो । पानी या चाय पियोगे..? मैंने कहा नहीं अंकल वो कल रात के लिए क्षमा चाहता हूं आपने गलत समझ लिया मुझे । उन्होंने थोड़ा रूंधे हुए स्वर में कहा नही बेटा, तुम सही हो पर मैंने कल तुम्हारी जान बचाई है । तुम जिससे मिलकर आए हो वो 10 साल पहले गुजर चुकी है । मुझे लगा जैसे किसी ने कान के पास एक बार में 50 आलू बॉम्ब एक साथ फोड़ दिया हो ।मैंने पूछा यह कैसे हुआ ..? और कब ..? तो उन्होंने कहा कि मेरी बेटी की शादी के लिए मैंने कुछ पैसे अपनी गांव की जमीन को बेचकर जोड़े थे । दहेज में दूल्हे वाले करीब 15 लाख रुपए मांग रहे थे । मैने बाकी के पैसे उधार लेकर उसके लिए पैसे जुटाए थे । शादी के 2 दिन पहले हमारे घर चोरी हो गई ।हमारा सब कुछ चला गया । एक ही बेटी थी , सपना था उसके लिए कुछ करने का पर हो ना सका । घर बेचकर उधार चुकाए और हमारे जो थोड़े से पैसे थे उसे लेकर यहां शिफ्ट हो गए ।शादी भी टूट गई और अब पैसे की तंगी से घर चलाना भी मुश्किल हो गया था । तब मेरे पास नौकरी भी नही थी । मेरी बेटी का एजुकेशन अच्छा था तो इस बिल्डिंग में उसे वॉचमैन की नौकरी मिल गई। आमदनी कम थी पर उसके पैसे से घर चल जाता था । एक दिन कुछ लोगों ने मिलकर उसका रेप करके उसका वीडियो ऑनलाइन साइट्स पर लीक कर दिया । बात काफी दूर तक चली गई । लोग ताने मारने लगे । उसे गलत नजर से देखने लगे । एक बाप के लिए सबसे बड़ी सजा यही होती है की वो अपनी बेटी को तड़पता हुआ देखे पर उसके दर्द को कम ना कर सके । यहीं इसी बिल्डिंग के छत से उसने आत्महत्या की थी ,सुसाइड बोलकर पुलिस ने केस बंद कर दिया । और इस बिल्डिंग के मालिक ने मुझे उसके जगह यहां नौकरी दे दी । तब से अब तक करीब 15 लोगों के सुसाइड की खबर आ चुकी है पर तुम कैसे बच गए यह समझ नही आया । अपने मन की सवाल को दूर करने के लिए मैं दूसरे दिन फिर छत पर गया । करीब 2:30 में मेरे कानो में आवाज पड़ी ' हैलो मिस्टर' तुमसे ही बात कर रही हूं .. सुनाई दे रहा है..? मैंने पीछे मुड़कर देखा और कहा मैं तुम्हारे पापा से मिलकर आया हूं । बहुत दुख में हैं वो.... तुम यह सब क्यों कर रही हो ? उसने कहा कि कल रूम नंबर 231 में जाकर देखना सब समझ जाओगे । मैंने पूछा की तुमने मुझे जिंदा क्यों छोड़ा ..? उसके चेहरे पर एक रहस्यमई मुस्कान थी । लूटकर आबरू बेटी की यहां हर कोई चैन से सो रहा है जिल्लत की जिंदगी उस बेटी के साथ पूरा परिवार ढो है बर्बाद होती जिंदगी देखी है हमने अक्सर बेटियों की कोई दहेज के लिए तो कोई बेटियों को पालने के लिए रो रहा है Continue...... ©शिवम् सिंह भूमि कमरा नंबर 231 भाग -1 कहानी सस्पेंस और थ्रिलर से भरपूर #betrayal
नीता चौधरी
रिश्तो का भ्रम बनते हैं रिश्ते,अपनेपन में। दोनो ओर के,हाथ मिलाने से। एक दूसरे की सुनते,और सुनाने से। हर पल साथ रहने,और चलने से। बनते हैं रिश्ते,अपनेपन में। भ्रम सा होता है,अब रिश्ते बनाने में छोटा बड़ा,अपना-पराया अच्छा-बूरा,सब रंग दिखाते हैं आजकल रिश्तो की आड में क्रोध के आवेश में,सब खत्म कर डालते हैं, रिश्ते जो कल तक जान लुटाते थे आज देखना भी नही चाहते। क्योकि दिमाग , सर्वार्थ से निभ रहे थे रिश्ते। भ्रम सा था मुझे,सब निभाते हैं रिश्ते दिल से।-------नीता चौधरी स्वतंत्र पत्रकार व लेखिका जोधपुर राजस्थान © #सस्पेश और थ्रिलर,#जिंदगी के किस्से,#विचार,#कविता,#समाज और संस्कृति #Dark
bhishma pratap singh
मैं वह घड़ी हूँ सदा आपको, नियमित समय बताती हूँ। मूल्यवान है समय सदा मैं, सबको ही समझाती हूँ।। किन्तु लोग हैं चेतावनी पर, मुझे लगा कर सोते हैं। कूद कूद कर चिल्लाती मैं, जागो किन्तु वे सोते हैं।। मैं नियमित जगती अलार्म तो, होता तुम्हें जगाने को। किन्तु बना दिया तुम लोगों ने, इसको मुझे भगाने को।। चेतावनी की इस चाबी से, अब मैं स्वयं डर जाती हूँ। बनी तुम्हारे लिए किन्तु, मैं स्वयं सताई जाती हूँ।। मेरे स्वामी समय से जागो, अब अपना आलस छोड़ो। समय का अनुपालन करलो, मत आपाधापी में दौडो।। इति नहीं। धन्यवाद। ©bhishma pratap singh #घड़ी_की_चेतावनी#हिन्दी कविता#काव्य संकलन#भीष्म प्रताप सिंह#सस्पेंस और थ्रिलर #alarmclock#अक्टूबर creator