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श्रीवास्तव सूरज
समाज का दोहरा मानक और मौजूदा रणनैतिक परिदृश्य जहाँ पर नैतिकता का ह्रास हो रहा है, समाज मे किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थित सोचने पर मजबूर कर देती है।। #समाज #मानक #विचार#नोजोटो
Ek villain
बात अधिकारों की हो यह अच्छी बात है खूब होनी चाहिए और उचित अनुचित का विवरण कानून की पूरा देश में रहकर होना चाहिए अपने अधिकारों पर अतिक्रमण का विरोध करना चाहिए लेकिन ध्यान रखना चाहिए किसी के अधिकारों का हनन भी ना हो किसी व्यक्ति जाति समुदाय विशेष को लक्ष्य अधिकारों की बात को अनुसूचित कहने पर भी चर्चित नहीं होनी चाहिए बुलंदशहर में एक मुस्लिम युवक और इंटरनेट मीडिया पर गाली गलौज और अश्लील टिप्पणियों का सामना करना पड़ा क्योंकि उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्य योगी आदित्यनाथ की योजना और विकास कार्य का ध्यान किया और उनकी नीतियों की प्रशंसा की और मोदी को अच्छा नेतृत्व और योगी की योजनाओं में गरीबों का उत्थान होने की बात कही योगिता के साथ अभद्रता करने वाले लोगों को समूह में आते जो हिजाब पहनने को मौलिक अधिकारों का हिस्सा बताते हैं उस पर रोक का विरोध करते हैं विवाद को पूरे देश में धूल देश की साजिश रचने का प्रयास कर रहे ©Ek villain #दोहरे मानक के अधिकारों की बात #kissday
indira
हर वो मुकाम हासिल हो आपको जिसकी आपको दिल से चाह हो चेहरे पर हर दम ये नूर चमकता रहे सूरज के समान आपका तेज हो हर वो राह आसान बन जाए जिस राह पर आप कदम बढ़ाओ चेहरे की मुस्कुराहट हमेशा बनी रहे आपके चाहने वाले सदा आपके साथ बने रहे खुशहाली ही खुशहाली जीवन में आपके बनी रहे हर वक्त आप दिल से मुस्कुराते रहे ©indira # manak जी जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं मानक जी #colours
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी खोखले शरीर,अधमरे होकर नैया जीवन के दोह रहे है इतने संकमण हवा पानी मे नयी नयी बीमारियां पैदा कर दवा पर आश्रत कर रहे है वैक्सीन बना बनाकर मानव जीवन से खेल रहे है हेल्थ की दुहाई देकर व्यापार के लिये मानक वीपी शुगर के बदल रहै है कम्पनियों के दलाल बन प्राण मानव के हर रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Health मानक वीपी शुगर के बदल रहे है #nojotohindi
अदनासा-
हर दृश्य पर दृष्टि मानक रखना समक्ष अनंत दृश्यों का दृश्य है अदृश्य पर दृष्टि विचारक रखना नित्य दक्ष हो अदृश्य ही दृश्य है ©अदनासा- #हिंदी #दृष्टि #अदृश्य #दृश्य #मानक #seaside #Instagram #Facebook #Pinterest #अदनासा
Ashutosh Mishra
== व्यवहारिक मानक== एक बात को मैंने स्पष्ट तौर पर महसूस किया है कि, जब आप किसी का ज्यादा ध्यान देते है तो वह आप को परखने लगता है, मैं ये नहीं कहता कि ये गलत है। किसी पर आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए,,पर यह जानने के बाद कि वो आप को दिल से इज्जत देता है और आप की खुशियों को विशेष महत्व देता है ऐसी परिस्थिति में उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरे से यह उचित नहीं है। ÷यह संदेश किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं अपितु हर उम्र, वर्ग और समुदाय के लिए है÷ आप जैसी अपेक्षा दूसरों से रखतें हैं, आप को दूसरों से भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #intezar व्यावहारिक मानक NojotoHindi NojotoEnglish NojotoNews Nojotothought Hardik Mahajan Ranjit Kumar rasmi jitendra karnawat कवि संतोष बड़
अज्ञात
पेज-7 मानक का परिवार यूँ तो बहुत खुशहाल है किन्तु माँ के मन में अपने बेटे के योग्य किसी सुशील कन्या मिलने का इंतजार है जो मानक नित्य अपनी माँ की आँखों में झाँकता रहता है..लेकिन मानक करे तो क्या करे..? सुशील कन्या तलाश करना वो भी आज के परिवेश में थोड़ा मुश्किल तो है..! पर मानक अपनी माँ को इस तरह परेशान नहीं देख सकता था..आज दोपहर को भी जब मानक लंच टाइम में किसी काम से घर को आया तो माँ की आँखों में वही चिंता और वही शब्द-बेटा भगवान करे जल्दी तुझे कोई योग्य लड़की मिल जाये तेरा भी घर बस जाये तो मुझे पूरी संतुष्टि हो जाये..और मानक ये सुनकर माँ को धीरज बंधाता-"अरे माई तू फिकर क्यूँ करती है तेरे बेटे के लिये ऐसी वैसी लड़की नहीं भगवान ने कोई स्पेशल लड़की बनाई होगी.. तू धीरज तो रख.. देखना जब दुल्हन घर आयेगी तो तू भी कहेगी पूनम का चाँद उतर आया है.." और माँ फिर खुश हो जाती... मानक के परिवार को अभी कालोनी में आये अधिक नहीं हुये थे, इसलिये अभी ज्यादा जान पहचान हो ही नहीं पाई तभी उचित अवसर देख मानक ने एक उपाय खोजा और उसे तुरंत अंजाम दिया, उपाय क्या था..? उपाय था मानक का नोजोटो परिवार...! बस फिर क्या था दस मिनट शेष थे, मानक आनन फानन में दौड़ता भागता हुआ अपनी मात्ररूपणी बहनों के घर पहुंचा.. डोरबेल बजी टिंगटोंग.. ! टिंगटोंग...! दरवाजा खुला सामने पुष्पा दी.... -अर्रे मेरा बच्चा.. ! मानक-दी दी शाम को 7 बजे आप, सुधा दी, राखी दी, और दिव्या दी मेरे घर आइये.. प्लीज.. !..ओके, मै चलता हूं अभी.. पुष्पा जी-अर्रे मानक सु.. नो तो.. चाssssय.. तो.. मानक- शा.... म.. को.. घ..र पर... ! [इतना कहते हुये मानक अपने ऑफिस चल दिया.. पुष्पा जी ने अपनी सभी सहेलियों को फोन पर इत्तिला दे दी और शाम को ठीक सात बजे मानक अपने घर में प्रतीक्षारत दिखा। माँ पिताजी सोफ़े पर बैठे हुये हैं बड़े भैया भी आज मानक की बहनों से मिलने खुशी में फूले नहीं समा रहे हैं भाभी मेहमानों के लिये अतिउत्साह से रसोई बना रही हैं.. कि तभी चारों बहनें मानक के घर पर .. अब आगे.. ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी पेज-7 मानक का परिवार यूँ तो बहुत खुशहाल है किन्तु माँ के मन में अपने बेटे के योग्य किसी सुशील कन्या मिलने का इंतजार है जो म