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F M POETRY
White मेरी तकलीफ का आलम न पूंछो.. मैं तन्हाँ हूँ मुहब्बत के सफर में.. यूसुफ़ आर खान..... ©F M POETRY #मेरी तकलीफ का आलम..
#मेरी तकलीफ का आलम..
read moreलेखक 01Chauhan1
अब वो रास्ते बदल गये जिस पर हम चला करते थे ©लेखक 01Chauhan1 कल लिखेंगे
कल लिखेंगे
read moreSAAHIL KUMAR
White कल की सोच मैं आज को छोड़ चला अपने कल को संवारने की होड में आज को भुल चुका आज जो है हाथ खाली उन्हें कल की उम्मीदों के सहारे बांध चला कल को संवारने के लिए मैं आज को नाराज़ कर चला ©SAAHIL KUMAR आज/कल
आज/कल
read moreरसिक उमेश
White दूर रहकर कहर ढाती हो पास होती तो क्या होता? खोए रहते हैं तेरे ख्यालो में नज़र मिलती तो क्या होता ©रसिक उमेश #Thinking यही तो मजबूरी है शायद
#Thinking यही तो मजबूरी है शायद
read moreबदनाम
White तेरे जाने के बाद काश कुछ बदला होता, रोज साम ढलती है अंधेरा भी होता है या तो चिड़िया चहकना बंद कर देती या आसमान से फूल बरसते नहीं तो शरीर सास लेना बंद कर देता सब कुछ वैसा ही चलता आ रहा है जैसे चलता आ रहा था हा कभी सांसे भारी लगने लगती है और गले से निवाला नहीं निकलता शायद में बूढ़ा हो रहा हु या शायद आइना झूठी तस्वीरें दिखाता हैं ©बदनाम शायद
शायद
read morejaiveer singh
White हजारों गम छुपा लेते हैं हम मुस्कान में शायद। कोई मायूस रहता है मेरी पहचान में शायद।। मेरे बारे में लोगों को गलतफहमी सी रहती है। नहीं दुखता है मेरा दिल किसी नुकसान में शायद ।।.... ©Jaiveer Singh #sad_qoute शायद
#sad_qoute शायद
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White थम गया ज़िन्दगी का एक सिलसिला शायद। कर लिया खुद का ग़लत एक फैसला शायद। मिल नहीं पा रही मंजिल तलाश थी जिसकी- चुन लिया हमने ही ग़लत एक रास्ता शायद। वक्त करने लगा अभी है कुछ दग़ा शायद। या कि होने लगा है कम ये हौसला शायद। मात खाने लगा हूँ मैं तो हर एक बाज़ी में- दाँव पड़ने लगा है सब अभी उल्टा शायद। जो कमाया था नाम हो रहा फ़ना शायद। हो गया था मैं आप ही से बदगुमा शायद। मिट रहा है वजूद धीरे-धीरे अब तो मेरा- लोग कहते है जोश अब नहीं रहा शायद। रिपुदमन झा 'पिनाकी ' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #शायद
Poet Kuldeep Singh Ruhela
Unsplash ये पत्ते भी न क्यों किताब लिए बैठे हैं लगता है ये भी कोई सबक याद किए बैठे हैं कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है ये भी कुछ सबक शायद लगता हैं ये भी कुछ बोझ दिल में लिए बैठे हैं ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #leafbook ये पत्ते भी न क्यों किताब लिए बैठे हैं लगता है ये भी कोई सबक याद किए बैठे हैं कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है ये भी कुछ सबक शायद
#leafbook ये पत्ते भी न क्यों किताब लिए बैठे हैं लगता है ये भी कोई सबक याद किए बैठे हैं कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है ये भी कुछ सबक शायद
read moreGhumnam Gautam
Unsplash g h u m n a m ©Ghumnam Gautam #ghumnamgaut #आसमाँ #शायद
Shubham Bhardwaj
White कल जैसा भी हो,आज से हसीन नही होगा। जिंदगी गुजर जाने के बाद ही शायद यकीन होगा।। ©Shubham Bhardwaj #love_shayari #कल #आज #यकीन