Find the Latest Status about उठेला दरदिया उठे लागल from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, उठेला दरदिया उठे लागल.
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आज रिश्तों में रिश्ते बचे कुछ नही । आज अपनों से अपने कहे कुछ नही ।। मोह जिस बाप में आज औलाद का । उनको धृतराष्ट्र खुद में दिखे कुछ नही ।। माफ़ कर दो उन्हें आज नादान वो । हमको लगते अभी वो बुरे कुछ नही ।। जिनकी आखों पे चश्मा चढ़ा प्यार का । ऐब अपनों में उनको मिले कुछ नही । चुप रहा और देखा तमाशा सभी । उनको ऊँचा किया पर झुके कुछ नही ।। इस तरह तोड़ अभिमान मेरा दिया । सिर उठाना भी चाहूँ उठे कुछ नही ।। मिट गये है वहम अपने पन के सभी । कह दिया है प्रखर तुम रहे कुछ नही ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आज रिश्तों में रिश्ते बचे कुछ नही । आज अपनों से अपने कहे कुछ नही ।।
ग़ज़ल :- आज रिश्तों में रिश्ते बचे कुछ नही । आज अपनों से अपने कहे कुछ नही ।। #शायरी
read moreDevesh Dixit
उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। दुनिया में है ये विष कितना, बिन पिये मुरझा हम तो रहे। बाजू में छूरी हैं रखते, मुख से श्री राम पुकार रहे। अपराधों की है भीड़ लगी, ले खंजर अब वे भोंक रहे। चैनो अमन है कैसे कहें, वे तो विपदा में झोंक रहे। अब कैसे हो विश्वास यहांँ, संशय में जीवन डोल रहा। जो टूट गये विश्वास यहाँ, रिश्तों में है जंग बोल रहा। मानवता को है चोट लगी, शैतानी जज़्बे जाग उठे। संस्कारों की भी बली चढ़ी, अब देख तमाशा भाग उठे। उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो
#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो #Bhakti #sandiprohila
read moreSinger Chandradeep Lal Yadav
Devesh Dixit
परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा क्यों परिहास हो, लगे व्यंग के बाण। हृदय रहे पीड़ित सदा, कष्ट भोगते प्राण।। हास परिहास हो वही, सुखी करे परिवार। आपस में मिल कर सभी, बांँटे सबको प्यार।। कहते हैं सज्जन सभी, ऐसा हो परिहास। चहक उठे तन-मन सभी, हो जीने की आस।। सीमा हो परिहास की, सके न कोई तोड़। मन भी विचलित हो नहीं, दो उसको अब मोड़।। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #परिहास #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा
#परिहास #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा #Poetry #sandiprohila
read moreDevesh Dixit
परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा क्यों परिहास हो, लगे व्यंग के बाण। हृदय रहे पीड़ित सदा, कष्ट भोगते प्राण।। हास परिहास हो वही, सुखी करे परिवार। आपस में मिल कर सभी, बांँटे सबको प्यार।। कहते हैं सज्जन सभी, ऐसा हो परिहास। चहक उठे तन-मन सभी, हो जीने की आस।। सीमा हो परिहास की, सके न कोई तोड़। मन भी विचलित हो नहीं, दो उसको अब मोड़।। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #परिहास #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा
#परिहास #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा #Poetry #sandiprohila
read moreDevesh Dixit
उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। दुनिया में है ये विष कितना, बिन पिये मुरझा हम तो रहे। बाजू में छूरी हैं रखते, मुख से श्री राम पुकार रहे। अपराधों की है भीड़ लगी, ले खंजर अब वे भोंक रहे। चैनो अमन है कैसे कहें, वे तो विपदा में झोंक रहे। अब कैसे हो विश्वास यहांँ, संशय में जीवन डोल रहा। जो टूट गये विश्वास यहाँ, रिश्तों में है जंग बोल रहा। मानवता को है चोट लगी, शैतानी जज़्बे जाग उठे। संस्कारों की भी बली चढ़ी, अब देख तमाशा भाग उठे। उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो
#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो #Poetry #sandiprohila
read moreHarishchandra King
White गरज उठे गगन सारा समुंदर छोड़े अपना किनारा हिल जाए दुनिया सारा जब गूंजे जय श्री राम का नारा ! Happy Ram Navami 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©Harishchandra King #ramnavmi गरज उठे गगन सारा समुंदर छोड़े अपना किनारा हिल जाए दुनिया सारा जब गूंजे जय श्री राम का नारा ! Happy Ram Navami
#ramnavmi गरज उठे गगन सारा समुंदर छोड़े अपना किनारा हिल जाए दुनिया सारा जब गूंजे जय श्री राम का नारा ! Happy Ram Navami #Motivational
read more꧁ARSHU꧂ارشد
हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो , सच तो ये है आप सा भी बेख़बर कोई न हो ... वो क़यामत की घड़ी है तालिब-ए-दीदार पर , जब उठे पर्दा तो पर्दे के उधर कोई न हो ... इश्क़ में बे-ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ अरशद , जिस क़दर बेचैन तुम हो उस क़दर कोई न हो ... ©꧁ARSHU꧂ارشد हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो , सच तो ये है आप सा भी बेख़बर कोई न हो ... वो क़यामत की घड़ी है तालिब-ए-दीदार पर , जब उठे पर्दा तो
हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो , सच तो ये है आप सा भी बेख़बर कोई न हो ... वो क़यामत की घड़ी है तालिब-ए-दीदार पर , जब उठे पर्दा तो #Shayari
read moreYashpal singh gusain badal'
ज़िंदगी हसरतों को वक्त की आँधी निगल गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों जुगत किए उम्र-ए-दराज की । दम साध के रक्खा और सांसें निकल गई । सौंपे थे जिसको हमने जिन्दगी के फैसले । उसके ही हाथ कत्ल जिन्दगी निकल गई । आब-ए-हयात पी के भी न बच सका यहाँ । माटी का बना था सो माटी में मिल गई । नाज है किस बात का किसका गुरूर है । अच्छे-अच्छों की यहाँ हवा निकल गई । थामे थे जिसको भींच के दिल के करीब से । हाथों से वो प्यार की डोरी फिसल गई । "बादल" गलत उठे थे कदम राह-ए-शौक में, फिर सँभालते-संभालते जिन्दगी निकल गई।। ©Yashpal singh gusain badal' #retro ज़िंदगी हसरतों को वक्त की आँधी निगल गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों जुगत किए उम्र-ए-दराज की । दम साध के र
बेजुबान शायर shivkumar
आँखों में कोई ख़्वाब सुनहरा नहीं आता इस " झील " पे अब कोई परिन्दा नहीं आता हालात ने चेहरे की चमक देख ली वरना दो-चार बरस में तो बुढ़ापा नहीं आता मुद्दत से तमन्नएँ सजी बैठी हैं दिल में इस घर में बड़े लोगों का रिश्ता नहीं आता इस दर्ज़ा मसायल के जहन्नुम में जला हूँ अब कोई भी मौसम हो पसीना नहीं आता मैं रेल में बैठा हुआ यह सोच रहा हूँ इस दैर में आसानी से पैसा नहीं आता अब क़ौम की तक़दीर बदलने को उठे हैं जिन लोगों को बचपन ही कलमा नहीं आता बस तेरी मुहब्बत में चला आया हूँ वर्ना यूँ सब के बुला लेने से ‘राना’ नहीं आता ©Shivkumar #lakeview #झील #नदियाँ #Nojoto #nojotohindi #आँखों में कोई #ख़्वाब सुनहरा नहीं आता इस झील पे अब कोई परिन्दा नहीं आता हालात ने चेहरे क