Find the Latest Status about वानप्रस्थ साधक आश्रम from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, वानप्रस्थ साधक आश्रम.
Amit Singhal "Aseemit"
यदि प्रत्येक समस्या का करेंगे आप सामना, जैसा करता रहता, साधना में लीन साधक। बिन साधना भंग किए करता रहता कामना, तभी कोई संकट न बनेगा आपका बाधक। ©Amit Singhal "Aseemit" #साधक
Brandavan Bairagi "krishna"
।।साधक।। प्रभु जी हम बन जाये साधक। ये दुनिया ना हो बाधक। लख चौरासी का ये फेरा। बचा ना कोई तेरा और मेरा। दुनिया माया का फंदा है। लोभ मोह इसका धंधा है। फंस जाते योगी और ध्यानी। राह पकड़कर जो बनते अभिमानी। मैं मूरख निर्बल हूँ अज्ञानी। रहू शरण बस तेरी यही बात मैंने जानी। बृन्दावन बैरागी"कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" ।।साधक।। #Missing
Hum
कभी कभी क्यों इतना घबराता हु, क्यों इतना डरता हूँ, क्यों इतना उदास होता हु, क्यों इतना सोचता हूं, अभी तो मैं ज़िंदा हु, शायद मैं खुद से परेशान हु, या दुनिया से नाराज़, बहुत दूर जाना है मुझे, क्यों कि अभी भी मैं ज़िंदा हु।।। #ज़िंदगी #साधक
Ek villain
जब एक ज्ञानी व्यक्ति का मन स्थूल भौतिकता के पीछे भागता है तब कौन मन को बलपूर्वक खींचकर सूक्ष्मता की ओर ले सकता है स्कूल बंधन की जंजीर को तोड़कर शुभ की और कौन ले जा सकता है केवल चैतन्य मंत्र ही ऐसा कर सकता है सिर्फ सिर्फ सिद्धांत की यात्रा मंत्र है इसके अतिरिक्त कोई भी मंत्र नहीं बाकी मात्र शब्दों के समूह मंत्र का अर्थ है वैसे भी शब्द जो मोक्ष प्राप्त करने में सहायता करता है इसलिए जितनी कम उम्र में हो सके अपना मंत्र ले ले और उसी के अनुसार आध्यात्मिक जगत में आगे बढ़ते रहें आध्यात्मिक जगत में भी मानसिक तथा इस टोल तो जगत की प्रति अपना कर्तव्य पालन करते रहे आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रकृति ऐसे ही अपने मन मस्तिक में साहस और सत्य निष्ठा का उदय होगा जिसका उपयोग समस्त संसार के मानसिक कल्याण के लिए हो सके अध्यात्मिक साधक समस्त संसार के कल्याण मूलक कार्य में अपना योगदान कर सकता है इसलिए जो व्यक्ति अध्याय आत्मा के पथ पर अग्रसर है उसे यह बात याद रखनी चाहिए कि वह अध्यात्मिक मुक्ति के लिए साधना कर रहा है इसमें वह तब तक सफल नहीं होगा जब तक वह संसार की सेवा के लिए स्वयं को प्रस्तुत नहीं करेगा आधार दिया तथा प्रगति केवल आध्यात्मिक साधन से ही हो सकती है इसके अतिरिक्त प्रगति के नाम से जो भी जाना जाता है वह केवल स्थान का परिवर्तन है इसके अतिरिक्त कुछ नहीं आप अपने कर्म और अपनी साधना द्वारा अपने मनुष्य जीवन के मूल को बढ़ा सकेंगे इस तरह आप साधारण बन जाएंगे आ साधारण मनुष्य अंत में स्वयं को देवदत्त की ऊंचाई पर प्रतिष्ठित कर नेता है अतः मनुष्य देवता बन जाते हैं अपने असाधारण कर्म द्वारा आप भी अपने अस्तित्व को महान बना ले आपका जीवन अर्थ पूर्ण हो जाएगा यदि आप ज्यादा से ज्यादा कर्म और ध्यान करेंगे तो ©Ek villain # अध्यात्मिक साधक
Reeshabh Sahu