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river_of_thoughts
वो नहीं टूटेंगी क्योंकि टूटती तो सूखी डालियाँ हैं... वो तो बेहद नर्म हैं- झुक जाएँगी जब भी खींचोगे जोर से झुकी ही रहेंगी, तुम्हारे सब्र तक... टूटेंगी नहीं। लेकिन जरा ढील हुई उठ जाएँगी ऊपर, बहुत ऊपर! मुस्कुराते हुए वो हरी-हरी डालियाँ- लहराएँगी, झूमेंगी गाएँगी गीत प्रकृति के साथ रचेंगी सृष्टि!! #इंदु सिंह #वो_नहीं_टूटेंगी #इंदु_सिंह
@ indu karamunge
हर किसी से लड़ने की ताकत है मुझमें चाहे वह कायनात हो या समाज पर लड़ाई करने वाले कोई अपने हो तो तकलीफ और कमजोरी मुझे हरा देती है दिल टूट जाता है मैं बिखर जाती हूं भगवान तू मुझे इतना बता दे जो अपने हमारी ताकत होते हैं जो अपने हमें मुसीबतों से लड़ना सिखाते हैं अगर वही अपने हम से लड़ने लगे तो मैं बिकर क्यों जाती हूं।। हम बिकर क्यों जाते हैं।। इंदु बाथे #LookingDeep
Anu Mittal
आख़िरिश हमको घर से निकलना पड़ा वक्त बदला तो हमको बदलना पड़ा जिस गली में न जाने की खाई कसम उस गली से भी आख़िर गुज़रना पड़ा हमकदम न मिला हमसफर न मिला भीड़ में हमको तन्हा ही चलना पड़ा चलते चलते जहां पे कदम रुक गये हादसों को भी रस्ता बदलना पड़ा आदतन शमा महफ़िल में रौशन हुई फितरतन परवानों को जलना पड़ा अनु "इंदु " अनु मित्तल ' इंदु '
@ indu karamunge
सपने सहकार करना कटिन नहीं है पर अपनोको संभालते हुए सपनों को साकार करना थोड़ा मुश्किल है पर नामुंकोल नहीं by indu इंदु के शेब्द #MSDhoni
Anu Mittal
रात को रोक लिया, दिन को भी ढलने न दिया आतिशे इश्क़ ने कभी दिल को संभलने न दिया अपने दुश्मन तो हमीं ख़ुद हैँ,गिला किससे करें हम तो रुसवा भी हुये जाम छलकने न दिया हमने धड़कन को भी सीने में छुपा कर रखा हद के अंदर भी अरमां को मचलने न दिया जी में आया कि नईं दुनियां बसा लें लेकिन हसरते दीद ने वादों से मुकरने न दिया आतिशे इश्क़ ने झुलसा के रख दिया हमको राख होने न दिया, हमको सुलगने न दिया किसी मुफलिस की पूंजी की तरह रखा है खत जलाये थे मगर यादों को जलने न दिया अनु 'इंदु' हसरतें अनु मित्तल ' इंदु '
Anu Mittal
रिन्दों ने अभी तौबा तुम्हारे रूबरू कर ली जहाँ महफ़िल नज़र आई ,नज़र जानिब सुबू कर ली इसे तुम इब्तिदा समझो या समझो इंतिहा ए इश्क़ कहानी खत्म की जिसपे वहीँ से फ़िर शुरू कर ली अब अपने जज़्बा-ए-दिल पर,नहीं काबू है कुछ मेरा वस्ल तुमसे नहीं मुमकिन,हिज्र की आरज़ू कर ली इश्क के नाम से डरते रहे ताउम्र हम लेकिन मुकाबिल तुम को पाते ही तुम्हारी जुस्तजू कर ली ज़माने को दिखाने को भुला बैठे थे हम जिनको रातों को ख्यालों में उन्हीं से गुफ्तगू कर ली छुपा के खुद से भी रखा था हमने राज़-ए-दिल अपना इसी बचने बचाने में ख़बर यह कू-ब-कू कर ली अनु "इंदु" हसरतें ...यादें अनु मित्तल ' इंदु '