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Anjali R Gupta
ओस की बूँद नही है खुशी जो बादल से बरस जायेगी ये तो सीप में छुपी हुई मोती है जो अन्तर्मन की गहराईयों से निकली जायेगी दस्तक होगी दरवाजे पर खुशियों की कभी न रहो हरपल इसी भ्रम में सम्हलो अभी जलाना होगा चिरागे मोहब्बत दिल में शमाँ इक दिन खुद पिघल जायेगी कोई बाँट नही सकता तुम्हारे हिस्से की मिट्टी तुम्हारे हिस्से का आसमां और तुम्हारे हिस्से की जमीं खुशी कहती कि कुछ देर तो मेरे साथ बिताओ मुस्कान तेरे जीवन में यूँ ही बिखर जायेगी ओस की बूँद नहीं है खुशी जो बादल से बरस जायेगी ये तो सीप मे छुपी हुई मोती है जो अंतर्मन की गहराइयों से निकली जायेगी #दस्तकखुशियोंकी
Amannn
अजीब हो गई है ज़िन्दगी, अब ये बस यूंही कट रही है... दस्तूर कुछ ऐसा है, के मेरी चीज भी गैरों में बट रही है #दस्तूर_ऐ_ज़िन्दगी
Mr.Vaibhav
एक अजनबी की मुस्कुराहट में खो सा गया हूँ, शायद मैं उसका हो सा गया हूँ, ना धर्म का पता ना पता उसका नाम, ना उसे मेरी ख़बर ना मैं उससे अनजान, तसल्ली है दिल को और है खुदपे अभिमान, ना शरारती हूँ मैं ना गलत मेरा ईमान, ये सफ़र उसके दीदार का शिकार था, हमें भला खुदको खोना कहाँ स्वीकार था, ना बोहोत उम्दा उसका स्वरुप ना किया उसने श्रृंगार फिर भी मैं उसका होता गया यार, कि उसकी रूहानियत में फ़ना हो सा गया हूँ, शायद मैं उसका हो सा गया हूँ, शायद मैं उसका हो सा गया हूँ।। #दस्ताने_सफ़र
हिमांशु पसबोला
गैरों को बुलाकर अपनी शाम - ऐ - महफ़िल तो सजा लोगे लेकिन जनाज़े में अपनों के दो आँसू और चार कांधे कहाँ से लाओगे!! - हिमांशु पसबोला - #दस्तूर_ऐ_जिंदगी
Mukesh More
कोई क्या जान पाएगा मुझे मैं तो खुद ही अपनी दस्तरस में नही दस्तरस_पहुँच #दस्तरस_पहुँच
abhisri095
अजब दस्तूर है ज़माने का कही करता ही नही दिल लगाने का औरों को खुद से फ़ुर्सत ही नही मिलती करते है वादा उम्र-भर साथ निभाने का ©abhisri095 #दस्तूर_ज़माने_का
Anjali Nigam
जान लेकर कोई जान देने की बात करता है ये कैसा दस्तूर है उसका गले लगाकर कत्ल करता है दफ़न भी नहीं करता हमको खुला छोड़ देता है रूह को मारकर जिस्म को तड़पने को छोड़ देता है मरते हुए को सांस लेना सिखाकर मार देता है कैसा बेमुरव्वत है वो जो चलना सिखाकर गिरा देता है कैसा यकीं था मेरा जो मुझको ही दगा देता रहा अपना बनाकर मुझको मेरे ही जज्बातों से खेलता रह ©Anjali Nigam #दस्तूर_ज़माने_का
Rajesh Kumar
वक्त नही है आजमाने के लिए रख दो सर कंधे पर साथ निभाने के लिए। बहुत शोर है, अजब दस्तूर है भूल जाओ हर एक चीज़;तुम एक खिलौना हो जमाने के लिए। #दस्तूर_है_ये_जीवन_का
Anupam Tripathi
इक दौर था कि; हमने भी ख़त सैकड़ों लिखे साकी़ न उनसा होगा---हमसा न मयकशाँ मुझको पता है दर्द की बहती है इक नदी उनके मिजा़ज़ और मेरी चाहत के दरमियाँ : अनुपम त्रिपाठी @दस्तक़
paritosh@run
ना जाने कहाँ से मिल गए दिल को, मेरी मोहब्बत के दस्ताबेज़ पुराने... आज फिर दिन उनके ख्यालों में बीतेगा, आज फिर रात आंखों में सैलाब उमड़ेगा... पुराने दस्ताबेज़...