Find the Latest Status about कॉमेडी घाट का from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कॉमेडी घाट का.
Arpit tejash
घाट घाट का पानी पी के आया हूं । घास फूस के छप्पर सा मैं छाया हूं। जो सबको कंपा दूं ऐसा प्यारा झटका हूं। ना जाने क्यों लोगों की आंखो में मैं खटका हूं। बहा के लहू कांटो में मैं चल सकता हू। सूखी डाली सा पेंडो में मैं लटका हूं। जो लहू बहाते उनको समझाने आया हूं। घाट घाट का पानी पी के आया हूं ।। घाट घाट का पानी
Marutishankar Udasi
सब कुछ हार के उसे चाहता रहा सच कहेता हूं उदासी इश्क में मै न घर का हुआ न घाट का ©Marutishankar Udasi #BehtiHawaa घाट का
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
समस्याओं के घाट पर हम असमंजस के चौबाट पर हम, तीक्ष्ण से तुच्छ हुये, असफल हुये सौहार्द पर हम, समस्याओं के घाट पर हम। ज्ञानवान से शानवान हम, दयावान से शक्तिमान हम, संकीर्णता की खाट पर हम, समस्याओं के घाट पर हम। ©Anand Prakash Nautiyal #समस्या#का#घाट #AdhureVakya
Ali Perwana
बना कर चांद जिसने हमको दिलों में सजा कर रखी थी। उसी ने हमको अपना बना कर मौत का घाट उतारी थी। ©Ali Perwana मौत का घाट #Moon
Arora PR
ये भी कैसी विडंबना है कि इस जीवन मे न दूकान पूरी होती न मंदिर पूरा होता. न धन हाथ लगता है न धर्म और ध्यान. मे मन लगता है यही कारण है कि ऊर्जा मेरी संग्रहित होने क़ी जगह बिखरती जाती है. और यही कारण है.. कि मेरे संकल्प भी जन्म नहीं ले पाते इसीलिए मै न घर का रहा. न घाट का ©Arora PR न घर का न घाट का
Jitendra Kumar Som
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का एक बार कक्षा दस की हिंदी शिक्षिका अपने छात्र को मुहावरे सिखा रही थी। तभी कक्षा एक मुहावरे पर आ पहुँची “धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ”, इसका अर्थ किसी भी छात्र को समझ नहीं आ रहा था। इसीलिए अपने छात्र को और अच्छी तरह से समझाने के लिए शिक्षिका ने अपने छात्र को एक कहानी के रूप में उदाहरण देना उचित समझा। उन्होंने अपने छात्र को कहानी कहना शुरू किया, ” कई साल पहले सज्जनपुर नामक नगर में राजू नाम का लड़का रहता था, वह एक बहुत ही अच्छा क्रिकेटर था। वह इतना अच्छा खिलाड़ी था कि उसमे भारतीय क्रिकेट टीम में होने की क्षमता थी। वह क्रिकेट तो खेलता पर उसे दूसरो के कामों में दखल अन्दाजी करना बहुत पसंद था। उसका मन दृढ़ नहीं था जो दूसरे लोग करते थे वह वही करता था। यह देखकर उसकी माँ ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की कि यह आदत उसे जीवन में कितनी भारी पड़ सकती है पर वह नहीं समझा। समय बीतता गया और उसका अपने काम के बजाय दूसरो के काम में दखल अन्दाजी करने की आदत ज्यादा हो गयी। जभी उससे क्रिकेट का अभ्यास होता था तभी उसके दूसरे दोस्तों को अलग खेलो का अभ्यास रहता था। उसका मन चंचल होने के कारण वह क्रिकेट के अभ्यास के लिए नहीं जाता था बल्कि दूसरे दोस्तों के साथ अन्य अलग-अलग खेल खेलने जाता था। उसकी यह आदत उसका आगे बहुत ही भारी पड़ी, कुछ ही दिनों के बाद नगर में ऐलान किया गया नगर में सभी खेलों के लिए एक चयन होगा जिसमे जो भी चुना जाएगा उसे भारत के राष्ट्रीय दल में खेलने को मिल सकता है। सभी यह सुनकर बहुत ही खुश हुए ओर वहीं दिन से सभी अपने खेल में चुनने के लिए जी-जान से मेहनत करने लगे, सभी के पास सिर्फ दो दिन थे। राजू ने भी अपना अभ्यास शुरू किया पर पिछले कुछ दिनों से अपने खेल के अभ्यास में जाने की बजाय दूसरो के खेल के अभ्यास में जाने के कारण उसने अपने शानदार फॉर्म खो दिया था। दो दिन के बाद चयन का समय आया राजू ने खूब कोशिश की पर अभ्यास की कमी के कारण वह अपना शानदार प्रदर्शन नहीं दिखा पाया और उसका चयन नहीं हुआ, वह दूसरे खेलों में भी चयन न हुआ क्योंकि व़े सब खेल उसे सिर्फ थोड़ा आते थे ओर किसी भी खेल में वह माहिर नहीं था। जिसके कारण वह कोई भी खेल में चयन नहीं हुआ और उसके जो सभी दूसरे दोस्त थे उनका कोई न कोई खेल में चयन हो गया क्योंकि वे दिन रात मेहनत करते थे।अंत में राजू को अपने सिर पर हाथ रखकर बैठना पड़ा और वह धोबी के कुत्ते की तरह बन गया जो न घर का होता है न घाट का।” इसी तरह इस कहानी के माध्यम से सभी बच्चों को इस मुहावरे का मतलब पता चल गया। शिक्षिका को अपने छात्रों को एक ही सन्देश पहुँचाना था कि व़े जीवन में जो कुछ भी करे सिर्फ उसी में ध्यान दे और दूसरो से विचिलित न हो वरना वह धोबी के कुत्ते की तरह बन जाएगे जो न घर का न घाट का होता है। ©Jitendra Kumar Som #walkingalone धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का