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Sapna Singh
एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... उस गली में जा रही थी परी, कुछ शैतान धाक लगा कर बैठे थे, परी के सारे पर तोड़ दिए, अब वो कभी ना जाएगी उस रोशन वाली गली। #NojotoQuote रोशन वाली गली...
Rahul Yadav
#नुक्कड वाली गली और पुरानी यादें रूके जो फिर उन गलियो मे तो बेचैन हुआ दिल थोड़ा सा खुबसुरत है वो मोड़ आज भी कभी जिस मोड़ तक तुझको छोड़ा था नम हुई पलके कुछ पल, लगा जैसे तु फिर मिलने मुझसे आई थी कुछ शोर हुआ, सपना टुटा,तो देखा मैने, वो तो गुजरे कल की परछाई थी. #नुक्कड वाली गली और पुरानी यादें #directions
Shashank Rastogi
आईगी क्या फिर वो सुबह लेके खुशियों की चाह फिर वही दफ्तर की मुश्किलों की राह फिर सुबह से लेके शाम तक थकने वाली दाह सुबह सुबह फिर से एक चाय की प्याली परांठों और माखन से भरी थाली साथ में दिन के लिए टिफिन ना जाने कब वापस आएंगे ऑफिस के वो दिन #सुबह #चाय #नाश्ता #ऑफिस #परांठे एक सुबह
Aaryan Aarya
दिल की बात ज़ुबा पर लाने से डरते है रात होते ही चाँद के साये मे छिपते है रोते है महसूस करते है उनकी बेवफाई की बात खुद से किया करते है फिर नम आँखों से उनके अस्क को ढूँढा करते है #ThinkingMoon दर्द वाली गली से 🥺🥺😔😔😑😑
Preeti Shukla
Isqe vali gali Me chhod chali Isqe vali gali Me chhod chali Na tu sath chala Yuh mujhe chhod chala En anjan raho par Mujhe mud chala... — % & इश्क़ वाली गली, #इश्क़गली #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi# preetishukla#
PreetiShukla_810
Isqe vali gali Me chhod chali Isqe vali gali Me chhod chali Na tu sath chala Yuh mujhe chhod chala En anjan raho par Mujhe mud chala... — % & इश्क़ वाली गली, #इश्क़गली #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi# preetishukla#
jay
लोगों ने गुस्से को अंदर की गलत बातो को व्यक्त करने के लिए गलत शब्द ,गलत तरीके और अब गलत इशारे खोज निकाले इसका प्रयोग बिना समझे आगे वाली पीढ़ी तक अमानत बतौर पहुंचाया जाता है यह एक पुरुष जाती की सबसे बड़ी विफलता है जिस स्त्री जाति का सम्मान उसे करना चाहिए बातो बातो में ही सहज ही उसका अपमान करता है और उस बात से वह अज्ञानता दर्शाता हैं जैसे व्यक्ति व्यक्त बातो में कुछ गलत नहीं कहा ©jay गाली गली गली की
Pankaj Singh
*महक उठी गली-गली* बसंत की बयार में चहक उठी कली-कली। खिल उठे हैं मन कुसुम महक उठी गली-गली।। ब्योम सुर्ख लाल हुआ टेशू गुलाल सा, वन में पलाश खिला गोरी के गाल सा, सज धज के पनघट पे छोरियां चलीं चलीं। खिल उठे हैं मन कुसुम महक उठी गली-गली।। रंग की फुहार आके धड़कनें बढ़ा गई, भंग की तरंग उठ बिजलियां जगा गई, चूम कर पवन चला कि पत्तियां खिली-खिली। खिल उठे हैं मन कुसुम महक उठी गली-गली।। कंगना की प्यारी बोल मधु पराग घोलती, मंद मंद पायल धुन मन के द्वार खोलती, स्वप्न आस मन में लिए शाम भी ढली-ढली। खिल उठे हैं मन कुसुम महक उठी गली-गली।। कंचन सा मन हुआ चांदी ए तन हुआ, मधुरव से पूर्ण आज मेरा नयन हुआ, यू अनोखी प्रीत की पांखुरी खिली-खिली। खिल उठे हैं मन कुसुम महक उठी गली-गली।।" ©Pankaj Singh महक उठी गली गली #WalkingInWoods