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Yogita Harne
मेरा यह लेख तानाजा द अनसंग वारियर से प्रेरित है.... शिवराया शिवाजी एवं तानाजी जैसे वीरो को हम नमन करते हैं 🙏🙏🙏 पर इस पूरी कहानी में मुझे दो वीरांगनाए भी दिखी उनका यूद्ध अस्त्र उनका आत्मबल,संयम, विश्वास और भक्ति थे जो सिखाते हैं स्त्री की शक्ति बाहुबल से नहीं आत्मबल 1) प्रथम मातोश्री जीजा मा साहेब उनका विश्वास थथा अपने पूत्र पर और अपनी माँ भवानी की भक्ति पर एक पल भी विचलित नही हुई ) सावित्रीबाई संयमित पर तीव्र महिला जो अपने पति की प्रेरणा ढाल बनी विपरीत परिस्थितियों मे भी अपना संयम नही खोया और वचन सिर्फ कहा नहीं उसे निभाया भी अपने शिव की शक्ति बनकर तभी हम नारी को शक्ति बनकर पूजते हैं जय भवानी जय शिवाजी जगदंब..... नारायणी
Ajay Shastri
💞...उसने मेरी हथेली पे अपनी नाजुक उंगली से लिखा #सुनो_ना #मुझे_प्यार_है_तुमसे..... ना जाने कैसी स्याही थी की वो आज भी वैसी ही है...💞 ✍️💞💞 Frie 💞💞 ©Ajay Shastri शास्त्री₹
Satish Mapatpuri
नारी शक्ति - स्रोत है साक्षी है इतिहास। नारी से उत्थान है नारी से ही ह्रास। जीवन के हर क्षेत्र में नारी का वर्चस्व, अब तो छूना शेष है सूरजऔर आकाश …….. सतीश मापतपुरी हिन्द की शान मीराबाई चानू को हार्दिक बधाई जय हिन्द - जय भारत ©Satish Mapatpuri नारी तू नारायणी
Dr. Bhagwan Sahay Meena
शीर्षक ------ नारी नारी तू नारायणी जग की तारणहार। मानव का कल्याण करें बनकर पालनहार। अवरूद्ध राहों की प्रशस्तक बन कांटे तू हटाती, जीवन प्रदायिनी लोक की बनकर सृजन हार। ममता की झिलमिल रोशनी में सदा रही मुस्काती, हर पल पुष्पित पल्लवित रहती सदाबहार। सागर जितना वात्सल्य बहती स्नेह जलमाला, कितने गुण बखान करूं तेरी महिमा अपरम्पार। भिन्न नहीं ईश्वर से तेरा प्रकृति सा रूप, डग भर चलती नहीं पृथ्वी बिन नारी परोपकार। तेरे ही कर कमलों से सजती दुनिया, जग में करती पालन पोषण बनकर शिल्पकार। हे! नारी अनगिनत है अक्स तेरे, तू संजीव बनाती चित्र भू लोक की चित्रकार। डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान। ©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani नारी तू नारायणी
प्रवीण कुमार
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री हुए । आते ही सत्ता में जय जवान जय किसान का उद्घोष किए।। देश में फैला जो बवंडर था उसे शांत किया । भारतीय सेना को फिर से तैयार किया।। पाक भूल में था कि 62 की तरह भारत को हरा ले जाएंगे। पर पता नहीं था पाक को मंत्री चाचा नहीं बहादुर है।। भूल के चलते पाक ने 65 में भारत पर आक्रमण किया। जिसका पाक को बहादुर ने मुंह तोड़ जवाब दिया।। यदि 2 घंटे की मोहलत होती तो आज पाक हमारा होता। पर शास्त्री जी से हुई गलती युद्ध विराम कर बैठे।। अपने अधिकृत हिस्से को पाक को दे बैठे। जिससे पाक आज भी गीदड़ भभकी देता है।। लेकिन डरता नहीं है भारत गीदड़ भभकी से। भारत ईट का जवाब पत्थर से देता है।। मैं "प्रवीण" आपके युगल चरणों में वाक्पुष्पांजलि अर्पित करता हूं। एक बार फिर से आपके दर्शन पाना चाहता हूं।। शास्त्री जी
Jay Krishan Kumar
गाँधी - शास्त्री --------------- नमन है इन दो महान विभूतियों को जिनकी यादों का जश्न आज संपूर्ण राष्ट्र ही नहीं विश्व के ज्यादातर देश भी मना रहे हैं । अच्छे-अच्छे संवाद कार्यक्रम और यादगार लम्हों को संवारने का सिलसिला जारी है , परंतु क्यों .. क्यों हम इतना सम्मान कर रहे हैं इनका ... क्यों हम इतनी तन्मयता से पूज रहे हैं उन्हें ... इसे लोग या तो समझते नहीं या समझना ही नहीं चाहते ..। हम उन महान व्यक्तियों को नहीं उनके व्यक्तित्व और व्यवहार को याद कर रहे हैं ... परंतु ..कौन....कौन है जो अनुसरण कर रहा है उन्हें ... उन्हें बस अपनी पहचान बनाने के लिए खुद से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है ... ताकि लोग कहे कि उन्होंने गाँधी को इतना सम्मान दिया ..तो ... गाँधी उनकी पहचान बन जाएंगे ... गाँधी का महत्व हर व्यक्ति बस उस तरह देना चाहता है ...जैसे नोट पर छपे होने की वजह से नोट असली होता है ... । शास्त्री जी की सरलता , खुद्दारी और ईमानदारी का अनुसरण कौन करके घूम रहा है यहां ... चोला-टोपी तक की साम्यता सबको भाती है पर आत्मा में बसी रहती मक्कारी है ... मतलब बाहरी और प्रतिरूप सबको बनना भाता है परंतु ... आत्मा ना बदलने की विडंबना भारी है । गाँधी जी को तो सबसे अधिक फायदे की वस्तु समझ लोग भुनाने में लगे हैं ...। मैं यह नहीं कहता कि उनकी यादों में जश्न ना हो , उनकी प्रतिमाओं को फूल मालाएं पहना कर सम्मान ना किया जाए ... परंतु हमारी सच्ची श्रध्दा उनके विचारों , उनके व्यवहारों , उनकी ईमानदारी , उनकी कर्मठता सबसे बड़ी उनकी आत्मीयता का अनुसरण करना होगा ... हम अपने जीवन जीने के तरीकों , क्रियाकलापों में उन्हें शामिल करें ... ताकि बिना दिखाने के प्रयत्न किए ही वो हममें ... हम सभी में दिखे ... हममें उनका व्यक्तित्व परिलक्षित हो ... हम उनकी पहचान बनें । हर वर्ष हम उन्हें याद करते हैं श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हैं ... परंतु समाज में व्याप्त कुरीतियां .. असमानता .. छीना झपटी ... भ्रष्टाचार सब बस बढ़ता ही जा रहा है ... उन्हीं की तस्वीरे टंगी होती है दीवारों पर जिसके नीचे उन्ही के विचारों सिद्धांतो और संस्कारों की हत्या की जाती है हर बार सरेआम ... आखिर फिर क्या अर्थ रह जाता है ... उनकी तस्वीर टांगने की ...अब तो यह हाल हो गया है उन महान विभूतियों की ..... जो ईमानदारी की पहचान रहे ..उन्हें ही बेईमानों ने अपनी चौकीदारी पर लगा लिया ... और फिर 2 october या विभिन्न संबन्धित तिथियों को उन्हीं की मूरत साफ कर फूल मालाएं चढ़ा अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ लेते हैं । क्या इतना सा महत्व रह गया है गाँधी , शास्त्री या ऐसे असंख्य महान विभूतियों का हमारे लिए ? आज सभी अपने fb , whatsapp , insta के साथ ही अपने - अपने प्रतिष्ठानों में गांधी को उनके कहे शब्दों को याद कर रहे हैं ... करना चाहिए ... परंतु हे महा-मानव यदि सच में तुम्हारे हृदय में उनके लिए सम्मान है तो उन्हें अपने आचरण में उतारने का प्रयत्न करो । # जय कृष्ण कुमार 9162439176 #गाँधी - शास्त्री