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Ankit Singh
कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक नहीं कर रहे थे। ©Ankit Singh कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक न
Rohit Lala
एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया. वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी. निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी. इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है. रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया. लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए. वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था. ©Rohit Lala एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे
ਸੀਰਿਯਸ jatt
दूध नाथ वरुण
इस जीवन की कीमत तू क्या जाने, ये जीवन है अनमोल। तू तज के माया मोह को अब,हरि रस को मन में घोल ।। ©दूध नाथ वरुण #हरि रस
HintsOfHeart.
"कहते हैं, धरती पर सब रोगों से कठिन प्रणय है लगता है यह जिसे, उसे फिर नींद नहीं आती है दिवस रुदन में, रात आह भरने में कट जाती है मन खोया-खोया, आँखें कुछ भरी-भरी रहती है भीगी पुतली में कोई तस्वीर खड़ी रहती है"¹ ©HintsOfHeart. #रामधारी_सिंह_'दिनकर' के काव्य नाटक #उर्वशी' से। 1.इसके लिए 1972 में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।
Singer Chandradeep Lal Yadav
Ravendra
Singer Chandradeep Lal Yadav
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गीत लिखे हैं मैंने मन के गीत लिखे हैं मैंने मन के, भावों के सुंदर उपवन के। जहां खिले हैं पुष्प हजारों, महकते हैं वन चंदन के। गीत लिखे हैं मैंने मन के कलमकार वाणी साधक, शब्द सुरीले मोती चुनता। ओज बने हुंकार लेखनी, देशभक्ति के स्वर बुनता। शब्द शिल्प सृजन सारथी, दीप जलाता जन मन में। उजियारा आलोक भरें, घट-घट चंचल चितवन में। गीत लिखे हैं मैंने मन के स्नेह सुधा रस बहती धारा, मोती बरसते प्यार के। अधरों पर मुस्कान मधुर सी, वीणा की झंकार से। गीत गजल दोहा चौपाई, पावन छंदों की फुहार से। मुक्तक मंद मंद मुस्कुराया, मृदु लेखनी की धार से। गीत लिखे हैं मैंने मन के आडंबर से दूर रहा नित ,सत्य का मार्ग अपनाया। शील सादगी समर्पण, किर्तिमान परवान चढ़ाया। राष्ट्रप्रेम में डूबा मनमौजी, गीत रचता मैं वतन के। गाओ मेरे देश प्रेमियों, बोल सुरीले अपने मन के। गीत लिखे हैं मैंने मन के ©Instagram id @kavi_neetesh #Path गीत लिखे हैं मैंने मन के गीत लिखे हैं मैंने मन के, भावों के सुंदर उपवन के। जहां खिले हैं पुष्प हजारों, महकते हैं वन चंदन के। गीत लिख