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Ek villain
वास्तव में किसी कर्म के पीछे का भाव और उद्देश्य उस कर्म की प्रकृति का निर्धारण करता है यदि मन की पवित्र भाव और लोक कल्याण के संदेश या उद्देश्य से गर्म किया जाता है तो वह सदैव कल्याणकारी तथा पाप पुण्य से रहित होता है ©Ek villain #MemeBanao वास्तव में किसी कारण के पीछे का भाव और उधर से उस कर्म की प्रकृति का निर्धारण करता है
by खामोश...
कुछ लोग हमारी जिंदगी में बिना कारण के ही कारण बन जाते है, कोई हसने का कारण ... कोई जीने का कारण ... कोई मुस्कुराने का कारण... अंत में कोई रोने का कारण बन जाता है। ©by खामोश... कुछ लोग हमारी जिंदगी में बिना कारण के ही कारण बन जाते है। #sad😔 #लव #Sad💔 #Romantic #sad_feeling #Poetry
THE ENTERTAINMENT FACTORY BY SKY
good morning सुप्रभात कहने के लिए एक अच्छे मूड में अच्छे दिन पर अच्छे समय पर अच्छे कारण के लिए अच्छे व्यक्ति के लिए एक अच्छा एसएमएस
Pragati Maurya
#Pehlealfaaz मैं भावनाओं का खेल हूँ, मैं शब्दों का मेल हूँ। मैं ज्वाला सी गर्म ,बादल सी नर्म हूँ। मैं हवा सी चंचल, बिन मेघ बरसात हूँ .. मैं आजाद हूँ,फक्कड़ो की पहचान हूँ। थोड़ा इठला कर चलतीं ,मैं सौंदर्य गान हूँ.. तो कभी दर्दभरी आवाज हूँ। मैं कराहती चीजों के लिए नर्म हाथ हूँ। मैं प्राणहीन में प्राण डालती एक चमत्कार हूँ! मैं अदृश्य चीजों के लिए बन बैठी चित्रकार हूँ! पढ़ी जाऊँ सदियों बाद फिर भी ताजा वही मस्ती का अंदाज़ा हूँ। मैं ख्वाबों की बहती सरिता हूँ, सही पकड़ा मै "कविता " हूँ!! #Pehlealfaaz#nojotohindi#poem#words "कविता पर कविता लिखने की कोशिश" मेरे पहली बार अलफ़ाज़ सजाने का कारण दादा जी द्वारा पुछा प्रश्न था क
Dr Mustafizur
i am Voiceofdehati
विश्वं विश्वेश्वरेशं च विश्वेशं विश्वकारणम्। विश्वाधारं च विश्वस्तं विश्वकारणकारणम्।। विश्वरक्षाकारणं च विश्वघ्नं विश्वजं परम्। फलबीजं फलाधारं फलं च तत्फलप्रदम्।। अर्थ 👉👇 विश्वं विश्वेश्वरेशं च विश्वेशं विश्वकारणम्। विश्वाधारं च विश्वस्तं विश्वकारणकारणम्।। विश्वरक्षाकारणं च विश्वघ्नं विश्वजं परम्।
Devansh Parashar
Get Well Soon #PramendraParashar#BollywoodActor.... मेरा ये लेख मेरे व्यक्तिगत विचारों का एक दर्पण है । कुछ समय पहले जब मैं अपने शहर फतेहपुर सीकरी से किसी
Karan Mehta
खिलोने के लिए रोए रात भर जो मासूम होंठ उन होंठो की खिलखिलाहट सजाने को आ और वक़्त का इंतज़ार करते गंवाईं जो उम्र उस जवानी की रातों को रोशन करन
Roopanjali singh parmar
कभी-कभी दिल बस बात करना चाहता है। क्या कहना है नहीं पता, बस बात करना है या शायद दिल खुद को बहलाना चाहता है और इसलिए किसी को थोड़ी देर ही सही मगर सुनना चाहता है। मैं व्यस्त होना चाहती हूँ। इतनी व्यस्त कि मुझे खुद की धड़कनों को सुनने या महसूस करने का भी वक़्त न हो। अकेली होती हूँ तो मुझमें शोर बहुत होता है। जो कानों पर हाथ रखकर भी दूर नहीं होता। जानते हो सबसे बड़ा डर क्या होता है.? अकेले हो जाने का डर! यह डरावना होता है, बेहद डरावना। मेरी पढ़ाई भी सब ख़राब लगने लगी है.. मैंने अब तक लोगों के बिना जीना नहीं सीखा। ये लोग जो प्रेक्टिकल होते हैं.. इन्होंने कौन सी पढ़ाई की है? यह भी तो सीखना रह गया है। मुझे सीधा-सीधा भावनाओं को ज़ाहिर करना भी नहीं आता और क्योंकि मैं ऐसी हूँ तो बड़ा नुकसान है मेरा। मैं खुद से भी वो बातें नहीं कहती जो मेरा दिमाग मेरे दिल से कहता है। तुम्हें यकीन नहीं होगा मगर मेरे अन्दर एक समय में हजार बातें चलती हैं। एक जंग छिड़ी रहती है.. अंदर बहुत शोर है बहुत ज़्यादा। मैं घण्टों एक ही मुद्रा में बिना किसी कारण के छत को निहार सकती हूँ। रात में नींद नहीं आती मगर दिन भर बिना नींद के लेटी रह सकती हूँ। बिना खाए भी लगता है पेट भरा है। चलो छोड़ो यह सब, मैं बस बात करना चाहती हूँ। -रूपकीबातें ©Roopanjali singh Parmar (रूप की बातें) कभी-कभी दिल बस बात करना चाहता है। क्या कहना है नहीं पता, बस बात करना है या शायद दिल खुद को बहलाना चाहता है और इसलिए किसी को थोड़ी देर ही सही