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अरविंद राव
हम दोनों इतने करीब थे जैसे... रेल की पटरी के दो छोर वो... अपने अधिकार की ख़ातिर खड़ी थी मैं... अपने प्यार की ख़ातिर अड़ा था इसी कशमकश में वक्त गुज़रा और बढ़ती रही दूरी पास होकर भी।। ©Arbind #पटरी का छोर
Shefali Sharma
रेल की पटरी सी है जिंदगी रहे हज़ार है पर ना जाने मेरी मंन्ज़िल की सही राह कोनसी है पटरी
Ek villain
देश के सबसे बड़े आबादी वाले राज्य में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है अब यह महज कुछ ही दिन में राज्य के अंदर मतदान परम हो जाएंगे लिहाज देश को राजनीतिक दिशा देने वाले राज्य में नेताओं का सियार पार किया हुआ बढ़ा हुआ है ऐसे में नेता के मन में जनता के विकास का मुद्दा कम नजर आ रहा है एक दूसरे के ऐतिहासिक कारनामे ज्यादा सामने निकल कर आ रहे हैं चाहे वह धर्म को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में सियासी दांव आसान हो या जिन्ना और गन्ना का मुद्दा हो चाहे वह हिंदू तत्व राम का मुद्दा हो चाहे चुनाव के सियासी सरगामी प्रदेश और देश में कई नहीं है इस परंपरा का निर्वाह लंबे समय से चला आ रहा है इस चक्कर में असल मुद्दे गायब हो जाते हैं ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या यह नेता प्रदेश के अंदर धर्म की बात कर कर एक दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर इतिहास के पन्नों को निरंतर विकास के असली मुद्दे से जनता को गुमराह करना चाहते हैं क्या इन बातों से जनता का इतिहास शिक्षा देना चाहिए यह सिर्फ सिर्फ जंत के कमर आकर जैसे ही अपने राज्य के तमाम लोगों के पूछे जाने पर सवाल एक नेताओं तक ना आए दूसरी ओर जब यूपी जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य में जहां पर नेताओं के बोले से दंगे तक हुए हैं तो इन लोगों के बयान बाजी पर रोक क्यों नहीं लगती ©Ek villain #बे पटरी हुआ विकास का मुद्दा #roseday
Ji Shiva
"जिदंगी गिरवी रख दुगां । तु सिर्फ कीमत बोल मुस्कुराने की ।।" " शिव " #NojotoQuote शिवा @@@@@पटरी
Rajnish Sharma
आप हमारी नजदीकीयो की बदकिस्मती नही समझ सकते रेल की पटरी से हम दोनो साथ,पर हाथ नही पकड सकते रेल पटरी
Parasram Arora
तकरार इंकार और इंतज़ार में जिंदगी निकल गई ..मृत्यु की रेलगाड़ी आई थी मुझे लेने.....,ऍन. वक्त वो किसी और मुकाम के लिए पटरी बदल गई ... पटरी बदल गई
Alok Agarwal
पटरी और प्रेम तेज़ गति से दौड़ती ट्रेन की खिड़की से बाहर देखने पर प्रेम के कितने रूप नज़र आते हैं ! जब तेज़ गति से मिलती दो पटरियाँ उसी रफ़्तार से बिछड़ जाती हैं, तो प्रेम क्षणिक ! और वही पटरी कुछ दूर और आगे चलकर जब यही दृश्य दोहराती है, तो प्रेम छल मालूम होता है ! जब ट्रेन की धीमी होती गति के साथ वो तेज़ दौड़ती पटरियाँ भी रूक जाती हैं तो प्रेम समाप्त ! सिर्फ़ साथ चलती पटरियाँ जो कभी नहीं मिलतीं, क्या प्रेम का सबसे सुंदर रूप वही है ? पटरी और प्रेम