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Stories related to गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए

N S Yadav GoldMine

#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} अनुचित बात को ना कहना चाहिए, उचित का समर्थन करना परम आवश्यक है, चुप रहना हर बात खुला समर्थन है, किसी भी सम

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Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
अनुचित बात को ना कहना चाहिए,
उचित का समर्थन करना परम
आवश्यक है, चुप रहना हर बात खुला
समर्थन है, किसी भी समस्या का 
हल नहीं होता, हम पाप को छुपाने
में हम माहिर हैं, पूण्य का बखान
करते हुए जीना एक दिन दूभर कर
देता है, पाप छुपाने से बढ़ता है, और
पूण्य का बखान करना, पूण्य को
खर्च करना है। जय श्री राधेकृष्ण जी।                                      N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey}
अनुचित बात को ना कहना चाहिए,
उचित का समर्थन करना परम
आवश्यक है, चुप रहना हर बात खुला
समर्थन है, किसी भी सम

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत', तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए। जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश, उस रास्

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मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत',
तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए।

जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश,
उस रास्ते की हर धूल से अपनी आवाज़ कह दीजिए।
ग़म और दर्द अगर न मिले राहत का निशाँ,
तो हर एक क़दम से अपनी दुआ बना दीजिए।

मंज़िल नहीं मिली तो क्या, सफ़र तो है,
राहों की धूल से ही खुद को पहचान दीजिए।
रोशनी मिलेगी अंधेरे के हर कोने से,
वक़्त की चुप्प को अपनी हसरतों से सजा दीजिए।
हमसफ़र नहीं तो क्या, इरादे हैं आसमान जैसे,
हर घड़ी की राह को अपने ख्वाबों से बना दीजिए।

कभी अगर ठोकरें लगे, तो उन्हें दिल से लगा लीजिए,
वहीं छुपा है वो राज़, जो आपको मजबूत बना दीजिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत',
तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए।

जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश,
उस रास्

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं, अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए। ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं, रातों

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जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं,
अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए।
ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं,
रातों को अपनी रोशनी से सजा दीजिए।

लगे जब भी जीने की राह कठिन,
इरादों से रास्ते अपने बना दीजिए।
हर ख्वाहिश को हासिल करने का रखो हौसला,
खुद में हर मुश्किल को हल दीजिए।

हो गर आसमान की ऊँचाई छूने का इरादा,
तो जमीन से अपनी उड़ान दीजिए।
हो दर्द जो दिल में छुपा गहरा,
अपनी ताकत का हिस्सा उसे बना दीजिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं,
अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए।
ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं,
रातों

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हर एक कांटे को फूल में बदल दीजिए, जो टूट जाएं सपने, उन्हें फिर से जोड़ दीजिए। कभी जब भी हो मुश्किल, तो खुद से कहिए, आपके भीतर छ

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Unsplash हर एक कांटे को फूल में बदल दीजिए,
जो टूट जाएं सपने, उन्हें फिर से जोड़ दीजिए।
कभी जब भी हो मुश्किल, तो खुद से कहिए,
आपके भीतर छुपी है एक नई दुनिया, बना दीजिए।

जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं,
अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए।
ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं,
रातों को अपनी रोशनी से सजा दीजिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर एक कांटे को फूल में बदल दीजिए,
जो टूट जाएं सपने, उन्हें फिर से जोड़ दीजिए।
कभी जब भी हो मुश्किल, तो खुद से कहिए,
आपके भीतर छ

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जब भी हो वक़्त कठिन, तो हौंसले से काम लीजिए, अपने इरादों को एक नई उड़ान दीजिए। मुसीबतें हों या उलझनें हो कोई, उन्हें अपनी मेहनत

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Unsplash जब भी हो वक़्त कठिन, तो हौंसले से काम लीजिए,
अपने इरादों को एक नई उड़ान दीजिए।
मुसीबतें हों या उलझनें हो कोई,
उन्हें अपनी मेहनत से हल कर दीजिए।

अंधेरों में जो खो जाएं रास्ते कभी,
उन्हें उम्मीद की रौशनी से फिर से बना दीजिए।
जो कदम रुक जाएं थककर इस सफ़र में,
उन्हें अपनी चाहत से आगे बढ़ा दीजिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जब भी हो वक़्त कठिन, तो हौंसले से काम लीजिए,
अपने इरादों को एक नई उड़ान दीजिए।
मुसीबतें हों या उलझनें हो कोई,
उन्हें अपनी मेहनत

Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

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आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain  आज का विचार 08.12.24  आज का विचार

Jitendra Giri Hindu

ashita pandey बेबाक़

#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

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कठिन उद्यमों से,मैंने
जीवन की माटी ,सींची हैं 
तकदीरों के मस्तक पर 
मेहनत की ,रेखा खींची हैं
जब जब घाव लगा हैं बढ़ने
थोड़ी आंखें भींची हैं 
अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी
ये दुनिया,कांच सरीखी हैं
दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं 
रही धरा पर वास किए
सभी कंटकों से जूझी
स्वयं विजयश्री की हासिल
नहीं कोई इक भी अखियां
मेरे घावों पर भीगी हैं
कठिन उद्यमों से,मैने
जीवन की माटी,सींची हैं

©ashita pandey  बेबाक़ #sad_quotes  आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

Sunil Kumar Sunil Kumar

आज का विचार

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Dev

दिल का अहसास

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वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌।

©Dev दिल का अहसास
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