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JALAJ KUMAR RATHOUR
प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-10 लगभग 4:30 बजे थे। कोई कमरे का गेट जोर से खटका रहा था।भानू ने उठकर देखा तो वार्डन सर थे। तेजी से बोले" उठ जाओ आशिको और जल्दी से असेमब्ली में चलो " ,वार्डन के जाने के बाद उनके लिए चार गालियाँ देने के बाद सभी लोग तैयार हुए और पहुँच गए ग्राउंड को साफ करने।हमने लगभग 6:30 तक ग्राउंड को साफ कर दिया था। उसके बाद वापस हॉस्टल जाते टाईम अवनी मिल गयी उसने कहा "स्वप्निल, मैं और राशि आज कॉलेज की परेड के बाद मूवी देखने जायेंगे तुमको भी चलना है " मैंने कहा यार मुझे कपड़े धुलने है "वो हँसी और बोली, प्लीज यार चल ना अब दिन ही कितने बचे है साथ मे बिताने को " मैंने कहा "ठीक है चलूँगा ", दस बजे मैं कॉलेज आ गया था। ध्वजारोहण के समय राष्ट्रगान हमेशा से मेरे खूबसूरत पलो में शुमार था। क्युकी यह पल प्रत्येक भारतीय के दिल सबसे करीब होता है।कुछ कार्यक्रम होने के बाद बूंदी के लड्डू का वितरण हुआ। ये बूंदी के लड्डू भी हमें जाने अंजाने मे एक सीख दे जाते है। कि एक बार टूटने के बाद किसी भी चीज में वो पुरानी बात नही रहती। फिर चाहे दोबारा उसे कितने भी प्यार से संवारा जाए। मैं लाइन में अपनी बारी का इंतजार कर रहा था तभी अवनी ने सामने आकर इशारा किया पर मैंने उसको कुछ समय इंतजार करने के लिए कहा 5 मिनट बाद मुझको बूंदी के लड्डू का प्रसाद मिल गया, अवनी बोली यार इतना क्या जरूरी था। ये लड्डू के लिए 5 मिनट बर्बाद करना। मैंने उससे कहा चलते चलते बताता हूँ " अवनी तुझे पता है। कि हमारे यहाँ दिवाली, होली पर अगर कुछ चीज बांटी जाती है। तो लोग उस प्रसाद समझ कर लेते है "तभी अवनी बोली " ऐसा तो मेरे यहाँ भी होता है पर इससे इसका क्या संबंध " मैंने कहा ये भी तो राष्ट्रीय पर्व है। तो ये बूंदी का लड्डू भी तो प्रसाद ही हुआ। तभी अवनी थोड़ी उदास हुई और उसने मेरे हाथो से थोड़ा लड्डू लेकर खा लिया । हमारे सामने राशि आ गयी थी। मैंने पूछ कौन सी टॉकीज में चलना है। तो अवनी बोली "पी वी आर मे और मैंने टिकिट भी बुक कर ली है " अवनी की यही बात अच्छी थी। वो हमेशा हर काम के लिए पूरा प्लान बना के रखती थी। हम लोग पी वी आर पहुँच चुके थे। मैने पोस्टर की तरफ देखा तो मूवी का नाम लिखा था "हाफ गर्ल फ्रेंड" बेस्ड ओन चेतन भगत बेस्ट सेलिंग नोवेल . .#जलज कुमार प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-10 लगभग 4:30 बजे थे। कोई कमरे का गेट जोर से खटका रहा था।भानू ने उठकर देखा तो वार्डन सर थे। तेजी से बोले" उठ जा
प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-10 लगभग 4:30 बजे थे। कोई कमरे का गेट जोर से खटका रहा था।भानू ने उठकर देखा तो वार्डन सर थे। तेजी से बोले" उठ जा #जलज
read moreFunny Singh🐼
सुशांत की जान 'Depression' ने नहीं ली। सुशांत की जान 'Nepotism' ने ली है।। हर तरफ आज जोरों की चर्चा है कि सुशांत ने Depression की वजह से अपनी जान दे दी। लेकिन इन्हें Depression हुआ कहाँ से? अगर इस Depression की तह त
हर तरफ आज जोरों की चर्चा है कि सुशांत ने Depression की वजह से अपनी जान दे दी। लेकिन इन्हें Depression हुआ कहाँ से? अगर इस Depression की तह त #Bollywood #Article #depression #nepotism #thinkaboutit #ripsushantsinghrajput #funnysingh
read moreKaleem Ansari
और कितना लिखू तेरी याद में कोई दम नहीं मेरी फरयाद में मेरी रूह भी छीन के ले गई मुझ से में में ना रहा तेरे बाद में में में न रह तेरे बाद में
में में न रह तेरे बाद में
read moreडॉ वीणा कपूर "वेणु"...
सागर की लहरों में, मेरे गांव की नहरों में सीमाओं के पहरों में, उथले और गहरों में, सब ओर तुम्हें खोजती, मेरी मौन तलाश। एक दिन तो तुम मिल ही जाओगे पूर्ण है विश्वास। जल सम पारदर्शी गगन सम समदर्शी मेरी भोली आस सागर के किनारे भी अतृप्त है प्यास।। ©Veena Kapoor लहरों में नहरों में गहरों में पहरों में अतृप्त प्यास #sagarkinare
लहरों में नहरों में गहरों में पहरों में अतृप्त प्यास #sagarkinare #कविता
read more( W.T) ग्रुप अनवर अनवर हु यार
रात मे नींद मे खुद से बात करता हु लोग कहते है पागल हु मै ऊन्हे कैसे बाताऊ मै पागल नहि मोहब्बत मे घायल हु मै ©سید انوار حسین रात में नींद में
रात में नींद में #विचार
read more( prahlad Singh )( feeling writer)
( मैं, मैं हूं मैं, तुम तो नहीं मैं, खुद का आइना हूं में, ओरो में कहीं गुम तो नहीं ) ©( cop prahlad Singh )( feeling writer) #में, में हूं #Sunrise
Amit Kumar
हर बार हम खों जाते है चक्रव्यूह के मेले में ढूंढ़ता कोई और है हमें साथी खुद अकेले में -अनभिज्ञ मेले में अकेले में
मेले में अकेले में
read moreSafar Ka musafir
सितम कितने हुए उसका दुःख नहीं, सितम किस - किस ने किए बस ये बात दर्द देती है। में होंश में हूं।।
में होंश में हूं।।
read moreMuskan M Soni
मुझ में मैं खुली किताब रह जाती है जब लोग पढ़ते हैं मुझे हंसते हुए चेहरे को यूं तकते हैं मेरे सोच कर गुमशुदा होती हैं अपने में ही रहकर कोई तो हो जो मुझमें मुझे पढ़ सके झाकती हुई खिड़की से वो अक्स नजर आ जाए धुंधला सा ही सही पर वो शक्स नजर आ जाए जिस्म में नहीं मेरे रूह में उतर जाए काफिला उसका मेरा यूं चलता ही जाए बंद आंखों से वह शक्स मुझे पढ़ता ही जाए बस ये सिलसिला यूं ही चलता जाए खुली किताब रह जाती है जब लोग पढ़ते हैं मुझे। ©Muskan M Soni मुझ में में #adishakti
मुझ में में #adishakti #कविता
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