Find the Best दस Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutतन्हाई दस्ती है, पढ़ाई दसवीं की, दसरे की रंगोली, दस संस्कृत कवियों के नाम, दसतपा का अर्थ,
अदनासा-
Agarwal'sArtical
Shahana Parveen
तू लाख खूबसूरत और हसीन सही अपनी निगाह में ए दोस्त........ जब तक तेरा दिल खूबसूरत नहीं यह चेहरे की ख़ूबसूरती बस नाम की है तू हज़ार इतराले अपनी इन अदाओं पर...... जब तक कोई तलबगार नहीं तेरा तो फिर यह किस काम की है तू सौ दफा देखले जी भर के वो आईना.... जब एक ने भी न सराहा तुझे तो अदा किस काम की है चाहे दस मर्तबा तू सवाँर ले यह अपनी बिखरी जुल्फों की लटें....... जब कोई इन में खोया ही नहीं तो यह भी बस नाम की हैं एक बार ज़रा खुद के किरदार को तराश के देख... जो बस गया तू दिल में सब के तो तू ही अंजाम इस शाम की है #लाख #हज़ार #सौ #दस #एक #random #YQdidi #YQbaba
R K Mishra " सूर्य "
दस...... हरा..... जीता नहीं क्या आपने कुछ सीखा नहीं हर साल ही जलता है रावण क्यों छोड़ा आज तक पीछा नहीं! ©R K Mishra " सूर्य " #दस.….. हरा Suresh Gulia Lalit Saxena पूजा उदेशी Chetna Dubey Ashutosh Mishra
#दस.….. हरा Suresh Gulia Lalit Saxena पूजा उदेशी Chetna Dubey Ashutosh Mishra
read moreVivek Singh
पर्यावरण "दशकूपसमा वापी दशवापीसमो ह्रदः । दशह्रदसमः पुत्रो दशपुत्रसमो द्रुमः " ।। @मत्स्य पुराण अर्थात एक जलकुंड दस कुएँ के समान है। एक तालाब दस जलकुंड के बराबर है। एक पुत्र का दस तालाब इतना महत्व है। और एक वृक्ष का दस पुत्रों इतना महत्व है । ©Vivek Singh #EnvironmentDay2021 "दशकूपसमा वापी दशवापीसमो ह्रदः । दशह्रदसमः पुत्रो दशपुत्रसमो द्रुमः " ।। @मत्स्य पुराण अर्थात एक जलकुंड दस #कुएँ के #समान है। एक तालाब दस #जलकुंड के #बराबर है।
#EnvironmentDay2021 "दशकूपसमा वापी दशवापीसमो ह्रदः । दशह्रदसमः पुत्रो दशपुत्रसमो द्रुमः " ।। @मत्स्य पुराण अर्थात एक जलकुंड दस #कुएँ के #समान है। एक तालाब दस #जलकुंड के #बराबर है।
read moreAdv Di Pi Ka
हर साल हम दशहरा मनाते हैं, दस शिश वाले रावण के दस शीशों पर विजय प्राप्त किया एक शिश,मर्यादित श्रीराम ने। आप कितने साल भी जलाते रहें दशानन को अगर आप में राम बनने की ललक नहीं तो सब व्यर्थ है, क्योंकि दस शिश वाला पाप सभी मनुष्य के अंदर है, वो मैदान में लगे पुतले में नहीं रहता, बुराई किसी निर्जीव वस्तु में नहीं होती है। #Dussehra
aman6.1
कैसी गुलामी आ गयी सारी दुनियां एक अंगूठे के नीचे आ गयी.मिलता नही अब कोई हाथ हाथ मिलाने को hi हेलो की बरसात इनबॉक्स में आगयी. बाड़े के टट्टू सी हो गयी जिंदगी,ये फ्री की डाटा सारी क़ीमती जवानी खा गई. लूट गयी लड़कियां ऑनलाइन प्यार में,एक दिन में ही न जाने कैसे जीने मरने की कसमें खा गई. लग गया टपोरियों का मेला इस यंत्र पे,सूट बूट डाल इन टपोरियों की सेल्फियों में जान आ गयी. बताते है खुद को चैट मे ये शाह करते नही जबकि कुछ भी,ऐसे ऐसे नकली दिलवालों की लड़कियां काली दाल भी खा गईं. देखा नहीं होता चेहरा एक दूसरे का कभी जिंदगी में,झूठी तारीफों की पतंगे इनकी सारे आसमान पे छा गई. नही रहे अब तो कोई पंडित बाबा भी कम,सब तांत्रिकों की भूत प्रेतों की समस्याएं भी ऑनलाइन आ गयी. होता है समाधान अब ऑनलाइन ताबीजों से,ऐसे मंत्र जाप की विधियां हर ग्रुप्स में छा गई. होते है बड़े बड़े प्रचार अब,दस दस गरूपों में भगवान को शेयर करने से खुशहाली आ गयी. पता नहीं लगता अब कौन क्या है बनती हैं फेक फेक id,लड़को में भी लड़कियों की फीलिंग आगयी. बना बना बैठे है लड़कियों के नाम पे प्रोफाइल न जाने कोन सा कीड़ा इनकी मर्दानगी खा गई। #MeraShehar संमोहित यंत्र(mobile) Follow more such stories on @Nojotoapp #writersofinstagram #writeraofindia #shayaris #poetry #quote #wordporn #qotd #igwriters #Nojoto #NojotoApp #wordgasm #wordporn #indianwriters #poetsofindia #stories #storytelling #quoteoftheday #writersofindia #poetrycommunity #igpoets #wordsofwisdom #love #thoughts #igwriterclub Bhupinder Kaur 🔥🔥 Maya 🔥🔥 Satyaprem Upadhyay varsha swaroop #suman# 🌺 Ruchika 🌺
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read moreKaku Pahari
चुप हो गया हां चिट्ठी मैं तेरी पढ़ के, तेरी चिट्ठी दा दस की मैं जवाब लिखां । जद दी पढ़ी आ खोल के चिट्ठी तेरी, रुकदे नी जनाब हंजू मैं ऐ लिखां । एक पल विच नाड़ गुज़ारे सारे पल चेते आ गए, साडी यारी दा दस मैं की बयान लिखां । एक अर्से तो लकोह के रखे सी कुज मोती इना अखां च, रुल गए ने सारे दस मैं की लिखां । दोस्ती #nojoto #punjabi#shayri
Sapna Sharma
राखी राखी तो उसके अस्तित्व का हिस्सा बन ही गई थी, और दूसरे छोर पर मेरे मन के उधड़ते हुए बखिए... उसके दाहिने हाथ की कलाई पर हर रोज़ मेरी नज़रें पड़ ही जातीं। एक गाढ़े लाल रंग के मोटे धागे के नज़दीक एक बारीक सी लाल डोर बँधी रहती थी, जिसके ऊपर के चार सफ़ेद मोती बता देते थे कि वो बारीक डोर दरअसल राखी है। रक्षाबंधन तो महीनों पहले गुज़र चुका था। आमतौर पर तो राखियाँ बस दस-पंद्रह दिन ही कलाई को सजातीं हैं, लेकिन यहाँ तो दस महीने होने वाले थे, लेकिन राखी ज्यों की त्यों... शायद ज़िंदगी की उलझनों में उसका ध्यान कभी राखी की ओर गया ही न हो, या शायद उसे भी एक बहन की कमी कभी उसी तरह खली हो जिस तरह मेरा
उसके दाहिने हाथ की कलाई पर हर रोज़ मेरी नज़रें पड़ ही जातीं। एक गाढ़े लाल रंग के मोटे धागे के नज़दीक एक बारीक सी लाल डोर बँधी रहती थी, जिसके ऊपर के चार सफ़ेद मोती बता देते थे कि वो बारीक डोर दरअसल राखी है। रक्षाबंधन तो महीनों पहले गुज़र चुका था। आमतौर पर तो राखियाँ बस दस-पंद्रह दिन ही कलाई को सजातीं हैं, लेकिन यहाँ तो दस महीने होने वाले थे, लेकिन राखी ज्यों की त्यों... शायद ज़िंदगी की उलझनों में उसका ध्यान कभी राखी की ओर गया ही न हो, या शायद उसे भी एक बहन की कमी कभी उसी तरह खली हो जिस तरह मेरा
read moreSwarnim Bookaholic
अक्सर अपराह्नमा पर्ने पानीले पानीसंगै याद बर्सार्इदिन्छ,, जुन याद तिमीसंग मात्र तिमीसंग जोडिएको छ। यस्तो बेला शरीरलाई अोतमा राखेपनि मनलाई अोभानो बनाईराख्न कहिल्यै सक्दिनँ। हुन त तिमीलाई त अरुबेला नि सम्झिरहन्छु तर पानी पर्दा तिमी यतैकतै मसंगै छौ जस्तो अाभाष हुन्छ,, लाग्छ पानीसंग समेटिएको तिम्रो याद अझै अोभाएकै छैन, मनमा उसैगरी लछप्प टाँसिएको छ जसरी झरीमा भिज्दा रुझेको कपडा शरीरमा लछप्प टाँसिएको हुन्छ,,पानीले भिजेर शरीरमा टाँसिएको कपडालाई त बरु अर्को अोभानो कपडाले विस्थापन गर्न मिल्थ्यो तर मनमा गाढा भै टाँसिएको तिम्रो यादलाई विस्थापित गर्न सक्ने अर्को याद अहँ मसंग छदैँ छैन। घडीले अपराह्नको चार बजाईसकेको थियो। परिक्षाको अन्तिम दिन पनि सकिदैँ थियो,, मन निस्फिक्रि भएर कता कता उड्न थालेको थियो,, भर्खरै परीक्षा दिएर सकिएको भएपनि हतास अलिकति पनि थिइनँ,, हिजोअस्तिकै दिन भए सायद बाँकि रहेका पेपरको तयारी सम्झेरै मन बोझिलो हुने थियो,, अझ त्यसमाथि तिमीले एकदिन अघिमात्र थमाएका नोट पुरै पढेर सक्नुपर्ने दबाबले जिन्दगी पुरै थिचिएझैँ अनुभव गर्थेँ म तर अाज बोझबाट उन्मुक्त भइसकेको थिएँ जस्तो कि पिँजडाको कैदबाट चरा मुक्त हुन्छ। परीक्षा हलबाट बाहिरिएपछि करिब दस मिनेटको बाटो मात्रै थियो जहाँ हाम्रा पैतलाहरु संगै पदचाप बनाउँदै अघिपछि गर्थे। त्यसपछि हामी पुग्नुपर्ने अा- अाफ्ना गन्तव्य विपरीत फर्किएका चुम्बकका दुई ध्रुव जस्तै थिए। अरुदिन भएको भए सायद त्यहि दस मिनेटपछि लगत्तै छुटिन्थ्यौ हामी। तर त्यो दिन त्यस्तो भएन परिक्षाको अन्तिम दिन जो थियो,, सायद तिम्रो मनले त्यो पल पनि भनिरहेको हुनुपर्छ कि यो दस मिनेट लाग्ने बाटो लम्बिएर पुरै जिन्दगी नटुङ्गिएसम्म निरन्तर हिँडिरहनु पर्ने हाम्रो जीवनयात्रा बनोस्। उसो त मलाई तिम्रो अनुहार पढ्न गाह्रो पनि थिएन। तिमीलाई देख्दा यस्तो लाग्थ्यो कि तिमी हरबखत मप्रति अाफ्नो प्रेम अभिव्यक्त गर्ने अवसर पर्खिरहेछौ जसरी अविछिन्न रुपमा मन्दिरमा बस्ने पुजारीले भेटी प्राप्त हुने अाशामा भक्तजन पर्खिरहेको हुन्छ। तिमीले त्यहि दस मिनेटकै सेरोफेरोमा मलाई कफीको लागि अाग्रह गर्यौ मैले निशर्त स्वीकारीदिएँ। यसअघि तिम्रा अाग्रहहरु पटकपटक बेवास्ता गरिदिन्थेँ म। सायद त्यहि सम्झेर हुनुपर्छ तिमीले साँच्चिकै हो!? भन्ने भावले मलाई हेरिरहेका थियौ। तिम्रो नजरको सवाललाई मैले शब्दले जवाफ फर्काउन जरुरी ठानिनँ मात्रै मौन मौन मुस्कुराइदिएँ। उसै पनि बोलिराख्ने स्वभाव नै कहाँ थियो र मसंग!? अाफ्ना प्रस्तावहरुमाथि मेरो सकारात्मक जवाफले दिने तिम्रो अनुहारको चमक हेरेर अचम्मित मात्रै होइन सोचमग्न बन्थेँ म। 🤔🤔
🤔🤔
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