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Anjana Gupta Astrologer
शनि चरण पाया विचार एक अन्य पद्धति के अनुसार जन्मकालीन चंद्रमा की राशि से शनि 1, 6, 11वें स्थान में हो तो सोने का चरण या पाया; 2, 5, 9वें स्थान में हो तो चांदी का पाया; 3, 7, 10वें स्थान में हो तो तांबे का पाया तथा 4, 8, 12 वें भाव में हो तो लोहे का पाया माना जाता है। यदि गोचर कुण्डली में शनि, जन्मकालिक चंद्र राशि से अष्टम स्थान पर है, अत: लोहे के पाये में है। सोने के पाये में तथा लोहे के पाये में रहने पर घरेलू सुख में अशांति, स्वास्थ्य- हीनता, धन का क्षय, कलंक, मानहानि तथा सभी कार्यों में विघ्न होता है । चांदी व तांबे का पाया शुभ होता है। उसमें व्यापार व रोजगार में सफलता, शत्रु व रोग का नाश, कार्यों में सफलता एवं धन-सम्पत्ति की वृद्धि होती है । 24 जनवरी 2020 के बाद मिथुन राशि से शनि आठवां 8 होगा, तुला राशि से शनि चतुर्थ 4 होगा, धनु राशि से शनि दूसरा 2 होगा, मकर राशि पर शनि पहला 1 होगा और कुंभ राशि पर शनि 12 वा होगा। शनि का गोचर
Monika jayesh Shah
गुरु और शिष्य प्रेम का प्रतीक गुरु का सम्मान गुरु है..सबसे महान... आज का ब्रम्हांड! यहीं है.. आज का ज्ञान! करो हमेशा गुरु का सम्मान! ©Monika jayesh Shah #Gurupurnima गुरु और शिष्य प्रेम का प्रतीक गुरु का सम्मान गुरु है..सबसे महान... आज का ब्रम्हांड! यहीं है.. आज का ज्ञान! करो हमेशा गुरु का स
SK Poetic
श्रीराम कथा की विशिष्ट काव्य शैली में रचना करनेवाले पंडित राधेश्याम कथावाचक संत-महात्माओं के सत्संग के लिए लालायित रहा करते थे। संत उड़िया बाबा, श्री हरिबाबा, आनंदमयी माँ तथा संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के प्रति वे अनन्य श्रद्धा भाव रखते थे। प्रभुदत्त ब्रह्मचारीजी की प्रेरणा से उन्होंने महामना पंडित मदनमोहन मालवीय को अपना गुरु बनाया था। पंडित राधेश्यामजी मालवीयजी के श्रीमुख से भागवत कथा सुनकर भाव विभोर हो उठते थे | मालवीयजी को भी राधेश्यामजी की लिखी रामायण का गायन सुनकर अनूठी तृप्ति मिलती थी । वे समय-समय पर उन्हें बरेली से काशी आमंत्रित कर उनकी कथा का आयोजन कराते थे । एक बार गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पंडित राधेश्यामजी ने संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के साथ काशी पहुँचकर अपने गुरु मालवीयजी को एक कीमती शॉल व मिठाइयाँ भेंट कीं। मालवीयजी को आग्रहपूर्वक शॉल ओढ़ाया गया। यह शॉल उन्होंने विशेष रूप से गुरु दक्षिणा के लिए तैयार कराया था। कुछ समय बाद अचानक हिंदू विश्वविद्यालय के दक्षिण भारतीय संस्कृत शिक्षक मालवीयजी के दर्शन के लिए आ पहुँचे। मालवीयजी उनके विरक्त व तपस्वी जीवन से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने शिक्षक की ओर संकेत कर राधेश्याम कथावाचक से कहा, ‘ इन्होंने कठोर साधना कर असंख्य छात्रों को देववाणी और धर्मशास्त्रों का अध्ययन कराया है। ऐसे तपस्वी शिक्षक हमारे आदर्श हैं।’ कहते-कहते उन्होंने वह शॉल उन्हें ओढ़ा दिया। राधेश्यामजी उनकी विरक्ति भावना और आदर्श शिक्षक के प्रति श्रद्धा देख दंग रह गए। ©S Talks with Shubham Kumar गुरु का सम्मान #bestfrnds
mangalviras
कमियां मुजमै मे हजारों है ः है अवगुणों का भंडार भरा ः2 ना सही गलत की पहचान मुझे ः हे ज्ञान का भी अभाव बडा ः हे गुरु वर मुजे स्वीकार करो ः मे आकर तुम्हारे द्वार खडा ः ः। ।मंगल विरास ।।ः ©mangalviras #Teachersday गुरु का महत्व
Mr. Kr.
जिन्हें ज्ञान हैं उन्हें घमंड कैसा!! जिन्हें घमंड है उन्हें ज्ञान कैसा!! ©Mr. Kr. गुरु का ज्ञान!! #guru
Ujwal Patidar
गुरु हमें पढ़ाई और ज्ञान की दाता है ©Ujwal Patidar गुरु का ज्ञान #Teachersday
Kanhaiya Dhakrey
अपने गुरु का सम्मान करें गुरु से बढ़कर कोई नहीं होता है गुरु ही हमें शिक्षा देता है। धन कमाने योग्य बनाता है बड़ों का सम्मान करना सिखाता है। आज आप एक प्रतिज्ञा आज आप एक प्रतिज्ञा दीजिए की हम गुरु का सम्मान मात पिता का सम्मान अपने बड़ों का सम्मान कभी ना करना छोड़ेंगे जय गुरु पूर्णिमा। ©Kanhaiya Dhakrey गुरु का सम्मान #drowning