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SATYA PRAKASH VERMA
रोटी बिहार का रोटी नहीं रोजगार चाहिए, पैसा नहीं व्यापार चाहिए हम सब हैं हुनर वाले , मौका हमें एक बार चाहिए ! अरे अब तो संभालिए साहेब 70 साल की कहानी कभी कोलकाता ,तो कभी दिल्ली, तो कभी गुजरात में भटक रहा है यह जिंदगानी! निकल पड़ते हैं रुपैया को खोजने ! एक बोतल पानी और एगो बैग के साथ ,25 बोगी वाला रेलगाड़ी में मात्र चार को सामान्य बोगी होता है !जैसे ही रेलगाड़ी आता है प्लेटफार्म पर वैसे ही बैग वा को फेंक देते हैं रेलगाड़ी के बोगी मैं! खचाखच भीड़ में पायदान पकड़कर पैर जमाने का कोशिश करते हैं, जैसे ही शरीर बोगी के अंदर जाता है तो एक सुकून का एहसास होता है ! अरे अब तो संभालिए साहेब ,कब तक चंद्र मिनटों का एहसास करते रहेंगे !अरे जो काम दिल्ली कोलकाता मुंबई गुजरात में हो सकता है बिहार में काहे नहीं अरे अब तो संभालिए साहेब , अरे अब तो संभालिए साहेब ! लेखक सत्य प्रकाश वर्मा रोटी बिहार का लेखक सत्य प्रकाश वर्मा #Art
Parasram Arora
कदाचित वो उस उपवन का एकलौता पुष्प था ........जो आदम की तरह अपनी ईव के उगने की प्रतीक्षा कऱ था था .......लेकिन भ्र्मरो के झुण्ड की नाज़ायज़ घेराबन्धी ने उसेकांटो के प्रति प्रेम मय होने के लिए प्रेरित किया था ........ अनुराग ......
Anurag0608
अपने करीब मत रखना मुझे, कहर हूं मैं।। मुझे चखने की गलती मत करना, ज़हर हूं मैं।। ©Anurag0608 अनुराग
anurag chouhan
वो पहली ही मुलाकात में हमसे कुछ छुपाने, कहना तो कुछ चाहते थे , फिर फ़ोन भी लगाने लगे, लेकिन कैसे कहते, मगरूर थे वो अपने उसूलों पर, हाल ऐसा हुआ खुद ही बहो में आने लगे अनुराग
Saurabh Suman
खोकर तुम्हारी यादों में ,मैंने तुझे भुलाना सीखा है खुद को खुद में खोकर, मैंने खुदा को पाना सीखा है रागो की आहुति देकर ,अनुराग में गाना सीखा है ये लहर,तूफां अब मुझे हिला दे, इतनी उनकी औकात कहां ना जाने कितनी दफा गिरा ,तब पैर जमाना सीखा है :- सुमन #NojotoQuote अनुराग.....
पंडित डीडी पाठक
🌷🌺🇮🇳मुक्तक 🇮🇳🌺🌹🌹 आपके अनुराग का अब तो, ये दिल मलंग रहता है, दर्द सारे जहां का अब तो, मुझको मरहम दिखता है, रूठकर तुम जबसे गई हो, ऐ मिरे दिल की मल्लिका, मेरे मन का मंदिर अब तो, सूना सूना लगता है। *********************************** विरह की आग में दिल अब तो,बस दिन रात धडकता है, मैं लाख समझाऊँ उसे पर, वह कुछ भी न समझता है, उम्मीदें बहुत हैं मुझे तो, तुझसे अब भी ऐ हमदम, मेरे मन का मंदिर अब तो, सूना सूना लगता है। 🌷🌷🌹🌺🇮🇳💐🌺🙏🙏🌺🌹 ✍पं डीडी पाठक अनुराग "वशिष्ट" पीताम्बरापुरी (दतिया), मध्यप्रदेश 12/08/2020 अनुराग