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अज्ञात
पेज-48 पुरोहित जी ने मंगलाचरण का वाचन शुरू किया... इधर मनीषा को पहले हाथ आगे बढ़ाना था.. मनीषा ने पापा को देखा, पापा ने इशारा किया और मनीषा ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाया...और कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी. पेज-48 शेष भाग अर्रे साहब... एक वर अपनी वधू का हाथ थामने जा रहा है जन्म जन्म के लिये..मन को हर्षित करने वाले इन पलों में
Vedantika
चलो चलो रे माता रानी के द्वार। करना है उनका सोलह श्रृंगार। हम भक्तों को बुलावा आयो रे। सिर पर ओढ़ाओ लाल चुनरिया। मांग में सिंदूर है माथे पर बिंदिया। द्वार अपने सब दीप जलाओ रे। नैना में कजरी कानन में झुमका। नाक में नथ है होठों पे ललिया। किवाड़ पे बंदरवार सजाओ रे। गले में हार सोहे और हाथों में चूड़ी। अंगुली में अंगूठी हथेली सजे मेहंदी। कमरबंद अब मैया को पहनाओ रे। पैरों में पायल, अंगुलियों में बिछवां। शेर पे सवार होके चली मोरे अंगना। मंगलगीत सब ही गुनगुनाओ रे। चलो चलो रे माता रानी के द्वार। करना है उनका सोलह श्रृंगार। हम भक्तों को बुलावा आयो रे। चलो चलो रे माता रानी के द्वार। करना है उनका सोलह श्रृंगार। हम भक्तों को बुलावा आयो रे। सिर पर ओढ़ाओ लाल चुनरिया। मांग में सिंदूर है माथे पर
Nisheeth pandey
तुम खूबसूरत हो, अगर तुम खूबसूरत हो , तो इतना "अहम" कैसा, मगर मेरे दिल में घुसे हो, तो ये तुम्हारा "घर" को जलाना कैसा?? अगर तुम "प्रीत रस" की चाशनी हो, तो इतनी "जुबानी बम" कैसा? मुझे "टिस" से तड़ता रहे हो, फिर तुम्हारा "मुस्कुराना" कैसा? कल तक सिर्फ खूबसूरत आशियाना था, तेरे मेरे आंखों की फ़िज़ा में, आज़ दूर तलक मटमैला धुआं है, तो सुहानी "सहर" कैसा? इज़हार ए नाराज़ी करो, मेरी आँखों की ज़द में, मगर रात दिन की कूंचों में इतनी "आवारगी लहर" कैसा? गर सिर्फ लहज़ा सख्त हो, तो हम खामोसी की चादर ओढ़ लेते, मगर तुम्हारे लफ़्ज़ों और निगाहों में "ज़हर" कैसा? मेरे छुअन से ख़िलाफ़त करो, हमे कोई शिकायत नही है, मेरे इश्क का कुर्ता किसी और को पहनाओ फिर वफां कैसा, हमारा हो "सबर" तो सबर कैसा ? अगर तुम मेरी वहीं खूबसूरत फिजाँ हो , तो इतना बदसूरत "दूरियां" कैसा? मगर तुमने अपने दिल में कोई चोर घुसा रखा है, तो ये तुम्हारा वफां ए "इश्कानाघर" कैसा??? #निशीथ ©Nisheeth pandey अगर तुम खूबसूरत हो , तो इतना "अहम" कैसा, मगर मेरे दिल में घुसे हो, तो ये तुम्हारा "घर" को जलाना कैसा?? अगर तुम "प्रीत रस" की चाशनी हो,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- सबको अपना मान लो , यह मत पूछो कौन । वैरी तेरे है वही , जो बैठे हैं मौन ।।१ तेरी मेरी प्रीत का , रखवाला है ग्वाल । देखो अब करना नहीं , ऐसा कभी सवाल ।।२ आम आदमी हूँ नहीं , मैं हूँ इनकी ढाल । जब चाहूँ मैं दूँ बदल , सुन लो इनकी चाल ।।३ मीठे प्यारे बोल से , लेते हो सब छीन । फिर भी हमको देखते , नजर उठाकर हीन ।।४ अपनी गलती मान ली , अब बोलो सरकार । मिलकर अब हम सब करें , आज जगत उद्धार ।।५ आम आदमी के लिए , फेका है यह जाल । भरे तिजोरी सेठ जी , जनता है कंगाल ।।६ इस जीवन में कर्म ही , होती है पतवार । भाग्य भरोसे जो रहे , डूबे वह मझधार ।।७ सावन आते ही सखी , आयी पिय की याद । जिनके जाने से सुनो , उपजा हृदय विषाद ।।८ कण-कण में शंकर रहे, सुन लो मेरी बात । हर संकट से ही वही , देते तुम्हें निजात ।।९ झूला झूलन में सखी , रहा नहीं आनंद । अब हो बाहों में सजन ,सखी चलाओ फंद ।।१० हरी काँच की चूडिय़ां , पहनाओ मनिहार । जिसकी खन-खन सुन सजन , आ जाए इस पार ।।११ जबसे पिय के प्रेम की , मुझ पर पड़ी फुहार । मेरा मुझ पर ही नहीं , रहा सखी अधिकार ।।१२ १३/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सबको अपना मान लो , यह मत पूछो कौन । वैरी तेरे है वही , जो बैठे हैं मौन ।।१ तेरी मेरी प्रीत का , रखवाला है ग्वाल । देखो अब करना नहीं , ऐसा क
ASHKAR Shahi
मैं चाहती हूं, हों एक मुलाकात तुमसे.. ❤️❤️🙂 मैं चाहती हूं कि हो एक मुलाकात तुमसे , जिस पर लाओ तुम वो गिफ्ट सारे, जिनके लिए मैंने कभी तुमसे ज़िद की थी , और कभी तुम खुद देने के इच्छा जत
Pankaj Singh Chawla
पार्किंग वाला प्यार भाग - 20 (Read in Caption) पर्किंग वाला प्यार 20 सुनो...! अगले रविवार को सुबह मेरे और 'मन' के मम्मी पापा और दो चार जरूरी रिश्तेदार गुरुद्वारे पहुंच गए... वहाँ गुरु महा
Arunima Thakur
"मेरी दुल्हन" (कृपया कहानी कैप्शन में पढ़े) आपके स्नेह एंव सुझावों का स्वागत हैं) मेरी दुल्हन सुबह सुबह फोन की घंटी बज रही थी । मैं बहुत ही प्यारे सपनों में खोया था । कौन कमबख्त मुझे सपनों के लोक से निकालना